हम सेकंडरी बाजार में बॉन्ड खरीदारी की मात्रा पर ध्यान दे रहे हैं | बीएस संवाददाता / April 07, 2021 | | | | |
मौद्रिक नीति समिति द्वारा नीतिगत दरों को चालू वित्त वर्ष की पहली मौद्रिक नीति में अपरिवर्तित बनाए रखने का निर्णय लिया गया है। इसके अलीावा, आरबीआई ने सेकंडरी बाजार के जी-सेक खरीद कार्यक्रम या जी-एसएपी 1.0 (जिसके तहत आरबीआई पहली तिमाही में 1 लाख करोड़ रुपये के लिए प्रतिबद्घ है) की घोषणा की है। इन घोषणाओं के बाद, आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास, डिप्टी गवर्नर (डीजी) माइकल देबब्रत पात्रा, डिप्टी गवर्नर एम के जैन और कार्यकारी निदेशक टी रवि शंकर ने मीडिया के सवालों का जवाब दिया। पेश हैं बातचीत के मुख्य अंश:
इस जी-सेक खरीद कार्यक्रम के पीछे का औचित्य क्या है?
गवर्नर: यह सामान्य ओपन मार्केट ऑपरेशन (ओएमओ) कैलेंडर से अलग है। हमने इसे एक खास पहचान दी है। हमारा मानना है कि यह कार्यक्रम हमारे सामान्य एलएएफ ऑपरेशन, स्पेशल ओएमओ, और उन अन्य योजनाओं से अलग चलाया जाएगा, जो हमसे जुड़ी हुई हैं। मेरा मानना है कि हम पहली बार सेकंडरी बाजार में बॉन्ड खरीदारी की मात्रा पर ध्यान दे रहे हैं। आरबीआई से संकेत, और कदम, सभी का संयुक्त असर दिखेगा।
डीजी पात्रा: यह पहली बार है जब आरबीआई मौद्रिक नीति के लिए अपनी बैलेंस शीट पर प्रतिबद्घता दिखा रहा है। भारत द्वारा पहले ऐसा कभी नहीं किया गया। यह ओएमओ से अलग है। ओएमओ नीलामी में अक्सर, हम मात्रा, समय और अन्य चीजों की घोषणा करते हैं। हम बाजारों को यह आश्वासन दे रहे हैं कि हम उन्हें उधारी कार्यक्रम के संचालन में मदद करेंगे। पहले से किसी राशि की घोषणा से बाजार कारोबारियों को उधारी कार्यक्रम में अपनी सक्रियता की योजना बनाने में मदद मिलती है। यह एक चुनौतीपूर्ण योजना है क्योंकि इसमें जोखिम भी हैं।
यदि बाजार द्वारा अपेक्षित प्रतिफल ज्यादा रहता है तो क्या आरबीआई भविष्य की नीलामियों में बोलियां नहीं ठुकराएगा?
गवर्नर: यह इस पर निर्भर करेगा कि बोलियां क्रमबद्घ हैं या नहीं। इसलिए मैं इस पर प्रतिक्रिया नहीं दे सकता कि हम बोलियों को ठुकराने के विकल्प को पूरी तरह से छोड़ देंगे। आखिरकार, किसी को निर्णय लेना होगा और केंद्रीय बैंक के तौर पर जब हम कई लक्ष्यों का प्रबंधन करते हैं तो सही तरीके से संतुलन बिठाने की जरूरत होगी। इसलिए यह इस पर निर्भर करेगा कि क्या हमारे नजरिये में बोलियां क्रमबद्घ हैं या उससे अलग हैं।
क्या जी-एसएपी के बाद भी ओएमओ, ऑपरेशन टि्वस्ट पहले की तरह बना रहगा?
डीजी पात्रा: जी-एसएपी हमारे नियमित ऑपरेशन के साथ साथ बरकरार रहेगा जिसमें एलएएफ, आउटराइट ओएमओ, ऑपरेशन ट्विस्ट जैसे विकल्प शामिल हैं। यह हमारे नकदी नियोजन कार्यक्रम के अनुरूप है।
सीपीआई अनुमान दूसरे वर्ष के लिए 4 प्रतिशत से ऊपर है। क्या एमपीसी 4 प्रतिशत के मुद्रास्फीति के लक्ष्य से दूर है। क्या सहयोगात्मक रुख रिवर्स रीपो से संबंधित है?
गवर्नर: 4 प्रतिशत (+2/-2) के मुद्रास्फीति लक्ष्य पर सरकार द्वारा फिर से जोर दिया गया है। मेरा मानना है कि मुद्रास्फीति का लक्षित ढांचा अनुकूल है। मैंने यह भी कहा है कि मौजूदा ढांचा केंद्रीय बैंक को पर्याप्त नीतिगत गुंजाइश प्रदान करता है, जिससे कि मौजूदा महामारी जैसी स्थिति में केंद्रीय बैंक कदम उठा सके।
डीजी पात्रा: जब प्रणाली रिवर्स रीपो में है, तो पॉलिसी अनुकूल हो।
व्यवस्था में 1 लाख करोड़ रुपये की अतिरिक्त नकदी का क्या असर पड़ेगा?
डीजी पात्रा: जब हमने नीतिगत दर में कोई बदलाव नहीं किया है तो हमें मौद्रिक नीति संचालित करने के लिए एक माध्यम की जरूरत होगी। पिछले समय में, हमारे सभी कदम ब्याज दर वृद्घि और कमी पर केंद्रित थे और यह सुनिश्चित हुआ कि दरों का उचित लाभ पूरे बाजार को मिले। इस बार हम ज्यादा स्पष्ट हैं, हम ब्याज दरों और कीमतों के अप्रत्यक्ष माध्यम का इंतजार नहीं कर रहे हैं। इसके बजाय हम प्रत्यक्ष रूप से अपनी बैलेंस शीट को मजबूत बनाने के लिए प्रतिबद्घ हैं।
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