इस्पात और लौह अयस्क की कीमतें एक बार फिर बढ़त की राह पर है। इस्पात कंपनियों ने अप्रैल से कीमतों में 5,000 रुपये प्रति टन की बढ़ोतरी की है, वहीं सरकारी स्वामित्व वाली लौह अयस्क उत्पादक एनएमडीसी ने लम्प की कीमतें 500 रुपये प्रति टन बढ़ाई है। इस्पात उत्पादकों ने कहा कि हॉट रोल्ड कॉयल (एचआरसी - फ्लैट इस्पात के लिए बेंचमार्क और इसका इस्तेमाल ऑटोमोबाइल, देसी उपकरण और निर्माण में होता है) की कीमतों में 4,000 से 5,000 रुपये प्रति टन की बढ़ोतरी की है जबकि लॉन्ग इस्पात (विनिर्माण व निर्माण में इस्तेमाल होने वाला) की कीमतों में 2,000 से 3,000 रुपये प्रति टन का इजाफा किया है। इस बढ़ोतरी के बाद एचआरसी की कीमतें 57,600 रुपये प्रति टन, टीएमटी की कीमतें 52,500 रुपये प्रति टन हो गई है। इस्पात कीमतों में बढ़ोतरी वैश्विक कीमतों में इजाफे के कारण हुई है। आर्सेलरमित्तल निप्पॉन इस्पात इंडिया (एएम/एनएस इंडिया) के मुख्य विपणन अधिकारी रंजन धर ने कहा, पिछले साल से विश्व में तैयार उत्पाद की कीमतें कच्चे माल में हुए बदलाव के मुताबिक बदल रही है। उन्होंने कहा, यूरोप में एचआरसी की कीमतें 1,000 डॉलर प्रति टन की ओर बढ़ रही है जबकि पश्चिम एशिया में करीब 900 डॉलर की ओर और चीन में 870 डॉलर की तरफ जे रही है। औसत वैश्विक कीमतें और भारतीय एचआरसी कीमतों के बीच अंतर करीब 11,000 रुपये प्रति टन का है। धर ने कहा, हम एमएसएमई को सहारा देने पर विचार कर रहे हैं लेकिन कुल मिलाकर ऐसा लगता है कि बाजार में ढांचागत बदलाव हुआ है। जेएसपीएल के प्रबंध निदेशक वी आर शर्मा ने कहा कि कंपनी ने टीएमटी की कीमतें औसतन 2,000 रुपये प्रति टन बढ़ाई है। उन्होंने कहा, देसी बाजार और निर्यात बाजार में मांग काफी अच्छी है। एक अन्य बड़ी उत्पादक कंपनी ने कहा कि उसने टीएमटी की कीमतों में 3,000 रुपये प्रति टन का इजाफा किया है। पिछली बार जनवरी में इस्पात की कीमतें बढ़ी थी और तब यह अब तक के सर्वोच्च स्तर पर पहुंच गई थी। उसके बाद हालांकि यह नीचे आई क्योंकि देसी बाजार में इसका इस्तेमाल करने वाले उद्योग की तरफ से दबाव दिए जाने के बाद चीन छुट्टियों के सीजन की ओर बढ़ गया था।
