दैनिक जमा शेष में बढ़त से मदद | सुब्रत पांडा और अभिजित लेले / मुंबई April 07, 2021 | | | | |
पेमेंट बैंक के प्रत्येक व्यक्तिगत ग्राहक के लिए प्रतिदिन अधिकतम बैलेंस दोगुना कर दो लाख रुपये किए जाने से एमएसएमई, छोटे व्यापारियों समेत ज्यादा ग्राहक आकर्षित होने तथा वित्तीय समावेशन को बढ़ावा मिलने की संभावना है।
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने अपनी मौद्रिक नीति के बयान (2021-22) में कहा कि अधिकतम बैलेंस की सीमा भुगतान बैंकों के प्रदर्शन की समीक्षा के आधार पर बढ़ाई गई है। इस वृद्घि से वित्तीय समावेशन की दिशा में उनके प्रयासों को बढ़ावा मिलने की संभावना है।
उद्योग के सूत्रों का कहना है कि बैंकिंग सेक्टर के नियामक द्वारा यह पेमेंट बैंकिंग क्षेत्र को लाभान्वित करने का संकेत है। बैंकों को पांच लाख रुपये के जमा बीमा कवर में वृद्घि के अनुरूप सीमा बढ़ाकर पांच लाख रुपये करने की जरूरत थी।
पेटीएम पेमेंट्स बैंक के प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्याधिकारी (एमडी एवं सीईओ) सतीश गुप्ता ने कहा कि अधिकतम दैनिक बैलेंस पर सीमा में वृद्घि से ग्राहकों की बढ़ती जरूरतें पूरी करने में मदद मिलेगी।
इसी तरह, फुल केवाईसी प्री पेड इंस्ट्रूमेंट्स (पीपीआई) में बकाया बैलेंस पर मौजूदा समय एक लाख रुपये से बढ़ाकर दो लाख रुपये करने से संपूर्ण केवाईसी पीपीआई के लिए बढ़ावा मिलेगा और इससे पूरे देश में वित्तीय समावेशन को मदद मिलेगी।
पेटीएम बैंक के प्रमुख के समान ही प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए फिनो पेमेंट्स बैंक के एमडी एवं सीईओ ऋषि गुप्ता ने कहा कि यह मॉडल अब मजबूत हो गया है और बैंक अब मुनाफे की स्थिति में है। इससे एक लाख से दो लाख रुपये के बीच वाले ग्राहक आकर्षित करने में ज्यादा मदद मिलेगी।
आरबीआई की 'भारत में बैंकिंग के रुझान एवं प्रगति- 2019-20' रिपोर्ट के अनुसार, ब्याज आय और गैर-ब्याज आय में सुधार के बावजूद, भुगतान बैंकों की समेकित बैलेंस शीट ज्यादा परिचालन खर्च की वजह से नुकसान से जुड़ी हुई है।
उन्होंने परिचालन दायरा सीमित किया है और इन्फ्रास्ट्रक्चर स्थापित करने में आने वाली शुरुआती लागत नियंत्रित करने पर भी ध्यान दिया है। आरबीआई की रिपोर्ट में कहा गया है कि इसका मतलब यह होगा कि शुरुआती वर्ष अपना ग्राहक आधार बढ़ाने में खर्च होंगे और फिर भरपाई के स्तर पर पहुंचने में समय लगेगा।
2019-20 में पीबी यानी भुगतान बैंकों की समेकित बैलेंस शीट जमाओं में भारी तेजी से जुड़ी हुई थी और प्रति खाता एक लाख रुपये की सीमा के बावजूद देनदारियों में उनकी भागीदारी 2018-19 के 12.3 प्रतिशत से दोगुनी बढ़कर 27.4 प्रतिशत से ज्यादा हो गई। मार्च 2020 के अंत में, चालू पीबी की संख्या घटकर 6 रह गई जो पूर्ववर्ती वर्ष में 7 थी, क्योंकि एक बैंक ने अपना लाइसेंस वापस कर दिया।
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