सरकार ने बुधवार को उन सरकारी और निजी कार्यस्थलों पर कोविड-19 टीकाकरण को मंजूरी दे दी, जहां 45 साल की उम्र से अधिक के कम से कम 100 पात्र एवं इच्छुक लाभार्थी होंगे। इसका मकसद देशव्यापी टीकाकरण कार्यक्रम के दायरे को बढ़ाना है। स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण ने राज्यों के अधिकारियों को भेजे पत्र में कहा कि 11 अप्रैल से कार्यस्थल टीकाकरण केंद्र शुरू करने के लिए सरकारी और निजी क्षेत्र के नियोक्ताओं एवं प्रबंधन के साथ बातचीत शुरू की जाए। सरकार ने कहा है कि कार्यस्थलों पर टीकाकरण की सुविधा मुहैया कराने से न केवल कर्मचारियों को सहूलियत मिलेगी बल्कि उन्हें कहीं जाना-आना भी नहीं पड़ेगा, जिससे वे वायरस के जोखिम से बचेंगे। भूषण ने अपने पत्र में कहा, '45 साल या उससे अधिक उम्र की आबादी का एक बड़ा हिस्सा अर्थव्यवस्था के संगठित क्षेत्र में कार्यरत है और कार्यालय या विनिर्माण एवं सेवाओं में औपचारिक पेशों में संलग्न हैं।' कार्यस्थल का प्रबंधन किसी वरिष्ठ कर्मचारी को नोडल अधिकारी बनाएगा, जो जिला स्वास्थ्य अधिकारियों और निजी टीकाकरण केंद्रों के साथ तालमेल कायम करेगा। नोडल अधिकारी पंजीकरण, भौतिक एवं तकनीकी बुनियादी ढांचे की व्यवस्था भी देखेगा। इन केंद्रों में केवल कर्मचारियों को टीकाकरण कराने की मंजूरी होगी और बाहरी या परिवार के सदस्यों को टीके लगवाने की मंजूरी नहीं दी जाएगी। तत्काल पंजीकरण की सुविधा भी मुहैया कराई जाएगी। प्रत्येक टीकाकरण केंद्र को नजदीकी निजी या सरकारी टीकाकरण केंद्र से जोड़ा जाएगा। सरकार की तरफ से जारी दिशानिर्देशों के मुताबिक एक बार कम से कम 50 लाभार्थी पंजीकृत होने पर टीकाकरण केंद्र की योजना बनाई जाएगी और इसका कार्यक्रम 15 दिन पहले बनाया जा सकता है। सौ लोगों के टीकाकरण के लिए एक पूर्ण प्रशिक्षित टीकाकरण टीम प्रत्येक केंद्र को मुहैया कराई जाएगी। अगर लोग ज्यादा होंगे तो अतिरिक्त टीम मुहैया कराई जाएंगी। कार्यालय अपने यहां टीकाकरण, निगरानी और प्रतीक्षा स्थल की खातिर पर्याप्त कमरे मुहैया कराने के लिए जिम्मेदार होगा। भूषण ने कहा कि सरकार का प्रयास टीकाकरण अभियान को लाभार्थियों के लिए ज्यादा व्यावहारिक, स्वीकार्य और उद्देश्यपूर्ण बनाना है। देश में अब तक टीके की 8.7 करोड़ से अधिक खुराक लगाई जा चुकी हैं, जिनमें 33 लाख खुराक पिछले 24 घंटे में लगाई गई हैं।पंजाब: सभी जिलों में कर्फ्यू पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने कोविड-19 स्थिति पर समीक्षा बैठक में संक्रमण दर एवं मृत्यु दर में तेजी आने पर चिंता जाहिर करते हुए बुधवार को कहा कि रात 9 बजे से सुबह 5 बजे तक का रीत्रिकालीन कफ्र्यू अब सभी 22 जिलों में लागू रहेगा। इसे अभी तक 12 जिलों में ही लगाया लगाया था। नई पाबंदियों के तहत बंद जगह में अंतिम संस्कार या शादियों में 50 लोगों तथा खुली जगह में ऐसे अवसरों पर केवल अतिथियों की अनुमति होगी। नई पाबंदियों और पुरानी पाबंदियां 30 अप्रैल तक प्रभाव में रहेंगी। पुरानी पाबंदियों के तहत विद्यालय एवं शिक्षण संस्थान बंद किए गए थे। नई पाबंदियों के तहत मॉलों में दुकानदारों को कुछ राहत दी गई है।अकेले हैं तो भी मास्क जरूरी दिल्ली उच्च न्यायालय ने बुधवार को कहा कि कोविड-19 महामारी के दौरान चेहरे को ढकना सुरक्षा कवच की तरह है और निजी वाहन में ड्राइविंग करते हुए अकेले होने के बावजूद भी मास्क पहनना अनिवार्य है। न्यायमूर्ति प्रतिभा एम सिंह ने निजी वाहन में अकेले ड्राइविंग करते हुए मास्क नहीं पहनने पर चालान काटने के दिल्ली सरकार के फैसले में हस्तक्षेप करने से भी इनकार करते हुए कहा कि अगर किसी वाहन में केवल एक व्यक्ति बैठा है तो भी उसे भी सार्वजनिक स्थान माना जाएगा। अदालत ने कहा, 'कोविड-19 महामारी के संदर्भ में मास्क पहनना अनिवार्य है। अदालत ने कहा कि मास्क पहनना जरूरी है चाहे किसी व्यक्ति ने टीका लगवा रखा हो या नहीं।' न्यायमूर्ति सिंह ने वकीलों की उन चार याचिकाओं को खारिज करते हुए ये टिप्पणियां की जिनमें अकेले निजी वाहन चलाते हुए मास्क न पहनने के लिए भी चालान काटने को चुनौती दी गई थी। सुनवाई के दौरान स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय का प्रतिनिधित्व कर रहे वकील फरमान अली माग्रे ने अदालत को बताया कि उसने ऐसा कोई निर्देश जारी नहीं किया है जिसमें लोगों को कार में अकेले बैठे रहने के दौरान भी मास्क पहनने के लिए कहा गया है। मंत्रालय ने कहा कि स्वास्थ्य राज्य का विषय है और दिल्ली सरकार को इस पर फैसला लेना है। दिल्ली सरकार ने अदालत को बताया था कि पिछले साल अप्रैल में एक आदेश के जरिये किसी आधिकारिक या निजी वाहन में ड्राइविंग करते वक्त मास्क पहनना अनिवार्य किया गया था और यह अब भी लागू है। साथ ही उसने कहा कि उच्चतम न्यायालय ने निजी वाहन को सार्वजनिक स्थान बताया था।महाराष्ट्र पर बरसे हर्षवर्धन केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने महाराष्ट्र और कुछ अन्य राज्यों पर बुधवार को हमला बोला और उन पर पर्याप्त पात्र लाभार्थियों को टीका लगाए बिना सभी के लिए टीकों की मांग कर लोगों में दहशत फैलाने तथा अपनी विफलताएं छिपाने की कोशिश करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि टीकों की कमी को लेकर महाराष्ट्र के सरकारी प्रतिनिधियों के बयान और कुछ नहीं बल्कि वैश्विक महामारी के प्रसार को रोकने की महाराष्ट्र सरकार की बार-बार की विफलताओं से ध्यान भटकाने की कोशिश है। हर्षवर्धन ने कहा कि टीकों की कमी के आरोप पूरी तरह निराधार हैं। उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र द्वारा की जा रही जांचें पर्याप्त नहीं हैं और संक्रमितों के संपर्क में आने वालों का पता लगाना भी संतोषजनक नहीं है। बेड -टीके की किल्लत महाराष्ट्र में खून और टीका की कमी की बात सामने आ रही है। महाराष्ट्र सरकार के मुताबिक राज्य में टीकों की खुराकें महज तीन दिन के लिए बची है जबकि रक्त का स्टॉक महज एक सप्ताह के लिए बचा है। रक्त और टीकों की कमी के कारण राज्य में कई टीकाकरण केंद्रों को बंद करना पड़ रहा है। महाराष्ट्र में कोरोना मरीजों की संख्या इस कदर बढ़ी है कि अस्पतालों में बेड, रक्त और टीकाकरण केंद्रों में टीकों की कमी होने लगी है। महाराष्ट्र के स्वास्थ्य मंत्री राजेश टोपे ने बुधवार को कहा कि राज्य के पास कोविड-19 के टीके की 14 लाख खुराकें ही बची हुई हैं जो तीन दिन ही चल पाएंगी और टीकों की कमी के कारण कई टीकाकरण केंद्र बंद करने पड़ रहे हैं। बीएस
