एलजी के हैंडसेट बाजार से हटने का होगा सीमित प्रभाव | अर्णव दत्ता / नई दिल्ली April 06, 2021 | | | | |
मोबाइल हैंडसेट की घटती बिक्री से कई वर्षों तक जूझने के बाद कोरिया की इलेक्ट्रॉनिक्स एवं अप्लायंसेज कंपनी एलजी इलेक्ट्रॉनिक्स ने अंतत: अपने हैंडसेट कारोबार को समेटने का निर्णय लिया है। हालांकि कंपनी की इस पहल से एलजी के उत्पादों को पसंद करने वाले लोगों को थोड़ा झटका जरूर लगेगा लेकिन भारत में कंपनी के कारोबार और बाजार पर उसका कोई खास प्रभाव नहीं पड़ेगा।
कभी स्मार्टफोन और फीचर फोन दोनों बाजारों की एक प्रमुख कंपनी रह चुकी एलजी की मौजूदगी अब लगभग शून्य के करीब आ गई थी। कंपनी फ्लिपकार्ट जैसे ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के जरिये कुछ मॉडलों की बिक्री कर रही थी लेकिन खुदरा नेटवर्क में उसकी मौजूदगी कुछ ब्रांडेड स्टोरों तक ही सीमित हो गई थी।
साइबरमीडिया रिसर्च के प्रमुख (उद्योग खुफिया समूह) प्रभु राम के अनुसार, स्थानीय हैंडसेट बाजार में एलजी की हिस्सेदारी 2020 के अंत तक घटकर 0.5 फीसदी से भी कम रह गई थी। उन्होंने कहा, 'हालांकि उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक्स ब्रांड के तौर पर एलजी की एक मजबूत ब्रांड इक्विटी है लेकिन उसका मोबाइल कारोबार वैश्विक स्तर पर और भारत में तगड़ी प्रतिस्पर्धा का सामना करने में समर्थ नहीं हुआ।'
हालांकि एलजी दुनिया के सबसे पुराने मोबाइल हैंडसेट ब्रांडों में शामिल है लेकिन बाद में किस्मत ने उसका साथ नहीं दिया। साल 2013 में वह वैश्विक हैंडसेट बाजार में पांचवें पायदान पर थी लेकिन अपने इस शीर्ष मुकाम के बाद लगातार उसका बाजार खिसकता गया। आईडीसी के आंकड़ों से पता चलता है कि साल 2020 तक उसकी बाजार हिस्सेदारी घटकर 2 फीसदी रह गई थी।
तमाम नवाचारों के बावजूद एलजी भारत में शीर्ष हैंडसेट कंपनियों की जमात में अपनी जगह बनाने में विफल रही। आईडीसी के अनुसंधान निदेशक नवकेंद्र सिंह ने कहा, 'भारत में वह कभी बड़ी कंपनी नहीं बन पाई जबकि उसने कई चीजें समय से पहले लेकर आई जैसे 3डी स्क्रीन फोन, वाइड एंगल, कव्र्ड स्क्रीन फोन आदि।'
विपणन से लेकर वितरण एवं चैनल के विकास में निवेश तक कई मोर्चो पर उसके प्रयास सैमसंग एवं नोकिया जैसी शुरुआती दिनों की प्रमुख प्रतिस्पर्धियों के मुकाबले कमतर साबित हुए। सिंह ने कहा कि आक्रामक विस्तार रणनीतियों के साथ चीनी ब्रांडों के प्रवेश के बाद एलजी के लिए स्थानीय स्मार्टफोन बाजार अपनी जगह बनाना आसान नहीं रह गया।
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