'नीतिगत पहल से बढ़ा एफपीआई निवेश' | समी मोडक / मुंबई April 06, 2021 | | | | |
विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) ने 2020-21 में भारत में रिकॉर्ड निवेश किया। मार्च 2021 में समाप्त वित्त वर्ष में एफपीआई का कुल निवेश 2.74 लाख करोड़ रुपये (37 अरब डॉलर) रहा। इससे पहले वित्त वर्ष 2013 में एफपीआई ने रिकॉर्ड निवेश किया था और तब उनका कुल निवेश 1.4 लाख करोड़ रुपये (25.8 अरब डॉलर) रहा था। एनएसडीएल के आंकड़ों से यह जानकारी मिली।
मंगलवार को जारी प्रेस विज्ञप्ति में वित्त मंत्रालय ने कहा है कि पिछले वित्त वर्ष में हुए रिकॉर्ड निवेश की वजह नीतिगत पहल और अर्थव्यवस्था में तेजी हो रही रिकवरी थी।
इसमें कहा गया है, एफपीआई का रिकॉर्ड निवेश अनुमान से तेज आर्थिक रिकवरी की पृष्ठभूमि में हुआ, जिसे कई चरणों में दिए गए राहत पैकेज से सहारा मिला। सरकार और नियामकों ने कई नीतिगत पहल की, जो एफपीआई के लिए पहुंच आसान बनाने और निवेश का माहौल बनाए के लिए की गई थी।
ज्यादातर उभरते बाजारों ने पिछले 12 महीने में रिकॉर्ड पूंजी प्रवाह दर्ज किया, जिसे वैश्विक केंद्रीय बैंकों की तरफ से उठाए गए राहत भरे कदम (खास तौर से अमेरिकी फेडरल रिजर्व) से सहारा मिला।
हालांकि भारत में हुआ निवेश ज्यादातर अन्य उभरते बाजारों के मुकाबबले ज्यादा रहा। वित्त मंत्रालय ने कहा, भारतीय कंपनियों में एफपीआई निवेश की 24 फीसदी की क्षेत्रीय सीमा से हुई बढ़ोतरी अहम इक्विटी इंडेक्सों में भारतीय प्रतिभूतियों के भारांक में इजाफे के लिहाज से उत्प्रेरक रही है, जिसके कारण भारी-भरकम इक्विटी निवेश भारतीय पूंजी बाजार में हुआ।
क्षेत्रीय सीमा को एफपीआई के निवेश की सीमा माने जाने से विदेशी निवेशकों के लिए कई भारतीय कंपनियों में निवेश की गुंजाइश बढ़ी। इससे इंडेक्स प्रदाताओं मसलन एमएससीआई और एफटीएसई अपने वैश्विक सूचकांकों में भारतीय कंपनियों का भारांकि बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित हुए।
सरकार ने कहा है कि एफपीआई के लिए निवेश में सहजता वाले नियम से भी मदद मिली। इनमें एफपीआई नियामकीय ढांचे को आसान बनाना और उपयुक्त बनाना, सेबी के पास पंजीकरण के लिए ऑनलाइन कॉमन ऐप्लिकेशन फॉर्म को चलन में लाना, पैन का आवंटन और बैंक व डीमैट खाता खोला जाना शामिल है।
विज्ञप्ति में कहा गया है, वित्त वर्ष 2021 में रिकॉर्ड निवेश भारतीय अर्थव्यवस्था के फंडामेंटल में विदेशी निवेशकों के मजबूत भरोसे को प्रतिबिंबित करता है।
विश्व बैंक, आईएमएफ व अन्य वैश्विक शोध संस्थानों ने वित्त वर्ष 2021-22 में 10 फीसदी से ज्यादा बढ़त की भविष्यवाणी की है, जो बताता है कि निकट भविष्य में भारत निवेश का आकर्षक गंतव्य बना रहेगा।
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