जुलाई से रोज भुगतान का तगादा करेंगे सरकारी बैंक | अनूप रॉय और अभिजित लेले / मुंबई April 05, 2021 | | | | |
आगामी 1 जुलाई से बैंक एसएमएस भेजकर आपको रोजाना बकाया भुगतान का ध्यान दिला सकते हैं। अभी यह तरीका दूरसंचार कंपनियां अपनाती हैं। बैंक, खासकर सार्वजनिक क्षेत्र के कर्जदाता सामान्यतया माह के अंत में एक बाद लोगों को भुगतान के लिए अलर्ट करते हैं।
भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा बैंकों के लिए उनकी गैर निष्पादित संपत्तियों (एनपीए) अलर्ट व्यवस्था को ऑटोमेटिक करने पर काम करते हुए चेन्नई के इंडियन बैंक ने ग्राहकों को आश्चर्यचकित करने वाला संदेश भेजा। अलर्ट में कहा गया है, 'बैंक की नीति में हुए बदलाव के मुताबिक जून 2021 के अंत से कर्ज खाते को रोजाना के आधार पर एनपीए माना जाएगा, जो अब तक मासिक आधार पर माना जाता था। आप नियत तिथि को या उसके पहले अपने कर्ज का भुगतान करें, जिससे आप ओवरड्यू उधारी लेने वाले (एसएमए/एनपीए)/जुर्माने/ऋणात्मक क्रेडिट स्कोर से बच सकें। इस सिलसिले में आप अपनी शाखा से संपर्क करें।' बैंकरों का कहना है कि इस तरह के अलर्ट बैंकों के लिए अनिवार्य नहीं हैं, लेकिन यह मानक बन सकता है अगर भुगतान में एक दिन की भी देरी होती है।
एसएमए एक विशेष उल्लेख खाता है, जिसमें ऐसे खाते आते हैं, जिसमें ईएमआई का भुगतान उस माह विशेष में नहीं हुआ होता है। जब इस तरह के भुगतान 90 दिन तक नहीं किए जाते तो वह एनपीए या खराब कर्ज बन जाता है।
14 सितंबर, 2020 को रिजर्व बैंक ने बैंकों से स्वत आय पहचान, संपत्ति वर्गीकरण और प्रॉविजनिग की व्यवस्था करने को कहा था। इसमें कहा गया था, 'कर्ज के आकार, क्षेत्र या सीमा के प्रकार को ध्यान में न रखकर अस्थायी ओवरड्राफ्ट सहित उधारी वाले सभी खातों को संपत्ति के वर्गकरण, अपग्रेड और प्रॉविजनिंग प्रॉसेस के लिए ऑटोमेटेड आईटी आधारित सिस्टम में डाला जाए।'
इंडियन बैंक के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, 'हमने सिस्टम आधारित रिजर्व बैंक के नियमों को लागू किया है। अब रोजाना अलर्ट जाएंगे, जैसा कि मोबाइल कंपनियां भुगतान की तिथि में चूक करने पर रोजाना भेजती हैं।' निजी क्षेत्र के एक बैंक के अधिकारी ने कहा कि इस तरह की व्यवस्था से बैंकों व ग्राहकों दोनों के व्यवहार में बदलाव होने की उम्मीद है। बैंकर ने कहा, 'नियम के मुताबिक 90 दिन भुगतान न करने पर खाता एनपीए में बदल जाता है। लेकिन बैंक माह के अंत तक इंतजार करते हैं। उदाहरण के लिए अगर एक खाता 5 मार्च को एनपीए होता है तो पहले बैंक इसे मार्च के अंत में एनपीए के रूप में वर्गीकृत करते थे। यह नियमों का उल्लंघन था।' शुरुआत में संपत्तियों के एसटीपी वर्गीकरण को लेकर बैंकों ने रिजर्व बैंक के नियमों की उपेक्षा की। मूल अधिसूचना 4 अगस्त, 2011 को आई थी, जब रिजर्व बैंक ने बैंकों से अपने सिस्टम को पूरी तरह ऑटोमेटेड करने को कहा था। रिजर्व बैंक ने अपनी अधिसूचना में कहा, 'लेकिन बैंक अभी भी एनपीए की पहचान मैनुअल करते हैं और साथ ही संपत्ति वर्गीकरण की सिस्टम जेनरेटेड व्यवस्था की अनदेखी करते हैं।' रिजर्व बैंक ने जोर दिया कि बैंक 30 जून तक अपने सिस्टम दुरुस्त कर लें।
निजी क्षेत्र के एक अधिकारी ने कहा, 'जो बैंकर नियमों का पालन नहीं करेंगे, नियामक उनके खिलाफ कार्रवाई कर सकता है।'
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