बिटकॉइन से निकलने की मिलेगी मोहलत! | श्रीमी चौधरी / नई दिल्ली April 04, 2021 | | | | |
सरकार क्रिप्टोकरेंसी (आभासी मुद्रा) धारकों को अपना निवेश निकालने के लिए उपाय का प्रावधान करने पर विचार कर रही है। असल में सरकार का मानना है कि आभासी मुद्राओं पर प्रतिबंध लगाने से लाखों निवेशकों का पैसा फंस सकता है, जिन्होंने पिछले कुछ वर्षों से इसमें निवेश किया है।
सूत्रों के अनुसार सरकार आभासी मुद्रा की खरीद-बिक्री, माइनिंग और उसे जारी करने पर प्रतिबंध लगाने से पहले निवेशकों को 3 से 6 महीने की मोहलत का प्रस्ताव कर सकती है।
समझा जाता है कि मार्च मध्य में कैबिनेट सचिव की अध्यक्षता में सचिवों के समूह की बैठक में आभासी मुद्रा को प्रतिबंधित किए जाने के असर आदि पर विचार-विमर्श किया गया था। सूत्रों ने कहा कि भारतीय रिजर्व बैंक सहित कई हितधारकों ने वर्चुअल मुद्रा को लेकर जताई चिंता पर भी चर्चा की गई। बैठक में क्या नतीजा निकला उसकी जानकारी नहीं मिल पाई है लेकिन आभासी मुद्रा पर प्रतिबंध लगाने से निवेशकों को होने वाले संभावित नुकसान पर चर्चा किए जाने की उम्मीद है। घटनाक्रम के जानकार एक सरकारी अधिकारी ने कहा, 'समिति इस मामले में अपनी राय देगी जिसका संबंधित मंत्रालयों और विभाग द्वारा मूल्यांकन किया जाएगा। उसके बाद आभासी मुद्रा पर कैबिनेट प्रस्ताव को अंतिम रूप दिया जाएगा।'
अधिकारी ने कहा कि आभासी मुद्रा का नियमन किसी भी केंद्रीय प्राधिकरण द्वारा नहीं किया जाता है। ऐसे में नई व्यवस्था से इस तरह की मुद्रा के नियमन में स्पष्टता आएगी। हालांकि नियमन और प्रतिबंध के अंतर को संबंधित प्रारूप में ध्यान रखा जाएगा। सूत्रों ने कहा कि अगर आभासी मुद्रा को अवैध करार दिया जाता है तो ऐसा करने से पहले कुछ मोहलत दी जाएगी, क्योंकि इस कदम से बाजार में हड़कंप मच सकता है। उन्होंने कहा कि सरकार को आभासी मुद्रा के फायदे-नुकसान के बारे में कई सुझाव मिले हैं। कुछ सुझाव उचित हैं।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने भी कहा था कि भारत आभासी मुद्रा या ब्लॉकचैन और फिनटेक पर सभी विकल्पों को बंद नहीं करने जा रहा है। हालंकि इससे पहले तक उन्होंने आभासी मुद्रा पर पूरी तरह से पाबंदी लगाने की बात कह रही थी क्योंकि इसमें बेतरतीब तरीके से भारी उतार-चढ़ाव होता है।
केंद्रीय मंत्री के इस बयान से यह संकेत मिला कि सरकार किप्टोकरेंसी पर प्रतिबंध लगाने के विषय पर फिलहाल कोई निर्णय नहीं ले पाई है। सरकारी सूत्रों का
कहना है कि इसमें कोई शक नहीं कि क्रिप्टोकरेंसी का बाजार लगातार तेजी से बढ़ रहा है और यही वजह है कि जब बिटकॉइन 61,000 डॉलर के स्तर पर पहुंच गया तो सरकार ने इस विधेयक में देरी कर दी। सचिवों की समिति और एक उच्च स्तरीय समिति ने भी इस वर्ष संकेत दिए थे कि सरकार द्वारा जारी आभासी मुद्राओं को छोड़कर बाकी सभी क्रिप्टोकरेंसी भारत में प्रतिबंधित रहेंगी। इसके बावजूद केंद्रीय मंत्रिमंडल से इसकी अनुमति पाने के लिए मसौदा भी नहीं तैयार किया गया।
इस बीच, आरबीआई ने अपना रुख नहीं बदला है और बार-बार कहा है कि कुछ बड़ी आभासी मुद्राएं वित्तीय स्थायित्व के लिए खतरा हैं। आरबीआई की यह चिंता हाल के सरकार के रुख से मेल नहीं खाती है।
आरबीआई ने एक आदेश जारी कर ऐसी मुद्राओं पर प्रतिबंध लगा दिया था, लेकिन पिछले वर्ष उच्चतम न्यायालय ने इस पर रोक लगा दी थी। आरबीआई पहले भी लोगों को ऐसी मुद्राओं में कारोबारी नहीं करने की सलाह जारी कर चुका है। रॉयटर्स की एक रिपोर्ट के अनुसार सरकार के कठोर रुख के बावजूद भारत में आभासी मुद्राओं लेनदेन बढ़ रहा है।
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