पेट्रोल में एथनाल मिश्रण रिकॉर्ड पर | संजीव मुखर्जी / नई दिल्ली April 02, 2021 | | | | |
भारत में पहली बार पेट्रोल में एथनाल मिश्रण 7,2 प्रतिशत से ऊपर पहुंच गया है। आपूर्ति वर्ष 2020-21 (दिसंबर से नवंबर) के पहले 4 महीनों के दौरान यह किया जा सका है। इससे देश 2022 तक 10 प्रतिशत एथनाल मिश्रण के लक्ष्य की ओर बढ़ा है।
उद्योग जगत के सूत्रों का कहना है कि अगर तेल विपणन कंपनियां (ओएमसी) अगले कुछ महीने के दौरान पूरी मात्रा में एथनाल ले लेती हैं तो मिश्रण का अखिल भारतीय स्तर नवंबर 2021 में सीजन के अंत तक 8 प्रतिशत तक पहुंच सकता है। अब तक पेट्रोल में एथनाल मिलाने का अखिल भारतीय स्तर पर सबसे बेहतर अनुपात करीब 5.2 प्रतिशत रहा है।
दरअसल महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, कर्नाटक, गुजरात, हरियाणा, पंजाब, दिल्ली, बिहार, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, गोवा, दमन और दीव में करीब 9.5 से 10 प्रतिशत एथनाल मिलाया गया है। इसका मतलब यह है कि ये राज्य 2022 के मिश्रण के 10 प्रतिशत लक्ष्य के करीब हैं। हालांकि यह आसान नहीं रहा है।
चीनी उद्योग का कनहा है कि 2020-21 सत्र के पहले चार महीने में मिश्रण और ज्यादा हो सकता था, लेकिन तेल विपणन कंपनियों की ओर से प्रत्येक डिपो में एथनाल भंडारण क्षमता के अनुमान में कुछ रणनीतिक त्रुटियां हुईं। इसकी वजह से मिलों को डिपो में एथनाल की आपूर्ति करनी पड़ी, जो उनकी उत्पादन इकाइयों से दूर थे।
उद्योग जगत के सूत्रों के आंकड़ों के मुताबिक 29 मार्च तक ओएमसी ने 2020-21 के लिए 4.57 अरब लीटर एथनाल की जरूरत बताई ती, जिसमें से 3.25 अरब लीटर के लिए कंपनियों की बोली को अंतिम रूप दिया गया। वहीं करीब 2.98 अरब लीटर एथनाल के लिए पहले ही अनुबंध हो चुका है, जिसमें से 1 अरब लीटर की आपूर्ति हो गई, जबकि शेष की डिलिवरी होनी है।
इसमें से करीब 77 प्रतिशत या 0.77 अरब लीटर एथनाल बी-हैवी मोलैसिस और गन्ने के रस से बनाया गया है, जिसकी वजह से 8 लाख टन अधिशेष चीनी में कमी आएगी। कुल मिलाकर उद्योग जगत का मानना है कि 2020-21 में करीब 20 लाख टन टीनी का उत्पादन कम होगा क्योंकि गन्ने का इस्तेमाल एथनाल के लिए हो रहा है।
चीनी कंपनियों का आरोप है कि ओएमसी ढुलाई की लागत वास्तविक दरोंं की तुलना में बहुत कम वापस कर रही हैं, क्योंकि आधार दर अक्टूबर 2020 में तय की गई थी (ईंधन के दाम बढऩे के पहले)। इसकी वजह से चीनी कंपनियों के ऊपर 3 से 5 रुपये प्रति लीटर अतिरिक्त बोझ अपनी जेब से भरना पड़ रहा है।
डीजल की दर अक्टूबर 2020 के बाद 25 प्रतिशत से ज्यादा बढ़ी है। इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन (आईएसएमए) सहित चीनी कंपनियों ने सुझाव दिया है कि अगर ओएमसी को लगता है कि ढुलाई की लागत में बदलाव नहीं हो सकता है तो ओएमसी को खुद ट्रांसपोर्ट कांट्रैक्ट करना चाहिए (जैसा कि पेट्रोल आपूर्ति के मामले में वे करती हैं) और उनका नाम चीनी कंपनियों को दिया जाना चाहिए।
अधिकारी ने कहा, 'इस तरह से चीनी कंपनियों को ढुलाई का शुल्क वापस नहीं लेना होगा, जबकि डीजल की आपूर्ति भी बहाल हो सकेगी।'
इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन के महानिदेशक अविनाश वर्मा ने कहा, 'हम आसानी से ज्यादा एथनाल की आपूर्ति कर सकते थे, अगर ओएमसी द्वारा कुछ डिपो के अनुमान लगाने में त्रुटि नहीं होती।'
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