जेफरीज में इक्विटी रणनीति के वैश्विक प्रमुख क्रिस्टोफर वुड ने अपने एशिया पैसीफिक एक्स-जापान रिलेटिव-रिटर्न पोर्टफोलियो में भारत के लिए 'ओवरवेट' भारांक दो प्रतिशत अंक तक घटा दिया है और सिंगापुर तथा ताइवान के भारंक में में 1-1 प्रतिशत अंक तक का इजाफा किया है। दिसंबर में, उन्होंने भारतीय शेयर बाजारों के लिए भारांक दोगुना बढ़ा दिया था और चक्रीयता क्षेत्रों पर अपना सकारात्मक नजरिया अपनाया था क्योंकि आर्थिक संकेतकों से सुधार का पता चला था। यह ताजा बदलाव पूरे देश में कोविड-19 मामलों में फिर से आई तेजी पर आधारित है जिसे लेकर वुड का मानना है कि इससे आर्थिक सुधार की गति प्रभावित हो सकती है। उनका कहना है कि बाजारों में कोविड मामलों में तेजी और छिटपुट लॉकडाउन का असर अभी नहीं दिख रहा है और ये लॉकडाउन कई प्रमुख शहरों में लगाए जा सकते हैं। निवेशकों की अपनी साप्ताहिक रिपोर्ट 'ग्रीड ऐंड फियर' में वुड ने लिखा है, 'भारत में कोविड मामलों में लगातार तेजी आ रही है, क्योंकि देश के उत्तरी क्षेत्र में मौसम गर्म हो रहा है। यह भारत में चक्रीय व्यवसाय के लिए जोखिम है, खासकर शेयरों में नए लॉकडाउन का असर नहीं दिखा है।' वुड ने ग्रीड ऐंड फियर के वैश्विक सॉवरिन बॉन्ड पोर्टफोलियो में आवंटन भारत सरकार के 10 वर्षीय प्रतिफल से बढ़ाकर 15 वर्ष कर दिया है जिसमें प्रतिफल 6.71 प्रतिशत है जो 10 वर्षीय जी-सेक के मुकाबले 54 आधार अंक ज्यादा है। उन्होंने कहा कि इससे पोर्टफोलियो पर मौजूदा प्रतिफल 4.48 प्रतिशत से बढ़कर 4.59 प्रतिशत हो जाएगा। महामारी के बाजूद भारतीय बाजारों ने एक दशक में अपना श्रेष्ठ वित्तीय प्रदर्शन दर्ज किया है और बीएसई के सेंसेक्स तथा निफ्टी-50 ने वित्त वर्ष 2021 में 68 प्रतिशत और 71 प्रतिशत का प्रतिफल दिया। विश्लेषकों का कहना है कि टीकाकरण की रफ्तार और कॉरपोरेट आय की गति से बाजार को नई दिशा मिलेगी। आर्थिक वृद्घि की चिंता नोमुरा के विश्लेषकों ने भी पूरे भारत में कोविड की दूसरी लहर के प्रभाव को लेकर चिंता जताई है और उनका मानना है कि इससे दीर्घावधि में आर्थिक वृद्घि की रफ्तार प्रभावित हो सकती है। हालांकि नोमुरा का मानना है कि मार्च के दूसरे पखवाड़े में दूसरी लहर शुरू होने की वजह से जनवरी-मार्च की पहली तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद वृद्घि में सालाना आधार पर 1 प्रतिशत की वृद्घि दर्ज की जा सकती है जो 2020 की चौथी तिमाही के 0.4 प्रतिशत से ज्यादा है। नोमुरा का कहना है कि कम सख्त लॉकडाउन, टीके से संबंधित उम्मीद और कंपनियों तथा उपभोक्ताओं द्वारा सोशल डिस्टेंसिंग के बीच कार्य में ढलने की वजह से प्रभाव कम पडऩे की आशंका है। नोमुरा में प्रबंध निदेशक एवं मुख्य अर्थशास्त्री सोनल वर्मा ने 1 अप्रैल को अरोदीप नंदी के साथ लिखी गई अपनी रिपोर्ट में कहा, 'हालांकि, यदि दूसरी लहर खतरनाक रहती है, जैसी कि आशंका जताई जा रही है, तो दूसरी तिमाही में रफ्तार कमजोर रहेगी और इससे दूसरी तिमाही की जीडीपी वृद्घि सालाना आधार पर कमजोर पड़कर 32.5 प्रतिशत और वित्त वर्ष 2022 के लिए 12.2 प्रतिशत (13.5 प्रतिशत के मुकाबले) रह सकती है।' इन घटनाक्रम को देखते हुए कई अर्थशास्त्रियों का मानना है कि आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति 5 और 7 अप्रैल के बीच होने वाली आगामी समीक्षा में दरों को यथावत बनाए रखेगी।
