बीएस बातचीत चूंकि बाजार मार्च तिमाही के नतीजों का इंतजार कर रहे हैं, लेकिन रेनासां इन्वेस्टमेंट मैनेजर्स के संस्थापक एवं मुख्य निवेश अधिकारी पंकज मुरारका ने सलोनी गोयल को एक साक्षात्कार में बताया कि उन्हें निफ्टी कंपनियों द्वारा मार्च तिमाही में सालाना आधार पर 35 प्रतिशत की आय वृद्घि दर्ज किए जाने की संभावना है। पेश हैं उनके साथ हुई बातचीत के मुख्य अंश: निवेशकों को बाजार को लेकर कैसा रुख अपनाना चाहिए? हम तेजडिय़ों के बाजार में हैं और परिसंपत्ति वर्ग के तौर पर इक्विटी में उतार-चढ़ाव बने रहने का अनुमान है। हालांकि दीर्घावधि के साथ उतार-चढ़ाव में कमी आती है। इसलिए निवेशकों को दीर्घावधि निवेश पर ध्यान देना चाहिए और अल्पावधि के झटकों की चिंता किए बिना दीर्घावधि निवेश से जुड़े रहना चाहिए। मेरा मानना है कि इक्विटी बाजार अगले पांच साल के दौरान 15-20 प्रतिशत की सालाना वृद्घि दर का प्रतिफल दे सकते हैं। जैसे ही अर्थव्यवस्थाओं में सुधार आएगा, मझोले आकार के व्यवसायों में तेजी से बदलाव दिखेगा।कोविड की दूसरी लहर का भारतीय उद्योग जगत की आय पर कितना प्रभाव पडऩे की आशंका है? दूसरी लहर का अर्थव्यवस्था पर कुछ अल्पावधि प्रभाव पड़ेगा, लेकिन मैं नहीं मानता कि स्थिति ज्यादा चिंताजनक है क्योंकि यह गुजरता दौर है। यूरोप और अमेरिका की सभी मुख्य अर्थव्यवस्थाएं दूसरी लहर से गुजरी हैं और वे इसका मुकाबला करने में सक्षम रहीं। चौथी तिमाही में हमें निफ्टी कंपनियों द्वारा सालाना आधार पर 35 प्रतिशत की आय वृद्घि दर्ज किए जाने की उम्मीद और इसे कुछ हद तक पिछले साल के कम आधार से मदद मिलेगी।आपके पसंदीदा क्षेत्र कौन से हैं? घरेलू रिकवरी में तेजी आएगी। इसलिए हम बैंक और वाहन जैसे घरेलू-केंद्रित व्यवसायों पर उत्साहित हैं। वाहन क्षेत्र में, वाणिज्यिक वाहन सेगमेंट में अगले दो-तीन साल में अच्छा सुधार दिखेगा। इसी तरह हम निजी क्षेत्र के प्रमुख बैंकों के अलावा भारतीय स्टेट बैंक को भी पसंद कर रहे हैं।हमारा मानना है कि भारत के निवेश चक्र में सुधार के संकेत दिखे हैं जो पिछले दशक में गायब थे। यदि वृद्घि में सुधार आता है तो कई प्रमुख उद्योगों में हम दो-तीन साल के सर्वाधिक क्षमता इस्तेमाल के करीब होंगे। इस्पात, बिजली, कोयला, रेलवे जैसे कुछ प्रमुख क्षेत्रों की कुछ कंपनियों ने क्षमता बढ़ाने के लिए निवेश की योजनाएं बनानी शुरू कर दी हैं।धातुओं के बारे में क्या कहना चाहेंगे? वैश्विक रूप से धातु कीमतों में तेजी आई है और इन्हें मजबूत मांग तथा अल्पावधि आपूर्ति किल्लत से मदद मिली। कई धातु कंपनियों के लिए, पिछले 10 साल में क्षमता वृद्घि के संदर्भ में नया निवेश नहीं हुआ। इसके परिणामस्वरूप, यदि मांग में सुधार बना रहता है तो धातु कीमतें ऊंची बनी रहेंगी और यह क्षेत्र अच्छा प्रदर्शन करेगा।आपके नजरिये से सफल दांव कौन से हैं? कई पीएसयू शेयरों में अच्छी वैल्यू है, क्योंकि उनमें पिछले 10 वर्षों के दौरान रेटिंग में कमी दर्ज की गई। इन में से कई कंपनियों की आंतरिक वैल्यू बाजार की उम्मीद के मुकाबले काफी ज्यादा है। सरकार ने सभी क्षेत्रों की कुछ कंपनियां बेचने के लिए विनिवेश योजना की घोषणा की है। हमारा मानना है कि यह रणनीति पीएसयू में वैल्यू जुटाने के लिए एक मुख्य उत्प्रेरक के तौर पर काम करेगी, क्योंकि ये कंपनियां काफी सस्ते मूल्यांकन पर कारोबार कर रही हैं।
