रीन्यू पावर ग्रीन बॉन्ड के जरिये 75.5 करोड़ डॉलर जुटाने के लिए बाजार में उतरी है। भारतीय कंपनियों द्वारा इस कैलेंडर वर्ष के दौरान अब तक करीब 5 अरब डॉलर के कुल ग्रीन बॉन्ड एवं ऋण पत्र जारी किए जा चुके हैं। पिछले फरवरी के आरंभ में कंपनी ने 'ऑर्फन सब्सिडिएरी' मॉडल के जरिये निर्गम जारी करते हुए 46 करोड़ डॉलर जुटाए थे जो विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) को रुपये में निवेश करने के लिए रकम जुटाने में समर्थ बनाता है। लेकिन इस बार कंपनी अपने ऋण की अदायगी के लिए रकम जुटाने में अपनी पांच से छह प्रत्यक्ष सहायक इकाइयों का उपयोग कर रही है। इस सौदे के करीबी सूत्रों ने कहा कि इस फंड की अवधि थोड़ा असामान्य- 7.25 वर्ष है। बाजार में उपलब्ध स्वैप ऑप्शन की अवधि आमतौर पर 5 वर्षों की होती है। एक सूत्र ने बताया कि कंपनी के पास 5 साल से अधिक के स्वैप का विकल्प है। जेपी मॉर्गन, बार्कलेज, एचएसबीसी और नोमुरा इस ऋण के लिए प्रबंधक के रूप में काम कर रहे हैं। इसकी अवधि इसलिए अधिक रखी गई है क्योंकि कंपनी एक बार बॉन्ड जारी करने के बाद महज एक तिमाही के भीतर दूसरी पेशकश के साथ बाजार में उतर सकती है। इस प्रकार दोबारा जारी किए जाने से कंपनी के लिए उसकी परिपक्वता अवधि सात साल की हो जाएगी। रीन्यू एकमात्र ऐसी कंपनी नहीं है जो ग्रीन बॉन्ड बाजार में सक्रिय है। पिछले कुछ वर्षों के मुकाबले साल 2021 में ग्रीन बॉन्ड जारी करने में काफी तेजी दर्ज की गई है। कारोनावायरस वैश्विक महामारी के बावजूद ग्रीन बॉन्ड की अच्छी मांग दिखी क्योंकि निवेशकों को निवेश के लिए अच्छे साधनों की तलाश थी। इसके अलावा सौदा प्रबंधकों का कहना है कि विदेशी निवेशक पर्यावरण, सामाजिक, कंपनी प्रशासन (ईएसजी) उधारी आदि पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। इस प्रकार की परियोजनाओं के लिए रकम जुटाने की प्रक्रिया में शामिल रहे एक वरिष्ठ बैंकर ने कहा, 'विदेशी बाजार में काफी नकदी उपलब्ध है लेकिन निवेशक उन्हीं उधारकर्ताओं को रकम देने के लिए तैयार हैं जो कुछ प्रतिबद्धताएं दिखाते हैं। यह दोनों पक्षों के लिए फायदे का सौदा है और यह समाज के लिए भी फायदेमंद है।' साल 2020 में भारतीय कंपनियों ने डॉलर बॉन्ड के जरिये विदेशी बाजारों से करीब 10 अरब डॉलर जुटाए थे। लेकिन 2021 में अब तक रीन्यू पावर के आगामी बॉन्ड सहित भारत से करीब 5 अरब डॉलर से अधिक के डॉलर ग्रीन बॉन्ड जारी किए गए हैं। इसके अलावा कई कंपनियां इस प्रकार के बॉन्ड जारी करने की तैयारी कर रही हैं।एमएफआई आशीर्वाद को सूचीबद्ध कराएगी मणप्पुरम देश की दूसरी सबसे बड़ी गोल्ड लोन कंपनी मणप्पुरम फाइनैंस अपनी माइक्रोफाइनैंस इकाई आशीर्वाद माइक्रोफाइनैंस को एक साल के भीतर सूचीबद्ध कराने पर विचार कर रही है। कंपनी के आला अधिकारी ने यह जानकारी दी। 5,360 करोड़ रुपये के लोन पोर्टफोलियो और 23 राज्यों में फैले 25 लाख ग्राहकों के साथ चेन्नई मुख्यालय वाली आशीर्वाद लोनबुक के लिहाज से देश की चौथी सबसे बड़ी माइक्रोफाइनैंस लेनदार है। साल 2008 में एस वी राजा वैद्यनाथन की तरफ से गठित आशीर्वाद का फरवरी 2015 में 48.63 करोड़ रुपये में मणप्पुरम ने अधिग्रहण कर लिया था। वीपी नंदाकुमार की अगुआई वाली कंपनी ने पहले 71 फीसदी हिस्सेदारी खरीदी और बाद में उसे बढ़ाकर 95 फीसदी कर दिया। बाकी हिस्सेदारी संस्थापक वैद्यनाथन के पास है। एजेंसियां
