दिवालिया अधिनियम के तहत भूषण पावर ऐंड स्टील (बीपीएसएल) का अधिग्रहण पूरा करने के बाद सज्जन जिंदल के नियंत्रण वाली जेएसडब्ल्यू स्टील की नजर अब नीलाचल इस्पात निगम (एनआईएनएल) पर है। सूत्रों ने कहा कि कंपनी ने एनआईएनएल के लिए अभिरुचि पत्र जमा कराया है। अभिरुचि पत्र जमा कराने की आखिरी तारीख सोमवार है। जेएसडब्ल्यू स्टील के एक वरिष्ठ अधिकारी ने इस पर टिप्पणी करने से मना कर दिया। नीलाचल इस्पात का स्वामित्व केंद्र व राज्य की पीएसयू के पास है और एमएमटीसी, इंडस्ट्रियल प्रमोशन ऐंड इन्वेस्टमेंट कॉरपोरेशन ऑफ ओडिशा (आईपीआईसीओएल), एनएमडीसी और ओडिशा माइनिंग कॉरपोरेशन (ओएमसी) अहम शेयरधारक हैं। सरकार ने नीलाचल इस्पात की 93.71 फीसदी हिस्सेदारी का विनिवेश रणनीतिक खरीदार को करने के लिए अभिरुचि पत्र आमंत्रित किया था और इसकी पहचान दो चरण वाली नीलामी प्रक्रिया के जरिए होगी। लॉन्ग स्टील उत्पाद वाली इकाई नीलाचल इस्पात के पास 11 लाख टन क्षमता है और वह पिग आयरन व बिलेट्स का उत्पादन करती है। जेएसडब्ल्यू स्टील के अलावा अहम स्टील कंपनियां मसलन टाटा स्टील, एएम/एनएस इंडिया और वेदांत की स्वामित्व वाली ईएसएल स्टील भी नीलाचल इस्पात के विनिवेश प्रक्रिया में हिस्सा ले सकती हैं। 25 लाख टन क्षमता वाली भूषण पावर ऐंड स्टील के अधिग्रहण के साथ जेएसडब्ल्यू स्टील की स्टील निर्माण क्षमता में इजाफा किया और देश की सबसे बड़ी स्टील कंपनी के पुराने तमगे को दोबारा हासिल कर लिया। इस पर वह साल 2018 तक काबिज रही। हालांकि दिवालिया संहिता के तहत दबाव वाली स्टील परिसंपत्तियों की नीलामी के बाद इस पर वह काबिज नहीं रह पाई जब टाटा स्टील ने भूषण स्टील का अधिग्रहण किया। भूषण पावर ऐंड स्टील के अधिग्रहण के बाद अब उसकी रणनीति डाउनस्ट्रीम क्षमता में इजाफे की है और जेएसडब्ल्यू डाउनस्ट्रीम व छोटी स्टील कंपनियों पर नजर रख रही है और एनआईएनएल इस रणनीति में फिट बैठती है। साथ ही एनआईएनएल का संयंत्र कलिंगनगर इंडस्ट्रियल कॉम्पलैक्स धुबरी (ओडिशा) में है और जेएसडब्ल्यू ने भूषण पावर ऐंड स्टील के अधिग्रहण के साथ राज्य में अभी कदम ही रखा है, जिसका मुख्य संयंत्र झारसुगुड़ा, ओडिशा में है। जेएसडब्ल्यू की थोड़ी मौजूदगी छत्तीसगढ़ में है, जो मोनेट इस्पात ऐंड एनर्जी (एयॉन के साथ संयुक्त स्वामित्व) के जरिए है। मोनेट का नामकरण अब जेएसडब्ल्यू इस्पात स्पेशल प्रॉडक्ट्स कर दिया गया है। पूर्व में (खास तौर से ओडिशा) विस्तार का जेएसडब्ल्यू के लिए मतलब बनता है क्योंकि राज्य में कैप्टिव खदान उसने पिछले साल पाया है, जब राज्य सरकार ने 19 खदानों की नीलामी की। जेएसडब्ल्यू ने खनन किए गए अयस्क पर 95 से 110 फीसदी प्रीमियम के भुगतान पर सहमति जताकर साल 2020 में चार खदान हासिल किए थे। इन खदानों में 1 अरब टन से ज्यादा का भंडार है। इसके अतिरिक्त ओडिशा में कंपनी की योजना 1.32 करोड़ टन क्षमता वाले संयंत्र लगाने की है। पूर्वी इलाके से जेएसडब्ल्यू उत्तर को सेवाएं देने में सक्षम होगी। साथ ही मालभाड़े के लिहाज से पश्चिमी या दक्षिणी इलाके से यहां सेवाएं देना उसके लिए महंगा है। नई परियोजना हालांकि तब हाथ में ली जाएगी जब ब्राउनफील्ड परियोजना पूरी हो जाएगी। डोल्वी (महाराष्ट्र) में 50 लाख टन क्षमता का विस्तार हो रहा है, जो जून से पहले चालू हो जाएगा। यह जेएसडब्ल्यू की क्षमता 2.65 करोड़ टन पर पहुंचा देगा।
