उत्तर प्रदेश में हाईटेक टाउनशिप बना रही रियल्टी कंपनियों को योगी सरकार ने बड़ी राहत दी है। इस तरह की टाउनशिप बनाने वाली कंपियों को जमीन समय पर उपलब्ध न हो पाने कि दिक्कतों को भी प्रदेश सरकार ने दूर कर दिया है। अब हाईटेक टाउनशिप बना रही रियल्टी कंपनी के लिए निर्धारित जमीन की न्यूनतम सीमा 1500 एकड़ को भी संशोधित किया जाएगा। प्रदेश में अफोर्डेबल रेंटल हाउसिंग कांपलेक्स बनाने के लिए निजी क्षेत्र को प्रोत्साहन भी दिया जाएगा। इसके लिए मंत्रिपरिषद ने अफोर्डेबल रेंटल हाउसिंग कांपलेक्स नीति को मंजूरी दी है। योगी सरकार के इस फैसले का फायदा प्रदेश में हाईटेक टाउनशिप बना रही सात कंपनियों को मिलेगा। इसमें राजधानी में आवासीय परियोजना पर काम कर रही असंल और गर्व बिल्डटेक भी शामिल हैं। गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश में 13 रियल्टी कंपनियों को हाईटेक टाउनशिप के लिए लाइसेंस दिया गया था जिनमें से सात ने समय पर डीपीआर दाखिल कर काम शुरू किया है। प्रदेश सरकार के प्रवक्ता के मुताबिक मंत्रिपरिषद ने हाईटेक टाउनशिप नीति के तहत मु य सचिव की अध्यक्षता में गठित उच्च स्तरीय समिति के कार्य क्षेत्र में संशोधन संबंधी प्रस्ताव को मंजूरी दी है। समिति ने हाईटेक टाउनशिप के लिए विकास प्राधिकरणों, क्रेडाई, रियल्टी कंपनियों, खरीददारों व निवेशकों के साथ बातचीत कर संशोधन का प्रस्ताव तैयार किया था। संशोधित नीति के तहत वर्तमान में चल रही हाईटेक टाउनशिप परियोजनाओं के आकार को संबंधित विकास प्राधिकरण के स्तर से परीक्षण कराते हुए हाईटेक टाउनशिप के लिए जमीन की निर्धारित न्यूनतम सीमा 1,500 एकड़ से कम किए जाने के लिए उच्च स्तरीय समिति को अधिकृत किए जाने का फैसला लिया गया है। हाईटेक टाउनशिप परियोजना को पूरी करने के लिए 10 साल का अधिकतम समय दिया जाता है। ऐसी परियोजनाओं जहां काम अभी पूरा नहीं किया जा सका है, उन्हें पूरा करने के लिए केस-टू-केस आधार पर 80,000 रुपये प्रति एकड़ की दर से समय विस्तार शुल्क वसूलने के बाद पांच साल का अतिरिक्त समय दिया जाएगा। हालांकि इस दौरान अगर किसी अदालती आदेश या प्रशासनिक वजहों से काम पूरा करने में देर हुयी हो तो उस अवधि को नहीं जोड़ा जाएगा। गुरुवार देर शाम हुई मंत्रिपरिषद की बैठक में अफोर्डेबल रेंटर हाउसिंग कांप्लेक्स नीति को मंजूरी देते हुए निजी क्षेत्र के रियायतों का एलान किया गया है। इसके तहत अब इस श्रेणी के बिक्री के लिए बने मकान के खाली रहने पर उसे वाजिब दर पर किराये के लिए दिया जा सकेगा। अगर निजी क्षेत्र अपनी जमीन पर अफोर्डेबल रेंटल सापलेक्स बनाते हैं तो उन्हें जीएसटी में छूट समेत कई रियायतें दी जाएंगी। इस तरह के भवनों को कम से कम 25 साल के लिए किराये पर दिया जाएगा जिसे समय समय पर बढ़ाया जा सकेगा।
