दूसरी लहर का वृद्धि पर नहीं असर: दास | अनूप रॉय / मुंबई March 26, 2021 | | | | |
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर शक्तिकांत दास ने आज कहा कि कोविड की दूसरी लहर से आर्थिक वृद्धि पर बहुत ज्यादा असर नहीं पडऩे के आसार हैं। उन्होंने आगामी वित्त वर्ष 2021-22 के लिए आरबीआई के 10.5 फीसदी वृद्धि के पूर्वानुमान को बरकरार रखा। उनका आश्वासन इसलिए महत्त्वपूर्ण है क्योंकि कोविड के नए मामले बढ़ रहे हैं और उसके नतीजतन बहुत से शहरों में लॉकडाउन लगाए जा रहे हैं।
आरबीआई गवर्नर ने टाइम्स नेटवर्क द्वारा आयोजित आर्थिक सम्मेलन में कहा, 'आर्थिक गतिविधियों में सुधार बिना किसी अवरोध के जारी रहने की संभावना है। मुझे नहीं लगता कि आरबीआई की तरफ से पिछले महीने जारी वित्त वर्ष 2022 के आर्थिक वृद्धि के अनुमान 10.5 फीसदी को घटाने की जरूरत पड़ेगी।'
देश में रोजाना 50,000 से अधिक कोविड के नए मामले सामने आ रहे हैं। देश के बहुत से हिस्सों, विशेष रूप से महाराष्ट्र में संक्रमण बढ़ रहा है, जिससे इक्विटी और बॉन्ड बाजारों में घबराहट है। चिंता की बात यह है कि ज्यादातर संक्रमण वायरस के नए रूप की वजह से फैल रहा है। इससे भी बड़ी चिंता यह है कि वित्तीय राजधानी मुंबई में कोविड के मामले इस साल के सर्वोच्च स्तर पर पहुंच गए हैं। यहां आज कोविड के 5,000 से अधिक नए मामले आए।
आरबीआई गवर्नर ने कहा, 'इस समय किसी को भी उस तरह के लॉकडाउन के आसार नजर नहीं आ रहे हैं, जो हमने पिछले साल अनुभव किया था।
आरबीआई अप्रैल के पहले सप्ताह में अपनी मौद्रिक नीति की घोषणा करेगा। दास ने कहा कि बॉन्ड बाजार और केंद्रीय बैंक के बीच कोई झगड़ा नहीं है। सरकार ने वित्त वर्ष की अंतिम नीलामी अच्छी नकदी की वजह से रद्द कर दी।
उन्होंने कहा, 'हम बार-बार इस बात पर जोर दे रहे हैं कि प्रतिफल क्रमिक रूप से बढऩा चाहिए। इसमें अचानक बढ़ोतरी नहीं होनी चाहिए।' इस साल केंद्र सरकार की शुद्ध उधारी 9 लाख करोड़ रुपये है और चालू वर्ष में आरबीआई ने 3 लाख करोड़ रुपये के सरकारी बॉन्डों खुले बाजार से खरीदारी की है। गवर्नर ने कहा, 'इसलिए अगले साल आंकड़ा उससे कम नहीं रहेगा बल्कि यह अधिक रहेगा। हमने परिपक्वता तक रखने वाले बॉन्डों के लिए विशेष प्रावधान किया है, जो 4 लाख करोड़ रुपये के होंगे। इसलिए 7 लाख करोड़ रुपये पहले से उपलब्ध हैं और अंतर केवल दो लाख करोड़ रुपये है। हमें पूरा भरोसा है कि हम इसकी व्यवस्था कर लेंगे।' उन्होंने कहा कि प्रतिफल वक्र का क्रमबद्ध तरीके से बढऩा बहुत महत्त्वपूर्ण है क्योंकि प्रतिफल में बेतरतीब बढ़ोतरी वृद्धि में अवरोध का काम कर सकती है और आर्थिक सुधार को कमजोर कर सकती है। सरकार के बॉन्डों का प्रतिफल अन्य लोगों के लिए बाजार से उधारी लेने के बेंचमार्क के रूप में काम करता है।
आरबीआई का विदेशी मुद्रा भंडार खुद की जरूरतों के लिए है। विकसित अर्थव्यवस्थाओं की विस्तारवादी मौद्रिक नीति किसी समय रुकेगी और उसका उभरती बाजार अर्थव्यवस्थाओं पर असर पड़ेगा। ऐसे में उभरते बाजारों को अपने खजाने की तरफ झांकना पड़ेगा, इसलिए आरबीआई अपने खजाने को भर रहा है।
दास ने कहा कि आरबीआई रुपये को स्थिर रखने की कोशिश करेगा। बैंक निजीकरण को लेकर आरबीआई लगातार सरकार के साथ बातचीत कर रहा है और केंद्र हमेशा नियामक की राय पर विचार करता है। गवर्नर ने कहा कि आरबीआई सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (सीबीडीसी) पर भी काम कर रहा है, लेकिन पूरे एहतियात के साथ। उन्होंने कहा, 'हालांकि हम फिएट करेंसी का डिजिटल संस्करण पेश करने पर काम कर रहे हैं, लेकिन रिजर्व बैंक ऐसी सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (सीबीडीसी) पेश करने के वित्तीय स्थिरता पर असर का भी आकलन कर रहा है।'
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