देसी बाजारों का खराब प्रदर्शन | |
पुनीत वाधवा और अवधूत बागकर / नई दिल्ली 03 26, 2021 | | | | |
देश में कोविड के बढ़ते मामले, जिंस की कीमतों मेंं बढ़ोतरी और बॉन्ड प्रतिफल में इजाफे ने बाजार की धारणा को कमजोर किया है। एसऐंडपी बीएसई सेंसेक्स और निफ्टी-50 दुनिया भर में सबसे खराब प्रदर्शन करने वाले अग्रणी सूचकाकों में शामिल है।
16 फरवरी को कारोबारी सत्र में 52 हफ्ते के उच्चस्तर 52,516.76 अंक को छूने के बाद एसऐंडपी बीएसई सेंसेक्स अब तक 3,000 से ज्यादा यानी छह फीसदी टूट चुका है। आंकड़े बताते हैं कि इस अवधि में सिर्फ तुर्की, श्रीलंका, फिलिपींस और हॉन्गकॉन्ग का प्रदर्शन ही खराब रहा है। अगर विश्लेषकों की मानें तो भारतीय बाजारों में एक बार फिर तेजी आने से पहले कुछ और गिरावट की गुंजाइश बची हुई है।
वैश्विक स्तर पर सकारात्मक खबर अमेरिका की तरफ से 1.9 लाख करोड़ डॉलर का प्रोत्साहन पैकेज और टीके के मोर्चे पर अच्छी प्रगति ने अमेरिकी डॉलर में सुधार व अमेरिकी बॉन्ड प्रतिफल के प्रतिकूल असर को निष्प्रभावी कर दिया। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भंडार के तौर पर अमेरिकी डॉलर की भूमिका को देखते हुए अमेरिकी बाजार मेंं उतारचढ़ाव का असर वैश्विक जोखिम व उभरते बाजारों में नकदी की सख्त स्थिति पर पड़ेगा।
क्रेडिट सुइस वेल्थ मैनेजमेंट के भारतीय इक्विटी शोध प्रमुख जितेंद्र गोहिल ने प्रेमल कामदार के साथ एक नोट में कहा है, हमारी वैश्विक निवेश समिति ने हाल में उभरते बाजारोंं की इक्विटी को लेकर अपना परिदृश्य बेहतर प्रदर्शन से तटस्थ कर दिया है क्योंकि अमेरिकी डॉलर को लेकर अल्पावधि का पूर्वानुमान सुधरा है, जिसकी वजह बॉन्ड प्रतिफल में आई तेजी है।
गोहिल ने कामदार ने कहा, भारतीय इक्विटी बाजार काफी सकारात्मक चीजों को समाहित कर रहा है और कुछ और एकीकरण देखने को मिल सकता है। हालांकि भारतीय इक्विटी को लेकर उनका मध्यम से लंबी अवधि का नजरिया सकारात्मक बना हुआ है और निवेशकों को एकीकरण का इस्तेमाल खरीदारी के मौके के तौर पर करने की सलाह दे रहा है।
क्षेत्र की बात करें तो बैंकों पर इसका बड़ा असर पड़ा है। एसऐंडपी बीएसई बैंकेक्स ने काफी खराब प्रदर्शन किया है और 16 फरवरी को सेंसेक्स के 52 हफ्ते के उच्चस्तर को छूने के बाद से करीब 11 फीसदी फिसला है। ऑटो, रियल्टी, कैपिटल गुड्स व हेल्थकेयर इंडेक्स भी इस अवधि में बीएसई पर 5 फीसदी से लेकर 9.5 फीसदी टूटे हैं। एस इक्विटी के आंकड़ों से यह जानकारी मिली।
जियोजित फाइनैंंशियल सर्विसेज के मुख्य निवेश रणनीतिकार वी के विजयकुमार ने कहा, बाजार में अनिश्चितता जारी है क्योंकि भारत में कोविड की दूसरी लहर से जोखिम बढ़ रहा है। हालांकि राहत यह है कि दूसरी लहर, पहली के मुकाबले कम गंभीर है। वास्तविकता यह है कि टीकाकरण बढ़ रहा है और यह बाजार को सहारा दे सकता है। स्थिरता आने से पहले कुछ समय तक यहां उतारचढ़ाव बना रहेगा।
एंटिक स्टॉक ब्रोकिंग के विश्लेषकों के मुताबिक, अल्पावधि में चतुराई भरी रणनीति यह है कि निवेश योग्य रकम का आवंटन फार्मा क्षेत्र को किया जाए क्योंकि संक्रमण की दर एक बार फिर बढ़ रही है।
चार्ट से मिले और मुश्किल के संकेत
तकनीकी मानक भी मददगार नहीं हैं। करीब छह महीने बाद एसऐंडपी बीएसई सेंसेक्स टेक्निकल चार्ट पर 50 दिन के मूविंग एवरेज से नीचे आ गया, जिसका स्तर 50,055 था। 50 दिन के मूविंग एवरेज पर पहुंचने में नाकामी बिकवाली का दबाव बढ़ा सकता है और यह सेंसेक्स को 100 दिन के मूविंग एवरेज की तरफ ले जा सकता है, यानी मौजूदा स्तर से 4 फीसदी यानी 2,000 अंकों की गिरावट आ सकती है।
चार्ट बताता है कि मध्यम अवधि के नजरिये से 200 दिन का मूविंग एवरेज 41,900 के स्तर पर है, जो समर्थन का अहम स्तर है। जहां तक निफ्टी का सवाल है, जब तक इंडेक्स बंद स्तर पर 15,000 के स्तर पर विजय हासिल नहीं करता, इसका रुख कमजोर बना रहेगा।
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