भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) ने नीति आयोग के इस आग्रह को खारिज कर दिया है कि उसे अपनी परिसंपत्तियों को बेचने के पोर्टफोलियो में बढ़ोतरी करनी चाहिए क्योंकि प्राधिकरण यह फैसला निवेश प्रबंधक पर छोडऩा चाहता है। एनएचएआई ने उन परियोजनाओं की संख्या पर संदेह जताया था, जिन्हें वह बेच सकता है। इसके बाद नीति आयोग और निवेश एवं सार्वजनिक परिसंपत्ति प्रबंधन विभाग (दीपम) ने एनएचएआई से परिसंपत्तियों और उन्हें बेचने का तरीका चिह्नित करने को कहा था। इसने प्राधिकरण को बुनियादी ढांचा निवेश न्यास (इनविट) के अलावा परिसंपत्तियों को बेचने के अन्य तरीके भी तलाशने को कहा। माना जा रहा है कि एनएचएआई ने नीति आयोग को उसके साथ बातचीत के दौरान बताया है कि वह अगले चार साल के दौरान 7,000 किलोमीटर राजमार्गों को बेच सकता है। नीति आयोग से उन और परिसंपत्तियों को चिह्नित करने को कहा गया है, जिन्हें बेचा जा सकता है। यह कहा जा रहा है कि इस मामले पर दोनों विभागों के बीच काफी रस्साकशी चल रही है। एक अधिकारी ने बिज़नेस स्टैंडर्ड को बताया, 'नीति आयोग बेची जाने वाली परियोजनाओं की संख्या, उनकी लंबाई और निर्माण के तरीके के बारे में जानना चाहता था।' एनएचएआई ने कहा था कि परियोजनाओं को बेचने का फैसला, उनकी लंबाई और निर्माण के तरीके का फैसला एक स्वतंत्र निवेश प्रबंधक ने लिया था। अधिकारी ने कहा, 'निवेश प्रबंधक स्वायत्त है और उसे अंतरराष्ट्रीय निवेशक एक सरकारी संस्था के रूप में नहीं देख सकते क्योंकि वह पेशकश की जाने वाली परियोजनाओं की लंबाई का फैसला लेता है।' केंद्र सरकार के मंत्रालयों को 2021-22 से अगले तीन साल में अपनी परिसंपत्तियों को बेचकर 2.5 लाख करोड़ रुपये जुटाने का लक्ष्य दिया गया है। यह राष्ट्रीय मुद्रीकरण योजना का हिस्सा होगा। सड़क, परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय के लिए लक्ष्य 30,000 करोड़ रुपये तय किया गया है। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपने बजट भाषण में कहा था कि एनएचएआई और संसाधन जुटाने के लिए वर्ष 2024 से पहले कम से कम 12 राजमार्ग खंडों को बेचेगा। इन खंडों में 6,000 से अधिक किलोमीटर राजमार्ग शामिल हैं। एनएचएआई टीओटी (टोल-ऑपरेट-ट्रांसफर) के अलावा इनविट के जरिये भी परिसंपत्तियों को बेच रहा है। एनएचएआई अब तक सड़कों को बेचने की तीन किस्त ला चुका है। आंध्र प्रदेश और गुजरात में करीब 681 किलोमीटर राजमार्ग की नौ परियोजनाओं को 2018 में बेचा गया था। यह बिक्री सफल रही थी। विदेशी निवेशकों ने काफी रुचि दिखाई थी और टीओटी परियोजनाओं की पहली खेप मैक्वायरी को 9,681 करोड़ रुपये में दी गई, जो एनएचएआई के अनुमान से 1.5 गुना अधिक थी। चार राज्यों- राजस्थान, गुजरात, पश्चिम बंगाल और बिहार में 586 किलोमीटर की दूसरी खेप भी 2018 में आवंटित की गई थी, जिसे बाद में रद्द कर दिया गया। वर्ष 2019 में सिंगापुर की कंपनी क्यूब हाइवे सरकार के सड़क मुद्रीकरण कार्यक्रम के तीसरे दौर में विजेता बोलीदाता के रूप में उभरी थी। इस कंपनी ने 5,011 करोड़ रुपये की बोली लगाई थी। आर्थिक मामलों की कैबिनेट समिति (सीसीईए) ने नवंबर, 2019 में टीओटी मॉडल के तहत एनएचएआई के पास मुद्रीकरण के लिए उपलब्ध परियोजना आधार बढ़ाने और प्रतिभूतिकरण के जरिये चिह्नित सार्वजनिक वित्त पोषित या हाइब्रिड एन्यूइटी मॉडल (एचएएम) परियोजनाओं से प्राप्त टोल प्राप्ति पर धन जुटाने के लिए एनएचएआई को परियोजनाओं की खूबियों के आधार पर कंसेशन अवधि 15 से 30 साल के बीच अलग-अलग रखने की मंजूरी दी थी।
