सेमीकंडक्टर संयंत्रों पर जोर | सुरजीत दास गुप्ता / नई दिल्ली March 21, 2021 | | | | |
सरकार ने अपने महत्त्वाकांक्षी कदम के तहत अग्रणी वैश्विक कंपनियों को देश में सेमीकंडक्टर फैब्रिकेशन संयंत्र लगाने के लिए आकर्षित करने का निर्णय लिया है। इसका समन्वय इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के पास है, जिसने उन कंपनियों की सूची तैयार की है, जिनसे संपर्क किया जा सकता है। इनमें ताइवान की टीएसएमसी,
वीआईए टेक्नोलॉजीज और यूनाइटेड माइक्रोइलेक्ट्रॉनिक्स कॉर्पोशेन, अमेरिकी दिग्गज इंटेल, माइक्रॉन, एएक्सपी और टैक्सस इन्स्ट्रूमेंट्स, जापान की फूजी इलेक्ट्रिक और पैनासोनिक, यूरोपीयन चिप निर्माता इनफिनियन टेक्नोलॉजीज और एसटी माइक्रोइलेक्ट्रॉनिक्स और दक्षिण कोरियाई कंपनी एसके हाइनिक्स तथा सैमसंग शामिल हैं।
मंत्रालय ने पिछले साल दिसंबर में वैश्विक और भारतीय संयुक्त उपक्रमों से अभिरुचि पत्र मांगे थे। कंपनियों के लिए आरंभिक परियोजना रिपोर्ट जमा कराने की अंतिम तिथि 31 मार्च है।
इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने उन वैश्विक कंपनियों के नामों को भी अंतिम रूप दिया है, जिनसे प्रोत्साहन आधारित उत्पादन (पीएलआई) योजना के तहत पीसी और सर्वर के अलावा आईटी हार्डवेयर, लैपटॉप और टैबलेट विनिर्माण के लिए संपर्क किया जाएगा। इस योजना के अंतर्गत सरकार उत्पादन और निवेश लक्ष्य के हिसाब से संबंधित कंपनियों को 2 से 5 फीसदी तक आर्थिक प्रोत्साहन देगी। इसके लिए ताइवान की कंपनी क्वांटा, एसर, आसुस, फॉक्सकॉन और विस्ट्रॉन, अमेरिकी दिग्गज ऐपल, फ्लेक्स, डेल और सिस्को को लक्षित किया गया है। भारत की कुछ कंपनियों जैसे कोकोनिक्स और एचएलबीएस कंप्यूटर्स आदि से भी संपर्क किया जाएगा। इस पीएलआई के लिए 7,350 करोड़ रुपये का प्रोत्साहन रखा गया है।
सरकार तीन स्तरों पर फैब्रिकेशन संयंत्र स्थापित करने की संभावना तलाश रही है। इसके तहत एकीकृत डिजाइन विनिर्माताओं, फाउंड्रीज या भारतीय कंपनी के साथ कंसोर्टियम में नई इकाई लगाने अथवा मौजूदा इकाई के विस्तार का इरादा रखने वाली कंपनियों की दिलचस्पी का इंतजार है। इस संयंत्र में कंप्लीमेंट्री मेटल ऑक्साइड सेमीकंडक्टर (सीमॉस) तकनीक का उपयोग किया जाएगा। यह एकीकृत सर्किट बनाने की उन्नत विधि है। शुरुआत में संयंत्र में हर महीने 300 मिलीमीटर आकार के 30,000 वेफर बन सकेंगे।
दूसरे स्तर पर मंत्रालय उन्नत तकनीक वाली सेमीकंडक्टर इकाई स्थापित करने वाली इच्छुक कंपनियों को आमंत्रित करेगी। तीसरे चरण में कंसोर्टियम में शामिल ऐसी भारतीय कंपनियों को लक्षित करेगी, जो देश में सेमीकंडक्टर फैब्रिकेशन इकाई का अधिग्रहण करना चाहती हो।
लेकिन सरकार ने अभी यह फैसला नहीं किया है कि इस क्षेत्र में इच्छुक कंपनियों को कितना प्रोत्सान दिया जाएगा। मंत्रालय को उम्मीद है कि सेमीकंडक्टर और डिस्प्ले केंद्रित आयन बीम तकनीक के साथ देसी फैबलेस उत्पाद कंपनियों और इंटरनेट ऑफ थिंग्स उपकरणों के उत्पादन के लिए करीब 5 अरब डॉलर का प्रोत्साहन दिया जा सकता है।
सरकार ने संभावित निवेशकों से पूछा है कि वे किस तरह की वित्तीय सहायता चाहते हैं, जैसे अनुदान, इक्विटी या दीर्घावधि के लिए ब्याज मुक्त ऋण, कर लाभ या बुनियादी ढांचे की मदद।
कंपनियों से यह बताने के लिए भी कहा गया है कि उन्हें राज्यों से किस तरह की मदद की जरूरत है। इच्छुक कंपनियों को अपने निवेश और तकनीक की विशिष्टता का भी ब्योरा देना होगा। उसी विवरण के आधार पर सरकार विनिर्माण संयंत्र स्थापित करने के लिए योजना के तहत निर्णय करेगी। यह पहला मौका नहीं है जब सरकार ने देश में इस तरह का संयंत्र स्थापित करने की योजना बनाई है। 2007 में चर्चा थी कि इंटेल इस तरह की इकाई लगाने जा रही है, लेकिन अनुकूल नीति नहीं होने की वजह से बाद में वह चीन और वियतनाम चली गई। 2013 में सरकार ने इस तरह के दो प्रस्तावों जेपी समूह और हिंदुस्तान सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग कॉर्पोरेशन को मंजूरी दी थी। लेकिन परियोजना लागत में सरकार की ओर से ज्यादा सब्सिडी नहीं मिलने से दोनों ने हाथ खींच लिए। दोनों कंपनियों ने कुल 25,000 करोड़ रुपये के शुरुआती निवेश का अनुमान लगाया था।
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