आरबीआई ने की बॉन्ड बिकवाल की आलोचना | |
अनूप रॉय / मुंबई 03 20, 2021 | | | | |
भारतीय रिजर्व बैंक ने कहा कि वैश्विक बॉन्ड बाजार शुरुआती सुधार में रोड़ा बन रहे हैं। इसने स्थानीय निवेशकों से आग्रह किया कि वे केंद्रीय बैंक को 'प्रतिफल वक्र की क्रमबद्ध वृद्धि' सुनिश्चित करने में मदद दें। आरबीआई ने मार्च बुलेटिन के लिए अपनी रिपोर्ट- अर्थव्यवस्था की स्थिति में लिखा, 'देश अपनी आबादी के टीकाकरण में जुटे है। ऐसे में वैश्विक अर्थव्यवस्था को दूसरी तिमाही में अपनी खोई रफ्तार फिर हासिल करनी चाहिए। हालांकि बॉन्ड बिकवाल सुधार को कमजोर कर सकते हैं, वित्तीय बाजारों में उठापटक ला सकते हैं और उभरते बाजारों से पूंजी की निकासी को बढ़ा सकते हैं।'
रिपोर्ट में विशेष रूप से भारतीय बॉन्ड बाजार के लिए कहा गया है, 'रिजर्व बैंक प्रतिफल वक्र की सुव्यवस्थित वृद्धि सुनिश्चित करने की कोशिश कर रहा है। लेकिन इसके लिए दोनों का मिलकर चलना और उठापटक को रोकना जरूरी है।' यह रिपोर्ट डिप्टी गवर्नर माइकल पात्र ने तैयार की है। साफ तौर पर केंद्रीय बैंक बॉन्ड बाजार के साथ जुडऩे के लिए अपने सभी प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल कर रहा है। इससे पहले गवर्नर शक्तिकांत दास ने बाजार को विरोधी नहीं बल्कि सहयोगी बनने को कहा था। लेकिन बाजार ने हाल में अमेरिकी प्रतिफल और तेल कीमतों में बढ़ोतरी को देखकर ऊंचा प्रतिफल मांगना शुरू कर दिया है। यह आरबीआई से द्वितीयक बाजार को ज्यादा सहयोग देने के लिए कह रहा है।
केंद्रीय बैंक ने द्वितीयक बाजार की अपनी मदद में थोड़ी कमी की है, लेकिन ज्यादा प्रतिफल की मांग पर कुछ रियायतें भी दी हैं। 10 साल के बॉन्ड का प्रतिफल शुक्रवार को 6.19 फीसदी पर बंद हुआ। बेंचमार्क 10 साल के बॉन्ड का प्रतिफल अप्रैल 2020 से जनवरी 2021 के बीच औसतन 5.93 फीसदी रहा। यह 2 फरवरी को केंद्र सरकार के बाजार से उधारी के कार्यक्रम की घोषणा पर बढ़कर 6.13 फीसदी पर पहुंच गया और लगभग उन्हीं स्तरों पर बरकरार है। यह आरबीआई के उपायों की बदौलत कुछ दिन छह फीसदी से नीचे रहा है।
रिपोर्ट में कहा गया है, 'अमेरिका 10 वर्षीय बेंचमार्क बॉन्ड का प्रतिफल एक फीसदी से बढ़कर 1.6 फीसदी पर पहुंचने के कारण भारत में बॉन्ड बाजारों में लगातार बिकवाली से थोड़ी तेजी आई और भारत में बेंचमार्क 5 मार्च तक 6.23 फीसदी पर पहुंच गया। अमेरिकी प्रतिफल में बढ़ोतरी के असर की वजह से प्रतिफल में बढ़ोतरी हुई है।'
रिपोर्ट में कहा गया है कि कैसे अल्पकालिक उठापटक से परिणामों से काफी आगे चल रही उम्मीदों के लडख़ड़ा देने वाले असर की झलक मिली है। रिपोर्ट में कहा गया, 'वर्ष 2021 में वृद्धि के पूर्वानुमान बढ़ रहे हैं, इसलिए वे उनमें लंबी टिकाऊ महंगाई की झलक देख रहे हैं...इन छिपी चिंताओं से बॉन्ड बिकवाल केंद्रीय बैंक के उदार रहने के वादे पर संशयी हो गए हैं और उठापटक शुरू कर दी।'
इसमें कहा गया है, 'बॉन्ड बिकवाल फिर इसी राह पर हैं। वे यह दिखा रहे हैं कि वे कानून विहीन सरकारों और केंद्रीय सरकारों पर कानून-व्यवस्था लागू करने की कोशिश कर रहे हैं।'
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