इंडियन ऑयल और इजरायल की कंपनी फिनर्जी ने एल्युमीनियम-एयर बैटरी तकनीक के व्यावसायिक इस्तेमाल के लिए एक संयुक्त उद्यम की घोषणा की है। दोनों कंपनियों ने आज कहा कि आईओसी फिनर्जी (आईओपी) के नाम से यह संयुक्त उद्यम भारत में अल-एयर तकनीक तैयार करेगा और इस्तेमाल हुए एल्युमीनियम को दोबारा उपयोग के लायक बनाएगा। फिनर्जी इजरायल की एक स्टार्टअप कंपनी है जो हाइब्रिड लिथियम-आयन और एल्युमीनियम-एयर/जिंक-एयर बैटरी प्रणाली के कारोबार से जुड़ी है। इंडियन ऑयल की तरफ से जारी बयान में कहा गया कि दोनों कंपनियों के बीच स्थापित संयुक्त उद्यम ईंधल सेल्स और स्थानीय स्तर पर हाइड्रोजन स्टोरेज सॉल्यूशंस विकसित करने के साथ पर्यावरण के अनुकूल वाहनों के इस्तेमाल को बढ़ावा देगा। इस तकनीक के इस्तेमाल के लिए मारुति सुजूकी इंडिया ने आईपीओ के साथ एक मंशा पत्र पत्र (लेटर ऑफ इन्टेंट) पर हस्ताक्षर किए हैं। इसी तरह, आईओपी और अशोक लेलैंड के बीच भी ऐसा मंशा पत्र पर हस्ताक्षर हुए हैं। भारत और इजरायल की कंपनियों के बीच हुए समझौते पर पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा, 'कम कार्बन उत्सर्जन के साथ हमें भारत के लोगों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार करना है। इस समझौते के तहत भारत में ही उपलब्ध एल्युमीनियम का इस्तेमाल स्थानीय स्तर पर बैटरी तैयार करने के लिए किया जाएगा। भारत के लिहाज से यह तकनीक बिल्कुल दुरुस्त है।'निर्यात की कवायद में चीनी मिलें भारत की चीनी मिलों ने 30 सितंबर को समाप्त होने वाले 2020-21 सत्र में अब तक 43 लाख टन चीनी निर्यात के लिए समझौता किया है। उद्योग संगठन इस्मा ने यह जानकारी देते हुए कहा कि वैश्विक दाम 4 साल के उच्च स्तर पर होने और निर्यात सब्सिडी की वजह से विदेश में बिक्री लुभावनी हो गई है। विश्व के दूसरे सबसे बड़े चीनी उत्पादक देश के ज्यादा निर्यात से चीनी का वैश्विक दाम काबू में रह सकता है। विश्व के दूसरे बड़े निर्यातक थाईलैंड में उत्पादन कम रहने के कारण कीमत बढ़ी है। इस निर्यात से भारत को अपना चीनी स्टॉक घटाने में भी मदद मिलेगी। रॉयटर्स
