सुरक्षित क्षेत्रों पर विश्लेषकों का दांव | पुनीत वाधवा / नई दिल्ली March 16, 2021 | | | | |
बढ़ते बॉन्ड प्रतिफल ने वैश्विक बाजारों में अनिश्चितता पैदा की है क्योंकि निवेशक अपनी रणनीति में बदलाव ला रहे हैं और सुरक्षित दांव पर जोर दे रहे हैं। वहीं घरेलू तौर पर भी कहानी ज्यादा अलग नहीं है। बीएसई का सेंसेक्स और निफ्टी-50 में अपने 52 सप्ताह के ऊंचे स्तरों से करीब 3-5 प्रतिशत की तेजी दर्ज की जा चुकी है।
वैश्विक रुझानों के अलावा, भारतीय बाजारों ने भी बढ़ती जिंस कीमतों, खासकर कच्चे तेल में तेजी के बीच मुद्रास्फीति को लेकर पैदा हुई चिंताओं का सामना करना पड़ा है। पिछले कुछ सप्ताहों के दौरान, वैश्विक केंद्रीय बैंकों द्वारा घोषित बड़े आकार के मौद्रिक और वित्तीय उपायों तथा टीकाकरण अभियान को देखते हुए मुद्रास्फीति उम्मीदें तेजी से बढ़ी हैं।
शुक्रवार को जारी आंकड़ों के अनुसार, भारत की रिटेल मुद्रास्फीति फरवरी में बढ़कर 5.03 प्रतिशत की तीन महीने की ऊंचाई पर पहुंच गई जो पूर्ववर्ती महीने में 4.06 प्रतिशत थी, क्योंकि पेट्रोल और डीजल कीमतें तेजी से बढ़ी हैं। सोमवार को जारी आंकड़े के अनुसार, इस बीच, थोक बिक्री कीमत आधारित मुद्रास्फीति फरवरी में 4.17 प्रतिशत की 7 महीने की ऊंचाई पर पहुंच गई है, क्योंकि भोजन, ईंधन और बिजली कीमतें बढ़ी हैं। ऐतिहासिक तौर पर, नरम मुद्रास्फीति इक्विटी के लिए अच्छी रही है, लेकिन कीमतों में बहुत ज्यादा तेजी को विश्लेषक अच्छा नहीं मानते।
इन समस्याओं के बावजूदद निवेशकों के लिए पर्याप्त अवसर हैं और शेयर चयन महत्वपूर्ण होगा।
जेफरीज के विश्लेषकों का कहना है कि क्षेत्रों में, ऊर्जा और धातु को ज्यादा फायदा मिलने की संभावना है। जेफरीज में माइक्रोस्ट्रेटेजी के वैश्विक प्रमुख देश पेरामुनेतिलके ने कहा, 'पूंजीगत वस्तु, वित्त और वाहन क्षेत्रों का भी मुद्रास्फीति उम्मीदों में बदलाव के साथ अच्छा सकारात्मक संबंध है। दूसरी तरफ, स्टैपल्स, दूरसंचार, यूटिलिटीज और फार्मा जैसे रक्षात्मक क्षेत्रों के प्रदर्शन का मुद्रास्फीति अनुमानों में बदलाव के साथ नकारात्मक संबंध रहा है।'
कुल मिलाकर, बढ़ती मुद्रास्फीति से वैल्यू चक्रीयता को ज्यादा लाभ मिलने की संभावना है। पेरामुनेतिलके का कहना है कि ये रुझान विभिन्न क्षेत्रों में बने हुए हैं।
विश्लेषकों को सभी जिंसों और खाद्य पदार्थों की कीमतों में तेजी को देखते हुए दबाव बने रहने की आशंका है। बार्कलेज के विश्लेषकों को वित्त वर्ष 2022 में मुद्रास्फीति 4.8 प्रतिशत रहने का अनुमान है। वित्त वर्ष 2022 की पहली छमाही के लिए उन्हें मुद्रास्फीति 5.2 प्रतिशत रहने का अनुमान है, लेकिन दूसरी तिमाही में यह कुछ कमजोर पड़कर 4.5 प्रतिशत रह जाने की संभावना है।
इक्विनोमिक्स रिसर्च के संस्थापक एवं मुख्य निवेश अधिकारी जी चोकालिंगम के अनुसार कंपनियां जिंस कीमतों में तेजी का बोझ कुछ हद तक ग्राहकों पर डालने में सक्षम होंगी, क्योंकि ज्यादा कीमत वृद्घि की वजह से उपभोक्ता खरीदारी में कमी शुरू कर देंगे।
वह कहते हैं, 'वाहन और एफएमसीजी कंपनियों पर बढ़ती जिंस कीमतों और मुद्रास्फीति का पहले ही दबाव पड़ चुका है। दूसरी तरफ, फार्मा, सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी), रियल एस्टेट और चक्रीयता आधारित क्षेत्र अपेक्षाकृत मुद्रास्फीति और जिंस कीमत वृद्घि के दबाव से बचे हुए हैं।'
मुख्य जिंसों में, ब्रेंट क्रूड के लिए कीमतें अक्टूबर के अंत से 82 प्रतिशत चढ़कर अब करीब 70 डॉलर प्रति बैरल तक आ चुकी हैं। पिछले एक साल में, ब्रेंट में करीब 120 प्रतिशत की तेजी आई है। तांबा कीमतें भी पिछले एक साल में दोगुनी हुई हैं और हब ये 2011 से अपने सबसे ऊंचे स्तरों पर कारोबार कर रही हैं।
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