सेबी के परिपत्र से फंडों में बिकवाली की चिंता बढ़ी | |
चिराग माडिया / मुंबई 03 16, 2021 | | | | |
पर्पेचुअल बॉन्डों की परिपक्वता अवधि से संबंधित प्रस्तावित नियमों ने निवेशकों को चिंता में डाल दिया है। नुकसान की आशंका के साथ कुछ निवेशक पर्पेचुअल बॉन्डों से संबंधित सेबी के सर्कुलर पर 1 अप्रैल से अमल होने से पहले ही अपने म्युचुअल फंड यूनिट बेचने की योजना बना रहे हैं। हालांकि फंड प्रबंधक निवेशकों, खासकर एचएनआई को नियामक से स्थिति स्पष्ट होने का इंतजार करने और जल्दबाजी में अपना निवेश नहीं बेचने की सलाह दे रहे हैं।
एक प्रख्यात फंड हाउस के प्रमुख (फिक्स्ड इनकम) ने कहा, 'हम निवेशकों को सिर्फ मूल्यांकन मानकों की वजह से डेट योजनाओं से पैसा नहीं निकालने की सलाह दे रहे हैं। वित्त मंत्रालय द्वारा नियामक को लिखे गए पत्र के बाद हमें उम्मीद है कि इस संबंध में जल्द कुछ समाधान निकलेगा।'
पर्पेचुअल बॉन्डों के लिए एमएफ निवेश का बड़ा हिस्सा शॉर्ट टर्म, मीडियम टर्म, बैंकिंग ऐंड पीएसयू फंडों और क्रेडिट रिस्क फंड जैसी डेट श्रेणियों के जरिये आता है। नोमुरा के अनुमान के अनुसार, बैंकों द्वारा जारी एटी-1 और टियर-2 बॉन्डों में म्युचुअल फंडों की करीब 20 प्रतिशत की भागीदारी है, जो करीब 3.5 लाख करोड़ रुपये है। 10 मार्च के सर्कुलर के बाद, एमएफ उद्योग की कंपनियों ने अमीर निवेशकों से भारी बिकवाली की आशंका जताई थी। हालांकि वित्त मंत्रालय के पत्र से इस संबंध में क्रियान्वयन की समय-सीमा को लेकर सेबी से कुछ राहत की उम्मीद पैदा हुई है।
एम्फी द्वारा मुहैया कराए गए आंकड़े के विश्लेषण से अभी तक भारी बिकवाली का संकेत नहीं दिखा है। मध्यम अवधि के फंडों की दैनिक प्रबंधन अधीन परिसंपत्तियां (एयूएम) 15 मार्च तक 30,020 करोड़ रुपये पर थीं, जो 12 मार्च के 30,076 करोड़ रुपये के आंकड़े से कुछ कम है। इसी तरह क्रेडिट रिस्क फंडों की एयूएम समीक्षाधीन अवधि के लिए घटकर 28,006 करोड़ रुपये रह गई। शॉर्ट ड्यूरेशन यानी संक्षिप्त अवधि के फंडों की दैनिक एयूएम 12 मार्च और 15 मार्च के बीच 677 करोड़ रुपये तक घटी। मुंबई स्थित एक वितरक ने कहा, 'मैं नहीं मानता कि निवेशकों को जल्दबाजी दिखानी चाहिए और हमने ग्राहकों से अपने निवेश से जुड़े रहने को कहा है, क्योंकि हमारा मानना है कि नियामक ज्यादा व्यावहारिक समाधान निकाल सकते हैं। मैं नहीं मानता कि मूल्यांकन मानक वित्त मंत्रालय के पत्र के बाद भी समान बने रहेंगे।'
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