चौथी तिमाही में घटा अग्रिम कर संग्रह | दिलाशा सेठ / नई दिल्ली March 16, 2021 | | | | |
चालू वित्त वर्ष की चौथी तिमाही में अग्रिम कर संग्रह में कमी आई है। लेकिन स्रोत पर काटे गए कर (टीडीएस) में भारी इजाफा हुआ है, जिससे कुल प्रत्यक्ष कर संग्रह का आंकड़ा मजबूत रहा। खासकर बेंगलूरु और मुंबई से प्रत्यक्ष कर वसूली शानदार रही। अग्रिम कर का भुगतान अर्जित आय पर तुरंत कर दिया जाता है और इसके लिए वित्त वर्ष के अंत तक इंतजार नहीं किया जाता है। अग्रिम कर संग्रह देश की अर्थव्यवस्था के मिजाज का संकेत देता है।
अग्रिम कर की चौथी किस्त का भुगतान करने की समय सीमा कल खत्म हो गई थी। शुरुआती आंकड़ों के अनुसार चौथी किस्त के भुगतान के बाद वर्ष 2020-21 में अग्रिम कर संग्रह पिछले वर्ष के मुकाबले करीब 15 प्रतिशत कम रहा। बैंकों में कामकाज बंद होने के बाद किए गए भुगतान का मिलान नहीं हो पाया है, इसलिए आंकड़े कम या ज्यादा रह सकते हैं। दिसंबर में अग्रिम कर संग्रह में कमी घटकर 6 प्रतिशत रह गई थी।
इस बीच 15 मार्च तक शुद्ध प्रत्यक्ष कर संग्रह में पिछले साल 15 मार्च के मुकाबले केवल 5 प्रतिशत कमी रह गई है, जबकि जनवरी में 9 प्रतिशत कमी आई थी। अस्थायी आंकड़ों के अनुसार शुद्ध संग्रह 8.20 लाख करोड़ रुपये रहा, जो पिछले वर्ष की समान अवधि में 8.67 लाख करोड़ रुपये रहा था। इसका आशय यह हुआ कि केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) को चालू वित्त वर्ष का 9.05 लाख करोड़ रुपये का संशोधित लक्ष्य हासिल करने के लिए अब केवल 84,800 करोड़ रुपये की जरूरत है।
1 फरवरी को प्रस्तुत बजट में कोविड-19 महामारी से पैदा हालात के मद्देनजर वित्त वर्ष 2021 के लिए प्रत्यक्ष कर संग्रह का लक्ष्य 13.19 लाख करोड़ रुपये से कम कर दिया गया। एक सरकारी अधिकारी ने कहा, 'इस वर्ष पूरे साल के लिए संशोधित लक्ष्य प्राप्त करना संभव हो पाएगा। टीडीएस संग्रह में काफी इजाफा हुआ है, जिससे बड़ी राहत मिली है। इसके अलावा विवाद से विश्वास योजना से भी काफी मदद मिली है।'
पिछले वर्ष के मुकाबले कर रिफंड में 14 प्रतिशत वृद्धि से सकल संग्रह मात्र 2 प्रतिशत कम रहा है। सकल संग्रह सोमवार तक 10.22 लाख करोड़ रुपये रहा, जबकि पिछले वर्ष यह 10.44 लाख करोड़ रुपये रहा था। पिछले वर्ष के 1.78 लाख करोड़ रुपये के मुकाबले रिफंड 2.02 लाख करोड़ रुपये रहा है।
सोमवार तक शीर्ष दस क्षेत्रों में कुल अग्रिम कर संग्रह 3.41 लाख करोड़ रुपये रहा और इनमें 8 प्रतिशत से 51 प्रतिशत तक कमी आई। शीर्ष चार शहरों में मुंबई में कर संग्रह 8 प्रतिशत, दिल्ली में 21 प्रतिशत, बेंगलूर में 14 प्रतिशत और चेन्नई में 18 प्रतिशत कम रहा। बेंगलूरु और मुंबई दो मात्र ऐसे कर क्षेत्र रहे जहां प्रत्यक्ष कर संग्रह में क्रमश: 11 प्रतिशत और 0.2 प्रतिशत इजाफा हुआ।
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