थोक महंगाई 27 माह के उच्च स्तर पर | दिलाशा सेठ / नई दिल्ली March 15, 2021 | | | | |
थोक मूल्य सूचकांक आधारित महंगाई दर दोगुनी होकर फरवरी में 27 महीने के उच्च स्तर 4.17 फीसदी पर पहुंच गई। वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार ईंधन, खाद्य पदार्थों और विनिर्मित उत्पादों के दाम बढऩे से थोक महंगाई बढ़ी है। जनवरी में थोक मुद्रास्फीति 2.03 फीसदी रही थी। बीते शुक्रवार को जारी खुदरा मुद्रास्फीति भी फरवरी में तीन महीने के उच्च स्तर 5.03 फीसदी पर पहुंच गई थी। आर्थिक वृद्घि को गति देने के लिए निकट भविष्य में दरों में और कटौती किए जाने की उम्मीद मुद्रास्फीति में तेजी के कारण धूमिल हो गई है।
इक्रा रेटिंग्स में प्रधान अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा, 'थोक मुद्रास्फीति का दोगुनी होकर 27 महीने के उच्च स्तर पर पहुंचना जिंस की कीमतों में तेजी को दर्शाता है। कच्चे तेल तथा ईंधन की कीमतों में बढ़ोतरी के साथ ही खाद्य पदार्थों के दाम से भी मुद्रास्फीति पर असर पड़ा है।' उन्हें लगता है कि अगले तीन महीने में थोक मुद्रास्फीति में खासी तेजी आएगी। नायर ने कहा कि मुद्रास्फीति में तेजी से दरों में आगे और कटौती की गुंजाइश नहीं है और पूरे 2021 में दरें यथावत रह सकती हैं।
फरवरी में खाद्य सूचकांक 3.31 फीसदी बढ़ा जबकि जनवरी में इसमें 0.26 फीसदी की कमी आई थी। दालों के दाम भी इस दौरान 10.25 फीसदी बढ़े हैं। थोक मुद्रास्फीति में ईंधन और बिजली का भारांश 13.2 फीसदी है और इस श्रेणी में महंगाई 0.58 फीसदी बढ़ गई, जबकि जनवरी में इसमें 4.78 फीसदी कमी आई थी। पेट्रोल के दाम फरवरी में 0.83 फीसदी बढ़े जबकि जनवरी में इनमें 10.29 फीसदी की कमी आई थी। डीजल के दाम में 0.11 फीसदी की कमी आई, लेकिन जनवरी में इसके दाम 13.65 फीसदी घटे थे। कच्चे तेल की मुद्रास्फीति फरवरी में 7.18 फीसदी बढ़ी जबकि जनवरी में इसमें 10.3 फीसदी की गिरावट देखी गई थी।
बार्कलेज ने अपने नोट में कहा, 'घरेलू ईंधन पर करों में किसी तरह का बदलाव नहीं होने से अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा बेंचमार्क में बढ़ोतरी के साथ आने वाले महीनों में घरेलू ईंधन के दाम और बढ़ सकते हैं।'
अर्थशास्त्री मान रहे हैं कि भारतीय रिजर्व बैंक के पास दरों में कटौती की गुंजाइश नहीं होगी। मौद्रिक नीति समिति की बैठक अगले महीने के पहले हफ्ते में प्रस्तावित है।
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