और बढ़ेगी गोल्ड बॉन्ड की चमक | |
राजेश भयानी / मुंबई 03 14, 2021 | | | | |
सॉवरिन स्वर्ण बॉन्ड यानी एसजीबी और एक्सचेंज ट्रेडेड फंडों (ईटीएफ) के बिक्री आंकड़े पर नजर डालें तो पता चलता है कि निवेशकों के बीच इस साल पेपर गोल्ड की लोकप्रियता तेजी से बढ़ी है। वित्त वर्ष, 2021 में आरबीआई ने 32.4 टन एसजीबी की बिक्री के जरिये 16,049 करोड़ रुपरये की पूंजी जुटाई। एसजीबी का अगला निर्गम अगले वित्त वर्ष लाए जाने की संभावना है। ईटीएफ के जरिये स्वर्ण बिक्री के अनुमानों पर विचार किया जाए तो संकेत मिलता है कि पेपर गोल्ड में कुल निवेश वित्त वर्ष 2021 में 46 टन से ऊपर पहुंच गया है।
वित्त वर्ष में निवेश के लिए कुल अनुमानित पारंपरिक स्वर्ण मांग के साथ इसकी तुलना करें तो पता चलता है कि करीब 135 टन (अप्रैल-दिसंबर में 102 टन की वास्तविक मांग) के साथ एक-चौथाई पारंपरिक मांग इस साल एसजीबी से जुड़ी रही है।
पेपर गोल्ड के पुराने स्वरूप गोल्ड ईटीएफ में भी वित्त वर्ष 2021 में फरवरी तक 6,062 करोड़ रुपये का शुद्घ प्रवाह दर्ज किया गया। वित्त वर्ष 2021 स्वर्ण ईटीएफ में निवेश वृद्घि दर्ज करने वाला लगातार दूसरा वर्ष है। बाजार विश्लेषकों का अनुमान है कि चालू वर्ष का समापन ईटीएफ में 14 टन के प्रवाह के साथ हो सकता है।
विश्व स्वर्ण परिषद द्वारा जारी आंकड़े के अनुसार, ईटीएफ निवेश पारंपरिक स्वर्ण मांग का हिस्सा है। हालांकि निवेशक ईटीएफ में निवेश करते वक्त प्रतिभूतियों को खरीदते हैं और इसलिए ईटीएफ भी पेपर गोल्ड का एक स्वरूप है।
मेटल फोकस मेंप्रिंसीपल कंसल्टेंट (भारत और दक्षिण एशिया) चिराग शेठ का कहना है, 'एसजीबी अब मुख्य स्वर्ण निवेश का हिस्सा है। महामारी ने निश्चित तौर पर सोने को चर्चा में ला दिया है और लॉकडाउन की वजह से कई लोग ऑनलाइन स्वर्ण निवेश के लिए बाध्य हुए। हमारा मानना है कि एसजीबी के लिए मांग मजबूत बनी रहेगी।'
मार्च के लिए एसजीबी बिक्री 3.23 टन रही जो अगस्त के बॉन्ड निर्गम के बाद पिछले 6 महीने में सर्वाधिक थी। अगस्त में बॉन्डों में सर्वाधिक खरीदारी 6.35 टन दर्ज की गई थी। वित्त वर्ष 2021 में एसजीबी के लिए खरीदारी 32.4 टन पर रही जो इन योजनाओं की पेशकश (नवंबर 2015) के बाद से पिछले पांच वर्षों में न सिर्फ सर्वाधिक थी, बल्कि पिछले पांच साल में दर्ज संयुक्त बिक्री से भी ज्यादा थी। वित्त वर्ष 2016 और वित्त वर्ष 2020 के बीच 30.9 के स्वर्ण बॉन्डों की बिक्री हुई थी।
कई विश्लेषकों का मानना है कि मार्च में एसजीबी के लिए बेहतर दिलचस्पी सोने की कीमतों में आई कमजोरी की वजह से भी देखी गई थी। उतार-चढ़ाव वाले शेयर बाजार की वजह से भी सोने की मांग को मजबूती मिली। कम कीमतों ने निवेशकों को स्वर्ण बॉन्डों की ओर आकर्षित किया।
तुलनात्मक तौर पर, आभूषण और स्वर्ण बिस्कुट एवं सिक्कों के लिए संयुक्त घरेलू मांग वित्त वर्ष 2020 में पूर्ववर्ती वर्ष के 768 टन से घटकर 633 टन रह गई। वित्त वर्ष 2021 के पहले 9 महीनों में यह आंकड़ा 344 टन पर था।
क्या सोने की कीमतें और गिरेंगी?
लगातार गिरावट से अवसरवादी निवेशक प्रभावित हो सकते हैं, जबकि इससे वैल्यू निवेशकों को आकर्षित करने में मदद मिल सकती है। अमेरिका में बढ़ते बॉन्ड प्रतिफल (जिसे सोने के लिए सकारात्मक समझा जाता है) से स्वर्ण कीमतें गिरने की आशंका बढ़ी है। वहीं मुद्रास्फीति की आशंका भी बढ़ रही है।
अरोड़ा रिपोर्ट के संस्थापक एवं सीआईओ अमेरिका स्थित बाजार विशेषज्ञ निगम अरोड़ा ने कहा कि सोने को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है जिससे मौजूदा समय में उसका आकर्षण प्रभावित हुआ है। उनके अनुसार बिटकॉइन की बढ़ती लोकप्रियता भी सोने की चमक के लिए एक प्रमुख खतरा है। सोना ब्याज दरों के लिहाज से भी बेहद संवेदनशील है। बढ़ती ब्याज दरों या प्रतिफल के परिवेश में बॉन्ड भी सोने के लिए प्रतिस्पर्धा बढ़ा रहे हैं। उन्होंने कहा कि बिटकॉइन समर्थकों का दावा है कि सोने की अच्छी चमक के दिन बीत चुके हैं। बड़ी तादाद में पूंजी सोने से निकली है और बिटकॉइन में इसका निवेश हुआ है। भविष्य में भी, नई पूंजी सोने के बजाय बिटकॉइन में निवेश होने की संभावना बनी रहेगी।
सोने का इस्तेमाल इक्विटी के संदर्भ में विविधता लाने के लिए किया जाता है और इक्विटी में तेजी के वक्त इस धातु की चमक फीकी पड़ती है। सोने से मुद्रास्फीति के खिलाफ बचाव में भी मदद मिली है और केंद्रीय बैंक अब तक इन उम्मीदों पर सफल रहे हैं।
|