औद्योगिक उत्पादन में संकुचन | दिलाशा सेठ / नई दिल्ली March 13, 2021 | | | | |
जनवरी में औद्योगिक उत्पादन एक बार फिर संकुचन के क्षेत्र में चला गया है। इससे कारोबार में सुधार की उम्मीद धूमिल हुई है। आज जारी आधिकारिक आंकड़ों के दौरान जनवरी में उपभोक्ता वस्तु क्षेत्र, पूंजीगत वस्तु क्षेत्र और कोयला क्षेत्र में प्रदर्शन अच्छा नहीं रहा है।
राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय की ओर से जारी आंकड़ों के मुताबिक औद्योगिक उत्पादन सूचकांक में जनवरी महीने में पिछले साल की समान अवधि की तुलना में 1.6 प्रतिशत की गिरावट आई है, जबकि पिछले महीने की तुलना में 1.56 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। दिसंबर महीने में पहले के अनुमान की तुलना में संशोधन करके 1 प्रतिशत की अतिरिक्त वृद्धि दिखाई गई है।
चालू वित्त वर्ष के दौरान सिर्फ 3 महीनों में औद्योगिक गतिविधियों में वृद्धि दर्ज की गई है। कोविड-19 के व्यवधान के कारण 6 महीने की गिरावट के बाद त्योहारों की वजह से सितंबर में आईआईपी धनात्मक रहा था। बहरहाल कोविड के मामले बढऩे और प्रमुख शहरों में लॉकडाउन से वृद्धि को जोखिम की संभावना है।
इक्रा रेटिंग्स में प्रधान अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा, 'जनवरी 2021 में हमने आईआईपी के प्रदर्शन में गिरावट का अनुमान लगाया था, लेकिन हमने इस महीने में संकुचन की उम्मीद नहीं की थी। अक्टूबर 2020 के बाद से तेज रिकवरी देखी जा रही थी और आईआईपी में पिछले 3 महीने के दौरान उतार-चढ़ाव था। इससे पता चलता है कि अर्थव्यवस्था समेकन के दौर से गुजर रही है।' उन्होंने कहा कि हम उम्मीद करते हैं कि फरवरी में भी आईआईपी में संकुचन जारी रह सकता है।
जनवरी महीने में विनिर्माण क्षेत्र की गतिविधियों में 2 प्रतिशत संकुचन आया है, जबकि इसके पहले महीने में 2.1 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई थी। कंज्यूमर नॉन ड्यूरेबल उपक्षेत्र में तेज गिरावट के कारण ऐसा हुआ है। कंज्यूमर नॉन ड्यूरेबल्स में आवश्यक वस्तुओं शामिल होती हैं, जिसमें जनवरी में 6.8 प्रतिशत की गिरावट आई है, जबकि पिछले साल 0.6 प्रतिशत गिरावट आई थी। उपभोक्ता वस्तुओं, जिनमें मुक्य रूप से ह्वाइट गुड्य और मोबाइल फोन आते हैं, इसमें 0.2 प्रतिशत संकुचन आया है, जबकि दिसंबर में 5.7 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी और पिछले साल 3.7 प्रतिशत की गिरावट आई थी।
केयर रेटिंग्स में मुख्य अर्थशास्त्री मदन सबनवीस ने कहा कि उपभोक्ता वस्तुओं में गिरावट बहुत निराशाजनक है, जिसे धनात्मक रहने की उम्मदी थी और हमारे लिए यह आश्चर्यजनक मसला है। सबनवीस ने कहा कि आंकड़ों से पता चलता है कि मांग में बढ़ोतरी की कहानी अब ठहर गई है और अब लगता है कि फरवरी में भी वृद्धि ऋणात्मक रहेगी, लेनिक यह मार्च में धनात्मक हो जाएगी क्योंकि पिछले साल मार्च में 18 प्रतिशत गिरावट आई थी।
निर्माण वस्तुओं का उत्पादन इस महीने में 0.3 प्रतिशत बढ़ा है। सूचकांक में विनिर्माण श्रेणी की हिस्सेदारी 77 प्रतिशत होती है। पूंजीगत वस्तुओं में 9.6 प्रतिशत का संकुचन आया है, जबकि पिछले साल जनवरी का आधार बहुत कम था और 4.4 प्रतिशत संकुचन हुआ था। इस महीने के दौरान खनन क्षेत्र में 3.7 प्रतिशत संकुचन आया है, जबकि बिजली का उत्पादन 5.5 प्रतिशत बढ़ा है। इससे फैक्टरियों में मांग बढऩे के संकेत मिलते हैं। आईआईपी के आंकड़े 6 सप्ताह के अंतराल पर जारी किए जाते हैं और इसमें 16 स्रोत एजेंसियों से मिले आंकड़ों का संकलन किया जाता है। ये एजेंसियां उत्पादन करने वाली फैक्टरियों व प्रतिष्ठानों से आंकड़े जुटाती हैं।
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