सेवानिवृत्ति के पहले कार्यमुक्त हो जाएंगे निदेशक | मनोजित साहा / मुंबई March 11, 2021 | | | | |
मंत्रिमंडल की नियुक्ति समिति ने सोमवार को सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में 14 कार्यकारी निदेशकों की नियुक्ति को मंजूरी दी थी। सरकार ने कहा था कि 3 साल का कार्यकाल पूरा करने के बाद जो कार्यकारी निदेशक प्रदर्शन समीक्षा परीक्षण में उत्तीर्ण होंगे उन्हें दो वर्ष का सेवा विस्तार दिया जा सकेगा। इसका मतलब है कि इनमें से काफी बैंकरों का करियर 60 वर्ष में सेवानिवृत्त होने की उम्र से पहले ही समाप्त हो सकता है।
सभी 14 कार्यकारी निदेशकों को पदभार ग्रहण करने की तारीख से 3 वर्ष का कार्यकाल दिया गया है। 3 साल के बाद उनके प्रदर्शन की समीक्षा की जाएगी और यदि उनका प्रदर्शन संतोषजनक पाया जाता है तो उन्हें दो वर्ष का सेवा विस्तार मिलेगा।
नियुक्ति का परिपत्र जारी करते हुए कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग ने कहा, 'कार्यकारी निदेशक प्रदर्शन समीक्षा के बाद दो वर्ष या अगले आदेश तक जो भी पहले हो, के लिए सेवा विस्तार पाने के पात्र होंगे।'
इस सूची में शामिल कई बैंकरों काी उम्र 45-50 वर्ष है। यदि वे 3 साल बाद प्रदर्शन समीक्षा में उत्तीर्ण होते हैं तो उसके बावजूद इनमें से अधिकांश का करियर 50 और 55 वर्ष के बीच में समाप्त हो सकता है। उम्मीदवार को और अधिक सेवा विस्तार केवल उसी सूरत में मिल पाएगा, जब उसे किसी सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक (पीएसबी) का प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्याधिकारी नियुक्त किया जाए।
ये कार्यकारी निदेशक भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) को छोड़कर अन्य किसी सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक के प्रबंधन निदेशक और मुख्य कार्याधिकारी के तौर पर पदोन्नति के लिए पात्र होंगे। एसबीआई का चेयरमैन होता है जिसकी नियुक्ति मौजूदा प्रबंध निदेशकों में से की जाती है। इसके अलावा 19 उप प्रबंध निदेशक जिसमें एसबीआई के सहायक बैंकों के प्रबंध निदेशक भी शामिल हैं सरकारी बैंकों के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्याधिकारी के लिए पात्र हैं। सरकार सरकारी बैंक के संचालन के लिए बाहर से भी किसी व्यक्ति को ला सकती है। ऐसे में हाल में पदोन्नत कार्यकारी निदेशकों को आगे तगड़ी प्रतिस्पर्धा का सामना करना होगा।
सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकरों के मुताबिक नरेंद्र मोदी सरकार के 7 वर्षों में प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्यधिकारी सहित काफी संख्या में शीर्ष अधिकारियों का करियर उनकी सेवानिवृत्ति उम्र में पहुंचने से पहले ही समाप्त हो गया। संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) सरकार के दौरान सभी सरकारी बैंकरों को सेवानिवृत्ति के उम्र तक सेवा देने की अनुमति थी।
ऑल इंडिया बैंक एम्पलााइज एसोसिएशन के महासचिव सी एच वेंकटचलम ने कहा, 'यह कोई अच्छी प्रथा नहीं है लेकिन यह पहले से ही शुरू हो चुका है। 60 वर्ष से कम उम्र के कई ऐसे कार्यकारी निदेशक और मुख्य कार्याधिकारी हैं जिनके कार्यकाल का नवीनीकरण नहीं हुआ। मौजूदा आदेश में यह व्यवस्था और अधिक उजागर होकर सामने आई है।'
उन्होंने बिजनेस स्टैंडर्ड से कहा, 'इस प्रथा के कारण लोग ऊंची नियुक्ति लेने से हिचकेंगे।'
पंजाब नैशनल बैंक के पूर्व चेयरमैन और प्रबंध निदेशक आर के कामत, यूको बैंक के मुख्य प्रबंध निदेशक अरुण कौल, बैंक ऑफ बड़ौदा के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्याधिकारी पीएस जयकुमार, सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्याधिकारी राजीव ऋषि का करियर 60 वर्ष की उम्र से काफी पहले ही समाप्त हो गया। गौरतलब है कि सरकारी बैंकों में सेवानिवृत्ति की उम्र 60 वर्ष है।
एक सरकारी बैंक के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्याधिकारी ने कहा, 'पहले जहां यह प्रथा के रूप चल रही थी वहीं अब सरकार औपचारिक तौर पर कह चुकी है कि सरकारी बैंक के अधिकारियों का कार्यकाल अधिकतम पांच वर्ष का होगा।' सरकारी क्षेत्र के बैंकर यह भी इशारा करते हैं कि निजी बैंकों में प्रबंध निदेशकों और मुख्य कार्याधिकारियों की सेवानिवृत्ति आयु 70 वर्ष है जबकि सरकारी बैंक में शीर्ष स्तर के अधिकारियों को 60 वर्ष की उम्र तक भी काम करने की अनुमति नहीं दी जा रही है।
विभिन्न सरकारी बैंकों में अगले वित्त वर्ष में नियुक्त होने वाले 14 कार्यकारी निदेशक हैं स्वरूप कुमार साहा (पीएनबी), देवदत्त चंद (बैंक ऑफ बड़ौदा), के सत्यनारायण राजू (केनरा बैंक), नीतेश रंजन (यूनियन बैंक), मोनिका कालिया (बैंक ऑफ इंडिया), स्वरूप दासगुप्ता (बैंक ऑफ इंडिया), एम कार्तिकेयन (बैंक ऑफ इंडिया), इशराक अली खान (यूको बैंक), विवेक वाही (सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया), एस श्रीमिति (इंडियन ओवरसीज बैंक), बी विजयकुमार ए (बैंक ऑफ महाराष्ट्र), राघवेंद्र वेंकटशेषन कोलेगल (पंजाब ऐंड सिंध बैंक), राजीव पुरी (सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया) और इमरान अमीन सिद्दीकी (इंडियन बैंक)।
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