फिलहाल प्रतिफल ऊंचे स्तर पर रहने के संकेत | अनूप रॉय / मुंबई March 10, 2021 | | | | |
बॉन्ड बाजार के मौजूदा हालात के मद्देनजर भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) लगभग यह मान चुका है कि फिलहाल प्रतिफल ऊंचे स्तरों पर बने रहेंगे। आरबीआई ने कई महीनों के बाद बाजार में मौजूदा प्रतिफल के इर्द-गिर्द बॉन्ड की खरीदारी की है। केंद्रीय बैंक ने एक विशेष खुला बाजार परिचालन (ओएमओ) किया था, जिनमें उसने 2025 से 2033 के बीच परिपक्व होने वाले 20,000 करोड़ रुपये मूल्य के दीर्घ अवधि के बॉन्ड खरीदे थे। आरबीआई ने 2021 से 2022 के बीच परिपक्व होने वाले 15,000 करोड़ रुपये मूल्य के बॉन्ड की बिक्री भी की थी। खरीदे गए बॉन्ड में 10 वर्ष की परिपक्वता अवधि वाले बॉन्ड भी थे, जिन्हें आरबीआई ने 6.1778 प्रतिशत प्रतिफ ल पर खरीदा था। ओएमओ के बाद इसी बॉन्ड पर प्रतिफल 6.2469 प्रतिशत पहुंच गया।
पिछले वर्ष अगस्त से केंद्रीय बैंक ने 10 वर्ष के बॉन्ड पर प्रतिफल 6 प्रतिशत से नीचे रखने की भरपूर कोशिश की है। इसके लिए आरबीआई ने बॉन्ड कारोबारियों को नीलामी करने का अधिकार देने से भी गुरेज नहीं किया और जरूरत पडऩे पर ओएमओ भी रद्द कर दिए। आरबीआई ने आगामी 18 मार्च को एक और चरण
के ओएमओ की घोषणा की है, जिसमें वह 10,000 करोड़ रुपये मूल्य के बॉन्ड की खरीदारी और बिक्री करेगा। जिस समय ओएमओ हुआ था तो प्रतिफल लगभग उसी स्तर पर था जिस पर बोलियां स्वीकार की गई थीं। विशेषज्ञों ने कहा कि इससे यह संकेत मिल रहा है कि बाजार ऐसे समय में आरबीआई से प्रतिफल पर और रियायत की मांग कर रहा है जब केंद्रीय बैंक 6 प्रतिशत प्रतिफल के लिए तैयार दिखा था। बॉन्ड बाजार पर नजर रखने वाले लोगों ने कहा कि पूरी दुनिया में जो हो रहा है उसे देखते हुए प्रतिफल बढऩे से कोई आश्चर्य नहीं हुआ था। जन एसएफबी में ट्रेजरी प्रमुख गोपाल त्रिपाठी कहते हैं, 'थाईलैंड, मलेशिया और इंडोनेशिया जैसे तेजी से उभरते बाजारों में प्रतिफल लगभग 60 आधार अंक तक उछल गया है। अगर प्रतिफल बाजार पर छोड़ दिया गया तो इसके नरम रहने की उम्मीद नहीं की जा सकती।' हालांकि मार्च तिमाही के अंत के करीब प्रतिफल नीचे लाने के लिए आरबीआई के पास उपाय मौजूद हैं और उनका इस्तेमाल भी किया जा सकता है। त्रिपाठी कहते हैं, 'चालू वित्त वर्ष के अंत तक प्रतिफल निचले स्तर पर लाने के लिए आरबीआई के पास पर्याप्त उपाय हैं।'
बैंकों ने वित्त वर्ष 2020-21 में ज्यादातर मौकों पर 10 वर्ष की अवधि के बॉन्ड करीब 6 प्रतिशत प्रतिफल पर खरीदे हैं। अगर प्रतिफल अधिक रहे तो बैंकों को नुकसान उठाना पड़ सकता है। हालांकि इससे निपटने के लिए आरबीआई इस महीने के अंत में ओएमओ की घोषणा कर सकता है, जिससे प्रतिफल अस्थायी तौर पर नीचे आ जाएगा।
|