आईजीएसटी लाभ पर आदेश की होगी समीक्षा | इंदिवजल धस्माना / नई दिल्ली March 09, 2021 | | | | |
गुजरात उच्च न्यायालय ने सरकार द्वारा जीएसटी नियमों में संशोधन करने की संवैधानिक वैधता पर दिए गए अपने आदेश की समीक्षा करने की याचिका स्वीकार कर ली है। इसमें सरकार द्वारा उन निर्यातकों को एकीकृत वस्तु एवं सेवा कर (आईजीएसटी) रिफंड देने से इनकार किया गया था, जिन्होंने एडवांस अथॅराइजेशन (एए) का लाभ लिया है।
पहले का आदेश देने वाले विशेष पीठ ने याचिका की सुनवाई की। न्यायालय इस मामले में पेश विस्तृत तर्कों से सहमत हुआ है। निर्यातकों के वकील अभिषेक रस्तोगी ने कहा कि इस मामले की भौतिक सुनवाई के लिए 9 अप्रैल तिथि तय की गई है।
पहले निर्यातकों को एए लाइसेंस के तहत आईजीएसटी का भुगतान किए बगैर कच्चे माल का आयात करने की अनुमति थी और निर्यात पर आईजीएसटी का भुगतान किया जाता था और वे निर्यात पर किए गए भुगतान के रिफंड का दावा कर सकते थे। शुरुआत में उन्हें आईजीएसटी पर छूट का लाभ मिलता था।
बहरहाल उसके बाद सरकार ने 4 सितंबर 2018 को जारी अधिसूचना के माध्यम से केंद्रीय जीएसटी के नियम 96 के उप नियम 10 मेंं संशोधन कर दिया। खेतान ऐंड कंपनी के पार्टनर रस्तोगी ने कहा कि इसके बाद एए लाभ लेने वाले निर्यातकों को निर्यात पर लगने वाले आईजीएसटी का रिफंड देने से इनकार कर दिया, जो नियम 23 अक्टूबर 2017 से प्रभावी माना गया।
इसके पहले गुजरात उच्च न्यायालय ने इस नियम की वैधता पर रोक लगा दी थी। न्यायालय ने एक और संशोधन की वैधता पर भी रोक लगा दी थी, जिसके तहत उनको रिफंड की अनुमति थी, जिन्होंने बुनियादी सीमा शुल्क में छूट का लाभ उठाया है और कच्चे माल पर आईजीएसटी का भुगतान किया है।
यह संशोधन भी पूर्ववर्ती प्रभाव से लागू था। इसका मतलब यह कि जिन लोगों ने इस विकल्प का इस्तेमाल कर रिफंड लिया था, उन्हें कच्चे माल पर आईजीएसटी का ब्याज सहित फिर भुगतान करना था।
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