भारत सरकार केयर्न मामले में मध्यस्थता न्यायालय के आदेश के खिलाफ इस सप्ताह नीदरलैंड की राजधानी 'द हेग' में अपील कर सकती है। वित्त मंत्रालय के अधिकारियों ने कहा कि भारत ने इस निर्णय के खिलाफ अपील करने की बुनियाद तैयार कर ली है और नीदरलैंड में वकीलों के साथ बातचीत अंतिम चरण में है। इस अपील के आधार पर भारत नीदरलैंड की एक निचली अदालत में मध्यस्थता न्यायालय का निर्णय लागू करने की केयर्न की अपील को चुनौती देगा। सरकार ब्रिटेन, कनाडा, अमेरिका और फ्रांस में भी यही कदम दम उठाएगी। केयर्न एनर्जी मध्यस्थता न्यायालय का निर्णय लागू करने के लिए भारत सरकार पर दबाव बना रही है और उसने अमेरिका, ब्रिटेन, नीदरलैंड्स, कनाडा, फ्रांस, सिंगापुर, जापान और संयुक्त अरब अमीरात और कैमेन आयलैंड में भी मुकदमा दर्ज कराया है। 21 दिसंबर को द हेग की मध्यस्थता अदालत ने भारत सरकार के साथ कर विवाद में केयर्न के पक्ष में निर्णय सुनाया था। इस निर्णय से ब्रिटेन की कंपनी उन वाणिज्यिक भारतीय परिसंपत्तियों जैसे विमान, जहाज आदि की पहचान कर उन्हें जब्त करने में मदद मिलेगी। अपील करने के बाद स्थगन आदेश पाने में 3 से 4 महीने लग सकते हैं। इस बारे में एक सरकारी अधिकारी ने कहा, 'हम अपील दायर करने के लिए तैयार हैं और उसी आधार पर मध्यस्थता न्यायालय के आदेश पर स्थगन आदेश पाने की कोशिश करेंगे। दूसरे देशों में केयर्न द्वारा दर्ज मुकदमों के खिलाफ भी अपील करेंगे। हमारी संपत्ति जब्त करना आसान नहीं होगा क्योंकि भारत ने इंटरनैशनल सेंटर फॉर सेटलमेंट ऑफ इन्वेस्टमेंट डिस्प्यूट्स (आईसीएसआईडी) पर हस्ताक्षर नहीं किया है।' 'द हेग' में सरकार यह तर्क दे सकती है कि भारत सरकार को कर लगाने का संप्रभु अधिकार है और कोई निजी व्यक्ति इस पर कोई निर्णय नहीं ले सकता है। इसके अलावा सरकार का तर्क है किकेयर्न के साथ कर मामला द्विपक्षीय निवेश संधि की जद में नहीं आता है और अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता भी इस पर लागू नहीं होती है। भारत सरकार अंतरराष्ट्रीय लोक नीति का हवाला देकर यह तर्क दे सकती है कि केयर्न ने दुनिया में किसी भी देश में कर नहीं दिया है। सरकार ने पिछली तारीख से लागू होने वाले कर कानून में संशोधन के प्रावधानों के तहत केयर्न पर लगाया था, लेकिन मध्यस्थता अदालत ने इस मामले में केयर्न के पक्ष में फैसला सुनाया था। यह मामला 24,000 करोड़ रुपये की कर मांग से जुड़ा है। केयर्न ने 2006-07 में भारत में अपने कारोबार कार पुनर्गठन किया था और जिसके बाद सरकार ने कंपनी को हुए पूंजीगत लाभ पर कर की मांग की थी।
