आयकर रिटर्न में कर क्रेडिट के बेमेल से होगी मुश्किल | बिंदिशा सारंग / March 07, 2021 | | | | |
जिन आयकरदाताओं के रिटर्न अभी तक निपटाए नहीं गए हैं, उनसे आयकर विभाग ने दिक्कत देखने और उसे फौरन दूर करने के लिए कहा है। अगर आप भी ऐसे लोगों में शामिल हैं तो देख लेते हैं कि रिटर्न की प्रोसेसिंग में देर किन कारणों से हो जाती है और उन्हें किस तरह निपटाया जा सकता है। आयकर विभाग ने दिसंबर, 2020 में 'झटपट प्रोसेसिंग' के साथ सेंट्रल प्रोसेसिंग सेंटर 2.0 शुरू किया था। इसके तहत आईटीआर 1 और आईटीआर 4 को दो-तीन दिनों के भीतर निपटाया जा सकता है। मगर आपको शर्तें पूरी करनी होंगी। क्लियरटैक्स के मुख्य कार्याधिकारी अर्चित गुप्ता कहते हैं, 'सीपीसी अपडेट होने के कारण इस बार आईटीआर जल्दी निपटाए गए हैं और इसमें औसतन दो-तीन हफ्ते ही लगे हैं। हां, अगर गलतियां हों तो प्रोसेसिंग में देर हो सकती है।'
एक आम भूल कर क्रेडिट के दावे और वास्तव क्रेडिट का एक जैसा नहीं होना है। सरकारी खजाने में स्रोत पर कर कटौती (टीडीएस), अग्रिम कर, स्व निर्धारित कर आदि के माध्यम से जमा किए गए कर को कर क्रेडिट कहा जाता है। यह फॉर्म 26एएस में दिखाई देता है। अगर आपने कर रिफंड का दावा किया है और वह फॉर्म 26एएस की राशि से अलग होता है तो उसे कर क्रेडिट का बेमेल होना कहते हैं।
इस बेमेल का सबसे आम कारण टीडीएस का मिलान नहीं होना होता है, जिसका कारण कटौती करने वाले द्वारा कर टीडीएस जमा नहीं किया जाना, टीडीएस कटौती के बार रिटर्न दाखिल नहीं किया जाना, गलत स्थायी खाता संख्या दिखाना, टीडीएस रिटर्न में गलत रकम या गलत मूल्यांकन वर्ष चुनना आदि हैं।
फिर क्या करें?
यदि इसमें कटौती करने वाले की गलती है तो उसे ब्योरा सुधारते हुए संशोधित टीडीएस रिटर्न दाखिल करना होगा। करदाता को बेमेल राशि सुधारने के लिए आईटी फाइलिंग पोर्टल के माध्यम से धारा 154 (1) के तहत रिटर्न अपडेट करना होगा। इस धारा के तहत रिकॉर्ड से स्पष्ट होने वाली गलतियों को विभाग सही कर सकता है। एनए शाह एसोसिएट्स के पार्टनर गोपाल बोहरा कहते हैं, 'इस तरह की त्रुटियों में गणना की गलती, समूचा कर क्रेडिट नहीं दिया जाना, ऐसी कटौती के बदले रिफंड की मांग, जो कटौती हुई ही नहीं हो आदि शामिल हैं। मगर कानूनी या बहस योग्य मामलों को आयकर में सुधार आवेदन द्वारा नहीं निपटाया जा सकता।' मगर छोटी गलतियां सुधारने के लिए दोबारा रिटर्न नहीं भरना पड़ता।
गुप्ता कहते हैं, 'यदि कुल आय में बदलाव करना है तो संशोधित रिटर्न दाखिल करना होगा। संशोधित रिटर्न में कोई भी मूल रिटर्न के इतर छूट या कटौती का दावा नहीं कर सकता।' संशोधन के बाद कर देनदारी बढ़ जाती है या रिफंड की रकम घट जाती है तो विभाग करदाता को देनदारी के बारे में सूचना देगा। गुप्ता का कहना है कि करदाता इस पर सफाई दे सकता है या इसके खिलाफ अपील कर सकता है। जिस वित्त वर्ष में आदेश जारी जारी हुआ है, उसके बाद चार साल तक इस पर नोटिस दिया जा सकता है।'
अगर रिफंड में हो देरी
फरवरी के पहले सप्ताह तक आयकर विभाग ने 1.91 लाख करोड़ रुपये के कर रिफंड जारी कर दिए थे लेकिन अभी भी कई करदाताओं के रिफंड बाकी हैं। टैक्स कनेक्ट एडवाइजरी सर्विसेज एलएलपी के पार्टनर विवेक जालान कहते हैं, 'आईटीआर फाइल करने के 45 दिनों के भीतर रिफंड की प्रक्रिया शुरू हो जाती है। अगर आपको अभी तक यह नहीं मिला है तो हो सकता है कि आयकर विभाग के पोर्टल पर आपका बैंक खाता गलत पड़ा हो। इसे पोर्टल पर ही जाकर ठीक किया जा सकता है।' बोहरा कहते हैं, 'कभी-कभी रिफंड में देरी हो जाती है क्योंकि करदाता विभाग द्वारा आय में भिन्नता के बारे में भेजे गए संदेश का जवाब ही नहीं देता।' आयकर विभाग करदाता की पंजीकृत ईमेल आईडी पर इस तरह का कोई भी संदेश भेजता है। इसलिए आयकरदाताओं को नियमित तौर पर ईमेल जांचना चाहिए और किसी भी संदेश का तत्काल जवाब देना चाहिए।
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