सोने का भाव इस शनिवार को 44,000 रुपये प्रति 10 ग्राम के आसपास ही रहा। इसका मतलब यह है कि 7 अगस्त, 2020 के 55,901 रुपये के अपने रिकॉर्ड भाव से यह 20 फीसदी से भी ज्यादा लुढ़क चुका है। जो सोना खरीदना चाहते हैं, उनके लिए तो यह बढिय़ा खबर है मगर जिन्होंने सोना गिरवी रखकर कर्ज यानी गोल्ड लोन लिया है, उनके माथे पर शिकन पडऩी लाजिमी हैं। उन्हें भाव में गिरावट का मतलब समझने और जल्द से जल्द हरकत में आने की जरूरत है। कोरोना महामारी के कारण बिगड़ी माली हालत को संभालने और अचानक आईं वित्तीय जरूरतें पूरी करने के लिए पिछले साल बड़ी तादाद में लोगों ने गोल्ड लोन लिए थे। बैंकबाजार के मुख्य कार्याधिकारी (सीईओ) आदिल शेट्टी ने कहा, 'गोल्ड लोन लेना बहुत आसान होता है क्योंकि वह सोने को गिरवी रखकर दिया जाता है।' उस समय सोने का भाव चढ़ रहा था, इसलिए कर्ज लेने वालों को ज्यादा से ज्यादा रकम उधार मिल गई। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने भी उस समय गोल्ड लोन पर सोने की कीमत के मुकाबले कर्ज का अनुपात यानी एलटीवी अनुपात 75 फीसदी से बढ़ाकर 90 फीसदी कर दिया था। एंड्रोमीडा और अपनापैसा के मुख्य कार्य अधिकारी वी स्वामीनाथन कहते हैं, 'रिजर्व बैंक को लगा होगा कि महामारी के दौरान नकदी की जरूरत पूरी करने के लिए लोग आम तौर पर पर घरों पर पड़ी रहने वाली संपत्ति यानी सोने का फायदा उठा पाएंगे।' लेकिन यह दरियादिली अब फांस बन सकती है। सोने की कीमतों में गिरावट से उन कर्जदारों के सामने नई चुनौती खड़ी हो सकती है।एनबीएफसी के कर्जदार महफूज जब भाव गिरते हैं तो कम एलटीवी कर्जदारों को बचाता है। मुथूट पप्पाचन समूह के निदेशक जॉर्ज मुथूट ने कहा, 'हम सोने की कीमत का केवल 75 फीसदी बतौर कर्ज देते हैं। हम कर्ज की मियाद भी केवल एक साल रखते हैं।' उन्होंने कहा कि कीमतों में गिरावट के बावजूद उनके ग्राहकों के लिए एलटीवी ज्यादा से ज्यादा 80-85 फीसदी पर पहुंचा होगा। जब रिजर्व बैंक ने 90 फीसदी तक एलटीवी को मंजूरी दी थी, लेकिन सोने का काम करने वाली गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) को 75 फीसदी एलटीवी ही रखना था। इसलिए अगर आपने किसी एनबीएफसी से कर्ज लिया है तो आप कुछ समय तक राहत की सांस ले सकते हैं।गोल्ड लोन ट्रांसफर संभव? कर्ज देने वाली ज्यादातर कंपनियां गोल्ड लोन का बकाया दूसरी कंपऽी के पास ले जाने यानी बैलेंस ट्रांसफर की सुविधा नहीं देतीं। शेट्टी समझाते हैं, 'अगर आपने गोल्ड लोन लिया है और आपको वह बहुत महंगा पड़ रहा है तो आपको उसे बंद करने के लिए कहीं से रकम जुटानी होगी। वहां लोन बंद हो जाए तो आप किसी दूसरी कंपनी से सस्ता कर्ज ले सकते हैं।' मगर कुछ कंपनियां बैलेंस ट्रांसफर के लिए राजी हो जाती हैं। स्वामीनाथन बताते हैं, 'नई कंपनी को कर्ज देने वाली पुरानी कंपनी से मिला गिरवी का कागज दिखाकर बैलेंस ट्रांसफर किया जा सकता है। नई कंपनी गिरवी पड़े सोने की कीमत नए सिरे से आंकेगी, कागजी कार्रवाई पूरी करेगी और बैलेंस ट्रांसफर को अंजाम दे दिया जाएगा।'तब क्या करें? सोने के भाव थोड़े भी गिरे तो एलटीवी अनुपात बढ़ जाता है। पैसाबाजार के प्रमुख (गोल्ड लोन) अजय मिश्र बताते हैं, 'अगर एलटीवी अनुपात नियामक की सीमा से पार चला जाता है तो कंपनी कर्ज लेने वाले व्यक्ति से बढ़े हुए एलटीवी का भुगतान मांगती है। इसके लिए नकद या चेक जमा कराया जा सकता है और पैसा नहीं हो तो सोना गिरवी रखने के लिए भी कहा जा सकता है।' सोने के भाव पर नजर रखें और जिस कंपनी से कर्ज लिया है, उससे आए किसी भी संदेश को अनदेखा नहीं करें क्योंकि हो सकता है कि संदेश अतिरिक्त भुगतान के बारे में ही हो। अगर ऐसा संदेश आता है तो सबसे पहले कंपनी से राहत पाने की कोशिश करें। गोल्ड लोन आम तौर पर तीन तरह के होते हैं - सामान्य ईएमआई भुगतान, केवल ब्याज की अदायगी (मूलधन कर्ज की मियाद पूरी होने पर चुकाया जाता है) और बुलेट भुगतान (इसमें ब्याज और मूलधन मियाद पूरी होने पर ही चुकाए जाते हैं)। इनमें से पहले दो भुगतान विकल्पों में आपको कर्ज देने वाली कंपनी से राहत मिल सकती है मगर तीसरे विकल्प में राहत की गुंजाइश कम होती है। अगर आपको बातचीत करने के बाद भी राहत नहीं मिलती है तो आपके पास अतिरिक्त रकम जुटाने के अलावा कोई चारा नहीं रह जाता। अगर रकम नहीं जुटा पाए तो आपके कीमती गहने आपके हाथ से निकल सकते हैं क्योंकि कर्ज देने वाले के पास अपना बकाया वसूलने के लिए किसी भी समय आपका गिरवी सोना बेचने का अधिकार होता है। कोशिश कीजिए कि आपको सावधि जमा (एफडी) पर कर्ज मिल जाए या टॉप-अप होम लोन का इंतजाम हो जाए। कुछ भी नहीं हो सके तो आखिरी उपाय के तौर पर पर्सनल लोन ले लीजिए, जो महंगा जरूर होगा मगर आपके गहने बचा देगा।
