कॉरपोरेट ऋणशोधन अक्षमता मामलों पर लगी रोक खत्म होने में महज 15 दिन बाकी हैं। ऐसे में सरकार से जुड़े सूत्रों ने संकेत दिए हैं कि इस निलंबन को आगे बढ़ाए जाने की संभावना नहीं है। वरिष्ठ अधिकारियों के अनुसार निलंबन अवधि बढ़ाना आर्थिक रूप से व्यवहार्य नहीं होगा क्योंकि इससे दबाव वाली कंपनियों के पुनर्गठन की संभावनाएं प्रभावित हो रही हैं। इसके साथ ही कम समय में कानून में संशोधन करना भी चुनौतीपूर्ण होगा। ऋणशोधन अक्षमता एवं दिवालिया संहिता (आईबीसी) के निलंबन से संबंधित किसी तरह के बदलाव - अवधि बढ़ाने या नियमों में किसी तरह के अपवाद के लिए विधेयक को दोनों सदनों में पारित करना होगा। अधिकारियों ने संकेत दिए कि इस बारे में कोई हलचल नहीं दिख रही है। बजट सत्र सोमवार को फिर शुरू होगा और 8 अप्रैल तक चलेगा। सरकार इस बारे में अध्यादेश नहीं ला सकती क्योंकि निलंबन अवधि खत्म होने तक सदन चल रहा होगा। महामारी को देखते हुए आईबीसी की धारा 19ए के तहत कंपनियों को एक साल तक के लिए दिवालिया से सुरक्षा प्रदान करने का प्रावधान किया गया था। यह अवधि 25 मार्च, 2020 से शुरू है। शुरुआत में आईबीसी को छह महीने के लिए निलंबित किया गया था, जो सितंबर 2020 को खत्म हो गया। बाद में इसे दो बार तीन-तीन महीने के लिए बढ़ाया गया था। इस रियायत की अवधि 24 मार्च, 2021 को खत्म हो रही। कानून में कहा गया है, 'निलंबन अवधि में कॉरपोरेट कर्जदार के भुगतान में चूक करने की स्थिति में ऋणशोधन अक्षमता समाधान प्रक्रिया शुरू करने के लिए आवेदन दायर नहीं किए जा सकते।' हालांकि ऐसी चिंता भी है कि राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) में मामलों की संख्या बढ़ेगी और निलंबन समाप्त होने के बाद इनका अंबार लग जाएगा। सितंबर 2020 तक एनसीएलटी में 1,942 निगमित दिवालिया मामले विचाराधीन थे, जिनमें 1,400 मामले 270 दिनों से अधिक समय से चल रहे थे। सरकारी अधिकारियों का मानना है कि कोविड-19 प्रोत्साहन पैकेज के हिस्से के तौर पर भुगतान में चूक की अधिकतम सीमा 1 लाख रुपये से बढ़ाकर 1 करोड़ रुपये कर दी थी, इसलिए इससे दिवालिया मामलों की संख्या काफी कम हो जाएगी। खासकर उन मामलों में कमी आएगी जिन्हें परिचालन लेनदारों ने शुरू किए हैं। आईबीसी के तहत आधे से अधिक मामले ऑपरेशन क्रेडिटर्स ने शुरू किए थे और इनमें करीब 45 प्रतिशत मामलों में भुगतान में चूक 1 करोड़ रुपये से कम थी। कंपनी मामलों का मंत्रालय एक अधिसूचना के जरिये चूक की अधिकतम सीमा न्यूनतम सीमा कम करने के लिए अधिकृत किया गया है। निलंबन समाप्त होने के बाद सरकार यह देखने के लिए संभवत: करीब छह महीनों के लिए इंतजार कर सकती है कि आईबीसी को लेकर बाजार की प्रतिक्रिया कैसी और स्थिति में सुधार हो रहा है या नहीं। इस बारे में उद्योग जगत के एक विशेषज्ञ ने कहा, 'एमएसएमई बढ़ी सीमा के कारण परेशानी झेल रहे हैं। उनके लिए ऋण महंगा हो जाएगा और पूंजी लागत अधिक हो जाएगी।'
