गैर-सूचीबद्धता पेशकश की कीमत रिकॉर्ड ऊंचाई पर | सचिन मामबटा और सुंदर सेतुरामन / मुंबई March 05, 2021 | | | | |
स्टॉक एक्सचेंजों से कंपनियों की गैर-सूचीबद्धता के लिए इस साल बहुलांश शेयरधारकों को ज्यादा रकम की पेशकश की गई और यह पिछले 17 वर्षों के मुकाबले ज्यादा है। वित्त वर्ष 2020-21 में गैर-सूचीबद्धता की ऐसी पेशकश की कीमत रिकॉर्ड 22,165.5 करोड़ रुपये रही। यह जानकारी प्राइम डेटाबेस के आंकड़ों से मिली। इस वित्त वर्ष को पूरा होने में एक महीना बाकी है और आंकड़ा रिकॉर्ड स्तर पर पहले ही पहुंच चुका है क्योंंकि इससे संबंधित रिकॉर्ड वित्त वर्ष 2004 से उपलब्ध हैं। यह रकम वित्त वर्ष 2016 के पिछले उच्चस्तर 5,479.4 करोड़ रुपये के मुकाबले चार गुने से ज्यादा है। गैर-सूचीबद्धता तब होती है जब बहुलांश या नियंत्रक हिस्सेदार आम लोगों से पर्याप्त शेयरों की पुनर्खरीद करते हैं ताकि कंपनी को शेयर बाजार से असूचीबद्ध कराया जा सके। अल्पांश शेयरधारकों से ऐसी पेशकश के जरिए वित्त वर्ष 2021 में अधिग्रहीत रकम भी वित्त वर्ष 2004 के बाद का दूसरा सबसे बड़ा आंकड़ा है और यह 4,199.8 करोड़ रुपये है।
प्राइम डेटाबेस के प्रबंध निदेशक प्रणव हल्दिया ने कहा, बढ़ता बाजार आम तौर पर गैर-सूचीबद्धता के लिए सही वक्त नहीं होता है क्योंंकि कंपनियों के लिए यह काफी महंगा होता है। यह मोटे तौर पर मंदी वाले बाजार का घटनाक्रम होता है।
साल के शुरुआत में कोविड महामारी के कारण शेयर बाजार का मूल्यांकन काफी ज्यादा धराशायी हो गया था। प्राकृतिक संसाधन कंपनी वेदांत की गैर-सूचीबद्धता की कवायद का शेयर पुनर्खरीद पेशकश में अकेले अहम हिस्सेदारी रही। अक्टूबर 2020 मेंं इसकी नाकामी का मतलब यह है कि अधिग्रहण पर कुल मिलाकर कम रकम खर्च की गई। साल में कुल मिलाकर ऐसी पेशकश की संख्या 14 रही।
हेक्सावेयर टेक्नोलॉजिज ने सितंबर में कामयाब गैर-सूचीबद्धता का ऐलान किया। एक सार्वजनिक नोटिस में कंपनी ने कहा कि वह 8.7 करोड़ शेयरों का अधिग्रहण करेगी। गैर-सूचीबद्धता पेशकश के तहत कीमत 475 रुपये प्रति शेयर तय की गई। साल के दौरान गैर-सूचीबद्धता पर खर्च की गई रकम में इसकी हिस्सेदारी अहम रही।
अदाणी पावर ने भी ऐलान किया कि वह 33.82 रुपये प्रति शेयर की गैर-सूचीबद्धता कीमत पर शेयरों के अधिग्रहण पर विचार कर रही है। कंपनी को आम शेयरधारकों से पूरे शेयर खरीदने में 3,000 करोड़ रुपये से ज्यादा खर्च करने पड़े।
बाजार नियामक सेबी ने गैर-सूचीबद्धता के मौजूदा ढांचे में सुधार की खातिर नवंबर में चर्चा पत्र तैयार किया। जिन बदलावों का प्रस्ताव किया गया है उनमें पेशकश पूरी करने की समयसारणी छोटी करने और प्रवर्तकों की तरफ से गैर-सूचीबद्धता कीमत की स्वीकार्यता जरूरी करने का प्रस्ताव शामिल है, अगर यह पहले दिए गए न्यूनतम भाव के समान हो। इस कदम को गैर-सूचीबद्धता प्रक्रिया से जुड़े मसलों के समाधान के तौर पर देखा जाता है। चर्चा पत्र में कहा गया है, फ्लोर प्राइस के बारे में प्रवर्तक पहले से ही जानते हैं और पूरी गैर-सूचीबद्धता प्रक्रिया (एस्क्रो खाता खोलना, रकम जमा कराना, आम शेयरधारकों की बोली और शेयरधारकों की तरफ से शेयर जमा कराना ) फ्लोर प्राइस के आधार पर धीरे-धीरे आगे बढ़ती है। ऐसे में प्रवर्तक गैर-सूचीबद्धता कीमत स्वीकार करने के लिए बाध्य हैं और प्रवर्तकों के पास इसे ठुकराने का विकल्प नहीं होना चाहिए।
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