विदेशी बॉन्ड बाजार में कंपनी जगत | देव चटर्जी और अभिजित लेले / मुंबई March 05, 2021 | | | | |
भारतीय कंपनियां अपने परिचालन खर्च की खातिर फंड जुटाने के लिए अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेजी से उतर रही हैं और स्थानीय बॉन्ड बाजार का उन्होंने त्याग कर दिया है। कंपनियों के लिए चूंकि बॉन्ड महंगा होता है और निवेशक बैंकों के मुकाबले ज्यादा संशयवादी होते हैं। ऐसे में सीएफओ का कहना है कि वे आगामी महीनों में रकम जुटाने के लिए अन्य जरिये पर नजर डाल रहे हैं क्योंकि डॉलर बॉन्ड की दरें 100 से 250 आधार अंक तक कम है।
बजाज समूह के अध्यक्ष (वित्त) पी बनर्जी ने कहा, ठीक-ठाक क्रेडिट गुणवत्ता वाली कंपनियों के लिए भारतीय बॉनन्ड बाजार लागत के नजरिये से कम आकर्षक रह गया है। इसके अतिरिक्त फ्रैंकलिन के घटनाक्रम के बाद भारतीय बॉन्ड बाजार पर निवेशकों द्वारा लगाई की शर्तें बोझ बन गई हैं।
उन्होंने कहा, ऐसे में काफी कम कंपनियां संसाधन के लिए देसी बॉन्ड बाजार की ओर देख रही है क्योंकि बैंंक लोन मार्केट व विदेशी बॉन्ड बाजार ज्यादा आकर्षक है।
कर्ज व्यवस्थापक से जुड़े अधिकारियों ने कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र की कुछ फर्मों समेत कई कंपनियां ब्याज दरों में इजाफे से पहले वित्त वर्ष के लिए उधारी योजना पूरा करना चाह रही हैं। एक बैंकर ने कहा, बाजार में जिनकी स्वीकार्यता है वे मनी मार्केट से सस्ती दरों पर अल्पावधि के फंड जुटाने पर विचार कर रही हैं। नकदी पर्याप्त है, जो दरों को निचले स्तर पर रख रहा है।
इस साल जनवरी में इस अखबार ने जो आंकड़े संग्रहित किए थे उनसे पता चलता है कि कंपनियों ने 72,143 करोड़ रुपये जुटाए जबकि जनवरी 2020 में 78,800 करोड़ रुपये जुटाए थे। इसी तरह इस साल फरवरी में भारतीय कंपनी जगत ने 45,505 करोड़ रुपये जुटाए जबकि फरवरी 2020 में 69,000 करोड़ रुपये जुटाए थे। भारतीय कंपनियों ने विदेशी बाजार से इस साल जनवरी व फरवरी में
7.6 अरब डॉलर जुटाए जबकि साल 2020 में 21 अरब डॉलर जुटाए थे।
निवेशक एएए रेटिंग वाली कंपनियों से उच्च दरों की मांग कर रहे हैं, जिससे कई कंपनियां अपनी योजना टाल रही हैं। इन कंपनियों में सिक्का पोट्र्स, जामनगर यूटिलिटीज (आरआईएल प्रवर्तक मुकेश अंबानी की व्यक्तिगत इकाई), ग्रासिम और ब्रुकफील्ड इंडिया रियल एस्टेट इन्वेस्टमेंट ट्रस्ट शामिल हैं, जिनका कहना है कि वे जिस कीमत पर रकम जुटाने चाहते थे वह उन्हें नहीं मिल पाया।
बैंकरों ने कहा, ग्रासिम, हिंडाल्को, बिड़ला कार्बन और एचसीएल टेक जैसी कंपनियां 10 साल के बॉन्ड के लिए विदेशी डॉलर बॉन्ड बाजार का सहारा लेंगी क्योंंकि विदेश में ब्याज दरें ज्यादा आकर्षक हो गई हैं। अनिल अग्रवाल के स्वामित्व वाली वेदांत ने हाल में 1.2 अरब डॉलर जुटाए क्योंंकि वह सरकारी कंपनियों के अधिग्रहण की तैयारी कर रही है।
मार्च के अंत तक पूरा होगा विस्तार: केयर्न
केयर्न ऑयल ऐंड गैस अपने कच्चे तेल एवं गैस उत्पादन में विस्तार को मार्च के अंत तक पूरा करने की कोशिश कर रही है। पिछले साल लॉकडाउन के कारण ये परियोजनाएं प्रभावित हुई थीं।
केयर्न ऑयल ऐंड गैस के उप मुख्य कार्याधिकारी प्रचूर साह ने बिजनेस स्टैंडर्ड से कहा, 'करीब दो-ढाई साल पहले हमने विस्तार की एक व्यापक प्रक्रिया शुरू की थी जिसे कोविड-19 के प्रकोप के मद्देनजर बंद कर दिया गया था। लेकिन अब हम उससे उरबने में कामयाब रहे और हम इनमें से अधिकतर परियोजनाओं को पूरा कर रहे हैं। हमने पिछले कुछ महीनों के दौरान इनमें से कुछ परियोजनाओं को पूरा किया है और हम मार्च के अंत तक अधिकतर परियोजनाओं को पूरा कर लेंगे।' केयर्न ऑयल ऐंड गैस अनिल अग्रवाल के नियंत्रण वाले वेदांत समूह की इकाई है। फिलहाल केयर्न ऑयल ऐंड गैस राजस्थान ब्लॉक और अपतटीय ब्लॉक से उत्पादन करती है। साह ने कहा, 'हमारे पास ऐसी पांच परिसंपत्तियां हैं जिनका परिचालन किया जा रहा है। साथ ही हमारे पास ओएएलपी बोली दौर के तहत 51 ब्लॉक मौजूद हैं।' बीएस
|