भाजपा की ओर से प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार लालकृष्ण आडवाणी ने सरकार से विदेशी बैंकों में जमा भारत के काले धन को वापस लाने के लिए प्रयास करने की मांग की और यह भी कहा कि आगामी जी-20 की बैठक में भी इस मुद्दे को उठाया जाए। विदेशी बैंकों में जमा भारतीयों के काले धन के मुद्दे पर गठित पार्टी के चार सदस्यीय टास्क फोर्स की रिपोर्ट का विमोचन करते हुए आडवाणी ने कहा कि यह देश के भीतर मौजूद काले धन से ज्यादा खतरनाक है। आडवाणी ने कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार ने खुद संकेत दिया था कि देश के बाहर से काला धन भारतीय बाजार में आतंक के लिए वित्तीय मदद के तौर पर पहुंचता है। उन्होंने यह मांग की कि सरकार को काले धन का मुद्दा 25 अप्रैल को होने वाले जी-20 के अधिवेशन में भी उठाना चाहिए। इस मुद्दे पर भाजपा नेतृत्व ने चार सदस्यीय कार्य बल का गठन किया था जिसमें चार्टर्ड अकाउंटेंट एस गुरुमूर्ति, आईआईएम बेंगलूर के प्रोफेसर वैद्यनाथन, सुरक्षा विशेषज्ञ अजित दोवाल और लोकसभा चुनाव के लिए भाजपा के उम्मीदवार तथा वकील महेश जेठमलानी शामिल हैं। आडवाणी ने कहा कि सरकार ने काले धन होने की बात से इंकार नहीं किया है। उन्होंने कहा, 'हमारे आंकड़े अनर्गल नहीं हैं जैसा कि सरकार ने कहा है।' आडवाणी ने कहा कि भारत और अन्य विकासशील देशों से 6.88 लाख करोड़ रुपये मूल्य का धन पिछले पांच साल में विदेशों में कर बचाने के लिहाज से जमा किया गया है। आडवाणी ने कहा कि भारत को गुप्त बैंकिंग और टैक्स हेवेन्स के प्रति मूक दर्शक बने रहने का रवैया छोड़ना चाहिए।
