सेंसेक्स 51 हजार और निफ्टी 15 हजार पार | सुंदर सेतुरामन / मुंबई March 03, 2021 | | | | |
बॉन्ड पर प्रतिफल कम होने और आर्थिक सुधार में तेजी की उम्मीद बढऩे के बीच लगातार तीसरे दिन बुधवार को बाजार में उछाल देखी गई। देश में कोविड-19 से बचाव का टीकाकरण अभियान जोर पकडऩे और दुनिया भर में वित्तीय प्रोत्साहनों पर कवायद तेज होने के बीच निवेशकों का उत्साह सातवें आसमान पर पहुंच गया। बुधवार को 2 फरवरी के बाद बाजार में सबसे बड़ी तेजी दर्ज की गई। बंबई स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) का संवेदी सूचकांक 1,147 अंक (2.3 प्रतिशत) की तेजी के साथ 51,444 अंक पर पहुंच गया। सेंसेक्स अब 15 फरवरी के अपने सर्वकालिक स्तर 51,154 से मात्र 710 अंक पीछे रह गया है। एनएसई निफ्टी भी 326 अंक की तेजी के साथ 15,245 अंक के स्तर पर पहुंच गया। पिछले तीन सत्रों में भारत का बाजार पूंजीकरण 10 लाख करोड़ रुपये से अधिक बढ़ गया है।
दुनिया के केंद्रीय बैंकों के इस आश्वासन के बाद बॉन्ड पर प्रतिफल में कमी आई कि उदारवादी मौद्रिक नीति फिलहाल जारी रहेगी। ऑस्ट्रेलिया जैसे कुछ बाजारों ने उधारी पर लागत कम करने के लिए बॉन्ड की खरीदारी बढ़ा दी। अवेंडस कैपिटल अल्टरनेट स्ट्रैजीज के मुख्य कार्याधिकारी एंड्र्यू हॉलेंड ने कहा,'पिछले सप्ताह दुनिया भर के बाजारों को झटका लगाने के बाद नीति निर्धारक हालात सामान्य बनाने में जुट गए हैं। फिलहाल ऐसे आंकड़े भी उपलब्ध नहींं हैं जो महंगाई दरों में उछाल का संकेत दे रहे हैं।'
बॉन्ड पर बढ़ते प्रतिफल के बीच पिछले सप्ताह शेयर बाजार को झटका लगा था और शुक्रवार को सेंसेक्स और निफ्टी 4 प्रतिशत फिसल गए थे। इससे निवेशकों के मन में यह चिंता घर कर गई कि आर्थिक सुधार और अनुकुल मौद्रिक नीतियों के बीच महंगाई बढ़ सकती है, जिससे भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) केंद्रीय बैंक मौद्रिक नीति कड़ी करने पर विचार कर सकता है।
बुधवार को 10 वर्ष के अमेरिकी ट्रेजरी बॉन्ड पर प्रतिफल 1.45 प्रतिशत रहा। कुछ समय के लिए यह 1.40 प्रतिशत से नीचे चला गया था। पिछले सप्ताह प्रतिफल उछल कर 1.61 प्रतिशत तक पहुंच गया था, जिससे निवेशक सुरक्षित परिसंपत्तियों में रकम लगाने के लिए दौड़ पड़े। हालांकि अब विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफपीआई) ने दोबारा जोखिम लेने की हिम्मत दिखाई है। उन्होंने बुधवार को लगतार दूसरे दिन 2,000 करोड़ रुपये से अधिक की लिवाली की। विशेषज्ञों ने कहा कि अमेरिका में 1.9 लाख करोड़ डॉलर का प्रोत्साहन पैकेज मंजूर होने और अन्य देशों द्वारा भी राहत उपायों के वादों के बाद आर्थिक सुधार तेजी से जोर पकडऩे की उम्मीदें और बढ़ गईं। चालू वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही में भारत के सकल घरेलू उत्पाद के उम्मीद जगाने वाले आंकड़ों से भी निवेशकों का मनोबल बढ़ा।
|