भारतीय अर्थव्यवस्था में 'सुधार' सरकार पैसे खर्च करने को तैयार | भाषा / March 02, 2021 | | | | |
नीति आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष अरविंद पानगढिय़ा ने मंगलवार को कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था में 'सुधार' आ रहा है और सरकार वृद्धि को समर्थन के सुधारों को आगे बढ़ाने के लिए और पैसा खर्च करने की योजना बनाई है। हालांकि, इसके साथ पानगढिय़ा ने कहा कि कोरोना वायरस महामारी की वजह से पैदा हुई अड़चनों की वजह से भारतीय अर्थव्यवस्था को 5,000 अरब डॉलर पर पहुंचाने में अभी समय लगेगा।
नीति आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष ने अगले वित्त वर्ष में दो सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के निजीकरण के फैसले को एक 'असाधारण' प्रयास बताया। उन्होंने कहा कि यह 50 साल पहले जो गलत हुआ था, उसे अंतत: ठीक करने का प्रयास है। उनका इशारा पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा बैंकों के राष्ट्रीयकरण की ओर था।
उन्होंने कहा कि चालू वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की 0.4 प्रतिशत की वृद्धि दर सुस्त लगती है। लेकिन जिस तरह से पहली और दूसरी तिमाही में अर्थव्यवस्था में क्रमश: 24.4 प्रतिशत और 7.3 प्रतिशत की गिरावट आई है उसके मद्देनजर तिमाही-दर-तिमाही आधार पर यह वृद्धि काफी मजबूत दिखती है।
मांग बढ़ाने वाले सभी कारक सक्रिय, निजी क्षेत्र नदारद
आर्थिक वृद्धि को गति देने के लिए जब सकल मांग को बढ़ावा देने वाली जब सभी शक्तियां आगे बढ़ रही हैं, निजी निवेश नदारद हैं। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के अधिकारियों के एक लेख में यह कहा गया है। लेख में कहा गया है, 'इसमें बहुत कम संदेह है कि जो पुनरुद्धार हो रहा है, वह खपत में आ रही तेजी पर आधारित है।'
ज्यूरी का मानना है कि इस प्रकार का पुनरुद्धार ज्यादा टिकाऊ या व्यापक नहीं है। लेख में कहा गया है कि निवेश की भूख, औसत भारांकित लाभ और संभाव्यताओं के गुणा-भाग से नहीं बल्कि हाथ बांध कर बैठे रहने की जगह कुछ कर गुजरने की स्व-प्रेरित इच्छा शक्ति से बढ़ती है। आरबीआई के डिप्टी गवर्नर माइकल देबव्रत पात्रा और अन्य अधिकारियों द्वारा लिखे गए लेख में कहा गया है, 'सकल मांग से संबद्ध सभी इंजन में तेजी आने लगी है, केवल निजी निवेश इसमें नदारद है। यह समय निजी निवेश के लिए पूरी तरह से उपयुक्त है।'
यह लेख आरबीआई-बुलेटिन के फरवरी 2021 अंक में प्रकाशित हुआ है। बजट में अब तक के सर्वाधिक पूंजी व्यय के साथ राजकोषीय नीति के तहत निजी क्षेत्र के लिये निवेश के अवसर हैं। इसमें कहा गया है, 'क्या भारतीय उद्योग और उद्यमी इस अवसर का लाभ उठाते हुए कदम आगे बढ़ाएंगे?' कोविड-19 महामारी के कारण भारतीय अर्थव्यवस्था में चालू वित्त वर्ष में 8 प्रतिशत की गिरावट का अनुमान जताया गया है। अर्थव्यवस्था में अगले वित्त वर्ष में तीव्र गति से दहाई अंक में आर्थिक वृद्धि का अनुमान है। भाषा
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