एलआईसी नियंत्रित आईडीबीआई बैंक अपने 45,586 करोड़ रुपये के कुल नुकसान को बैंक की योजना के अनुसार सिक्योरिटीज प्रीमियम अकाउंट में बैलेंस के साथ समायोजित करेगा। 31 मार्च 2020 के अंत तक उसका कुल समेकित नुकसान (लाभ का डेबिट बैलेंस या लॉस अकाउंट) 45,586 करोड़ रुपये दर्ज किया गया था। वहीं 31 दिसंबर, 2020 तक यह 44,739 करोड़ रुपये पर था। ऋणदाता ने कहा है कि 31 मार्च 2021 को समेकित नुकसान का आंकड़ा ऑडिटेड वित्तीय विवरण को बैंक बोर्ड द्वारा स्वीकृति दिए जाने के बाद पेश किया जाएगा। बैंक की अधिकृत शेयर पूंजी 25,000 करोड़ रुपये है। जारी, अधिग्रहीत और चुकता शेयर पूंजी 10,752.40 करोड़ रुपये और सिक्योरिटी प्रीमियम 50,732.27 करोड़ रुपये है। आईडीबीआई बैंक ने कहा है कि वित्त वर्ष 2020 के लिए ऑडिटेड वित्तीय विवरणों के अनुसार बैंक के क्रेडिट ऑफ सिक्योरिटीज प्रीमियम अकाउंट के लिए बैलेंस 1 अप्रैल, 2020 को 49,669 करोड़ रुपये था। यह बैलेंस 31 दिसंबर, 2020 को गैर-लेखा वित्तीय विवरणों के अनुसार 50,718 करोड़ रुपये था। उसने कहा है, '31 मार्च 2021 तक यह बैलेंस बैंक के निदेशक मंडल द्वारा स्वीकृत वित्तीय विवरणों के बाद तय किया जाएगा।' पिछले महीने बैंक के बोर्ड ने ऋणदाता के समेकित नुकसान को पूर्ण या आंशिक तौर पर, सिक्योरिटीज प्रीमियम अकाउंट में बैलेंस का इस्तेमाल कर 1 अप्रैल 2021 तक निर्धारित किए जाने का प्रस्ताव रखा था। इस बदलाव की वजह बताते हुए ऋणदाता ने कहा था कि संचित नुकसान से शेयर पूंजी के संदर्भ में उसकी वैल्यू प्रभावित हुई है। उसने कहा था, 'संचित नुकसान के संदर्भ में, फरवरी 2017 की आरबीआई की अधिसूचना के तहत वितरण योग्य मद नकारात्मक हैं, और बैंक एटी (एडीशनल टियर)-1 बॉन्ड के कूपन भुगतान के लिए पात्र नहीं है।' इससे भविष्य में एटी-ल्1 बॉन्ड जुटाने की बैंक की योजना प्रभावित हो रही है। उसका कहना है कि शेयर पूंजी में कमी लाना बेहद व्यावहारिक और किफायती विकल्प है, जिससे कि बैंक की वित्तीय सेहत की सही और उचित तस्वीर पेश की जा सके। आईडीबीआई बैंक ने कहा था कि वास्तविक वैल्यू के सही आकलन से सदस्यों को फायदा होगा क्योंकि उनकी होल्डिंग को बेहतर वैल्यू हासिल होगी और साथ ही बैंक को सदस्यों को लाभान्वित करने के अवसर तलाशने में भी आसानी होगी, जिनमें उचित समय-सीमा के अंदर लाभांश भुगतान आदि भी शामिल है।
