मुद्रास्फीति बढऩे का डर, बाजार में हलचल | सुंदर सेतुरामन / मुंबई March 01, 2021 | | | | |
अमेरिका में बॉन्ड प्रतिफल में अचानक आई तेजी से इस हफ्ते शेयर बाजार में भारी उतार-चढ़ाव देखा जा सकता है। पिछले हफ्ते 10 वर्षीय अमेरिकी बॉन्ड का प्रतिफल 1.61 फीसदी तक चढ़ गया था, जिसकी वजह से दुनिया भर के बाजारों में जोरदार बिकवाली देखी गई थी। बीते शुक्रवार को सेंसेक्स और निफ्टी भी करीब 4 फीसदी लुढ़क गए थे।
हालांकि निवेशकों को इससे थोड़ी राहत मिल सकती है कि अमेरिकी बॉन्ड का प्रतिफल कम होकर 1.41 फीसदी पर आ गया है लेकिन अभी भी यह एक महीने के 1.08 फीसदी के स्तर से ज्यादा है। अमेरिकी संसद 1.9 लाख करोड़ डॉलर के राहत पैकेज को मंजूरी दे सकती है जिससे निवेशकों का मनोबल बढ़ सकता है। शुक्रवार को डाऊ जोंस 1.5 फीसदी गिरावट पर बंद हुआ लेकिन नैसडैक निचले स्तर से 0.56 फीसदी बढ़त पर बंद हुआ।
विशेषज्ञों का कहना है कि मुद्रास्फीति के अनुमान के हिसाब से बाजार की चाल तय हो सकती है। नीति निर्माता मुद्रास्फीति को बड़ा जोखिम नहीं मान रहे हैं लेकिन पिछले हफ्ते बॉन्ड बाजार की चाल से मुद्रास्फीति बढऩे का संकेत मिलता है। हालांकि यह देखना होगा कि मुद्रास्फीति प्रोत्साहन व्यय की वजह से अस्थायी तौर पर बढ़ती है या लंबे समय तक बनी रहती है, जिससे केंद्रीय बैंकों को दरें बढ़ाने पर मजबूर होना पड़े। डॉल्टन कैपिटल इंडिया के निदेशक यूआर भट्ट ने कहा, 'बॉन्ड बाजार के निवेशक इस ताक में बैठे हैं कि ब्याज दरों में इजाफे का जरा सा संकेत मिलते ही वे बाजार से निकल जाएंगे।'
यूआर भट्ट ने कहा कि ब्याज दरों में थोड़ा सा भी इजाफा हुआ तो शेयर बाजार से निवेश बॉन्ड बाजार में जा सकता है। हम उम्मीद करते हैं कि फेडरल रिजर्व और अन्य केंद्रीय बैंक निवेशकों की घबराहट को दूर करने के लिए सतर्क बयान देंगे। अगर वे ब्याज दरों पर निवेशकों की चिंता को दूर करने में सफल रहते हैं तो बाजार में स्थिरता आ सकती है।'
शुक्रवार को विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों ने भारतीय बाजार में 8,300 करोड़ रुपये की बिकवाली की, इससे रुपये में करीब 19 महीने में एक दिन की सबसे बड़ी 1.04 रुपये की गिरावट आई। डॉलर के मुकाबले रुपया 73.47 पर बंद हुआ था। विशेषज्ञों का कहना है कि अगर विदेशी निवेशक घरेलू बाजार में बिकवाली जारी रखते हैं तो रुपया और कमजोर हो सकता है तथा बाजार में गिरावट बढ़ सकती है।बाजार में उतार-चढ़ाव को आंकने वाला पैमाना इंडिया विक्स सूचकांक शुक्रवार को 23 फीसदी चढ़कर 28 पर पहुंच गया। इससे पहले कोविड की अनिश्चितता के बीच जुलाई 2020 में सूचकांक इस स्तर पर पहुंचा था। महामारी के दौरान मार्च 2020 के निचले स्तर से बेंचमार्क सूचकांक करीब दोगुना हो गया है। विशेषज्ञों का कहना है कि बॉन्ड प्रतिफल में तेजी शेयर बाजार के आकर्षण को घटा सकती है।
अवेंडस कैपिटल अल्टरनेट स्ट्रैटजीज के मुख्य कार्याधिकारी एंड्रयू हॉलैंड ने कहा, 'अगर रोजगार में तेजी आई है और लोग खर्च बढ़ाते हैं तो मुद्रास्फीति भी बढ़ेगी। इसके कारण ब्याज दरें भी बढ़ानी पड़ सकती हैं। ऐसे में अगर निवेशक को समान प्रतिफल बॉन्ड में मिलता है तो वे इक्विटी से निवेश निकाल लेंगे।'पिछले हफ्ते की गिरावट के बाद सेंसेक्स और निफ्टी अपने उच्चतम स्तर से करीब 6 फीसदी नीचे आ गए हैं। सेंसेक्स अभी 49,100 और निफ्टी 14,529 पर है। हालांकि सेंसेक्स और निफ्टी अभी भी वित्त वर्ष 2023 के आय के अनुमान से 20 गुना पर कारोबार कर रहे हैं। यह 10 वर्ष के औसत 16 गुना से कहीं ज्यादा है। विशेषज्ञों का कहना है कि अगर स्थिति चुनौतीपूर्ण रही तो मूल्यांकन कम हो सकता है।
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