इक्विटी बिकवाली पर रुपया लुढ़का, बॉन्ड प्रतिफल बढ़ा | अनूप रॉय / मुंबई February 26, 2021 | | | | |
इक्विटी बाजारों से मिले रुझानों के बाद शुक्रवार को भारतीय रुपया में भारी गिरावट आई, जबकि बॉन्ड प्रतिफल में तेजी से अमेरिकी प्रतिफल प्रभावित हुआ।
रुपया 1.422 प्रतिशत गिर गया, जो एशिया में दिन के कारोबार में सबसे बड़ी गिरावट के साथ 73.47 प्रति डॉलर पर रहा जबकि उसका पूर्ववर्ती बंद स्तर 72.42 था। सेंसेक्स 1,900 अंक या 3.80 प्रतिशत से ज्यादा गिरकर 49,100 अंक पर बंद हुआ।
रुपया एशिया में सबसे कमजोर रहा, जिसके बाद दक्षिण कोरियाई वोन में 1.39 प्रतिशत की कमजोरी दर्ज की गई। शुक्रवार को डॉलर के मुकाबले लगभग सभी प्रमुख मुद्राओं में गिरावट दर्ज की गई। प्रमुख मुद्राओं के मुकाबले डॉलर सूचकांक 0.50 प्रतिशत मजबूत होकर 90.59 पर पहुंच गया।
रुपये में कमजोरी कुछ और समय तक बरकरार रहने का अनुमान है, हालांकि यह आरबीआई की रणनीति के पक्ष में है क्योंकि अतिरिक्त रिजर्व के साथ इसे कुछ समय तक कमजोर बनाए रखने की कोशिश की गई थी। मार्च 2020 से, आरबीआई ने 100 अरब डॉलर से ज्यादा का रिजर्व एकत्रित किया है जिससे रुपये को मजबूत होने से रोकने में मदद मिली है। कमजोर रुपये से भारत के निर्यात में मदद मिलती है।
आरबीआई के गवर्नर ने गुरुवार को कहा कि उसका रिजर्व संग्रह अनिश्चितता रोकने के लिए है, जैसा कि 2013 के प्रयास के दौरान देखा गया था।
आरबीआई के गवर्नर ने कहा, 'आरबीआई की जिम्मेदारी यह सुनिश्चित करना है कि विनिमय दर में स्थिरता हो, और हमाराप ध्यान हमेशा अनावश्यक अनिश्चितता रोकना हो, जिससे कि निर्यातकों या आयातकों और अन्य व्यवसायियों को भी मजबूत निर्णय लेने में मदद मिल सके।'
केंद्रीय बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास के अनुसार, 'आरबीआई की नीति अत्यधिक अस्थिरता रोकना है। जब हम अतिरिक्त अस्थिरता को रोकें, तो मेरा मानना हे कि एमएसएमई समेत हरेक क्षेत्र की चिंता को दूर किया जाना चाहिए।' 10 वर्षीय बॉन्ड प्रतिफल अपने पूर्ववर्ती बंद स्तर 6.16 से चढ़कर 6.23 प्रतिशत पर पहुंच गया। पांच वर्षीय अमेरिकी प्रतिफल करीब 1.5 प्रतिशत पर मार्च 2020 से अपने सर्वाधिक ऊंचे स्तर पर है। दो वर्षीय प्रतिफल भी कुछ सत्रों में 6 आधार अंक चढ़ा है।
आईएफए ग्लोबल के अनुसार, 'अल्पावधि अमेरिकी प्रतिफल में तेजी निश्चित तौर पर शॉर्ट डॉलर पोजीशन के लिए सतर्कता का संकेत है।' शुक्रवार को घरेलू बॉन्ड प्रतिफल में तेजी की अन्य वजह यह भी रही कि आरबीआई ने अपने पांच वर्षीय बॉन्डों को डिवॉल्व किया।
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