बेहतर हो तैयारी | संपादकीय / February 26, 2021 | | | | |
बुधवार को नैशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) में तकनीकी गड़बड़ी की घटना ने देश के वित्तीय कारोबार के बुनियादी ढांचे की कमजोरी उजागर कर दी। अब आवश्यकता यह है कि एनएसई, बाजार नियामक यानी भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) के साथ तालमेल करे ताकि पता चल सके कि दरअसल हुआ क्या था। इस घटना की जांच एक स्वतंत्र जांच समिति से कराई जानी चाहिए जिसकी अध्यक्षता बाहरी विशेषज्ञ करे। जांच के नतीजों को पारदर्शी तरीके से प्रकाशित किया जाना चाहिए और यह सुनिश्चित करने के लिए हरसंभव कदम उठाया जाना चाहिए कि ऐसा दोबारा न हो। एनएसई और सेबी को सूचना प्रसार प्रणाली की भी समीक्षा करनी चाहिए ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि भविष्य में किसी बाधा की स्थिति में निवेशकों के साथ अबाध और स्पष्ट संवाद किया जा सके।
जानकारी के मुताबिक एनएसई के दूरसंचार सेवा प्रदाता में तकनीकी दिक्कत आई थी। यानी एशिया के सबसे बड़े एक्सचेंज में से एक कई घंटों तक ऑफलाइन रहा। समस्या की शुरुआत दिन में 11.40 बजे हुई। इसकी भरपाई के लिए एनएसई में कामकाज शुरू होने के बाद उसे सामान्य अवधि से ज्यादा देर तक जारी रखा गया। बीएसई में दिन का कामकाज सामान्य ढंग से हुआ लेकिन उसे भी देर तक खोला गया ताकि एक दिन के भीतर होने वाले कारोबार को पूरा किया जा सके। हालांकि एनएसई ने निवेशकों और कारोबारियों को इस बारे में कुछ भी स्पष्ट नहीं बताया कि वह बाधित अवधि की भरपाई करेगा। भ्रम की स्थिति बनी रही और अफवाह फैलती रही। परिणामस्वरूप कारोबारी परेशान रहे और उन्हें नुकसान उठाना पड़ा। कई कारोबारी अपने सौदों का बचाव करने के लिए बीएसई पर चले गए। उन्हें मजबूरन सौदे निपटाने पड़े। यह तकनीकी दिक्कत फरवरी वायदा अनुबंध के समापन के एक दिन पहले हुई। इस बात ने प्रक्रिया को और जटिल बना दिया क्योंकि लेनदेन का आकार सामान्य से अधिक था।
एनएसई दुनिया के सबसे बड़े डेरिवेटिव एक्सचेंज में से एक है। वहां बहुत बड़े पैमाने पर और नियमित रूप से वायदा और विकल्प कारोबार होता है। आपदा प्रबंधन और रिकवरी किसी भी कारोबार में अहम हैं। बड़े और तकनीक आधारित कारोबार में तो उनकी काफी अहम भूमिका है। एनएसई ऐसा ही एक केंद्र है जहां हजारों करोड़ रुपये का कारोबार रोज होता है। तकनीकी रूप से देखें तो एक्सचेंज को हर सौदे का पूरा हिसाब करना होता है। सामान्य परिस्थितियों में एनएसई के पास दो दूरसंचार सेवा प्रदाता हैं, ऐसे में यदि किसी एक में दिक्कत भी आती है तो भी सेवा अबाध रूप से जारी रहेगी। परंतु इस घटना से यह स्पष्ट हो गया है कि आपदा से निपटने के लिए मजबूत ढांचे की जरूरत है।
ऐसे हालात में स्पष्ट संवाद अहम होता है क्योंकि डेरिवेटिव के रूप में तथा दिन के कारोबार के रूप में बड़े पैमाने पर वित्तीय अनुबंधों को तय अवधि में पूरा करना होता है। यदि कारोबारियों को आश्वस्त किया जाता कि एक्सचेंज दोबारा खुलेगा और बीएसई के साथ भी व्यवस्था बनाई जाएगी तो इतनी हड़बड़ी नहीं मचती। इसमें दो राय नहीं कि एनएसई और सेबी इस घटना से सबक लेंगे। बाजार में बाधा कई कारणों से उत्पन्न हो सकती है। इसमें तकनीकी बाधा से लेकर दंगे, आतंकी हमले और बमबारी तक शामिल हो सकती हैं। सन 1993 में दलाल पथ पर या 2001 में न्यूयॉर्क हमले के समय हम ऐसा देख चुके हैं। इस दृष्टि से यह बहुत छोटी घटना है। एक्सचेंजों को चाहिए कि भविष्य में ऐसी बाधा से निपटने का इंतजाम करें और अनिश्चितता की स्थिति में कारोबारियों से संवाद की बेहतर व्यवस्था बनाएं। वित्तीय समुदाय को पता चलना चाहिए कि गलती कहां हुई। उन्हें आश्वस्त किया जाना चाहिए कि भविष्य में ऐसी किसी बाधा से तेज और सक्षम तरीके से निपटा जाएगा।
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