आयातित कच्चे माल की संभावित कमी के बीच देसी उत्पादक टिनप्लेट की कीमतें बढ़ा रहे हैं, ऐसे में देसी केन विनिर्माण उद्योग के सख्त कारोबारी परिदृश्य का सामना करना पड़ सकता है जबकि यह मौजूदा महामारी के दौरान आवश्यक सेवाओं का प्रमुख अंग है। मेटल कंनेटर्स मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष संजय भाटिया ने बिजनेस स्टैंडर्ड से कहा, सरकार अप्रैल से केन के कंपोनेंट के आयात पर गुणवत्ता नियंत्रण आदेश लगाने पर विचार कर रही है, ऐसे में विनिर्माताओं के पास दुकान बंद करने के अलावा कोई और विकल्प नहीं बचेगा क्योंकि आपूर्ति की किल्लत के बीच लागत काफी ज्यादा बढ़ जाएगी। देसी केन उद्योग मौजूदा महामारी में अहम भूमिका निभा रहा है और यह आवश्यक सेवा आपूर्ति शृंखला का हिस्सा है, जिसकी जरूरत सैनिटरी, संक्रमणरोधी, खाद्य, दवाओं व खाद्य तेल आदि की पैकेजिंग में होती है। इस बीच, आगामी महीनों में संभावित किल्लत का हवाला देते हुए टिनप्लेट के देसी उत्पादकों (जो देसी बाजार में करीब 4-5 लाख टन के बहुलांश हिस्से की आपूर्ति करते हैं) ने आयातित माल की तुलना में कीमतें 20 फीसदी बढ़ा दी हैं। टाटा टिनप्लेट और जेएसडब्ल्यू स्टील की बल्लभ टिनप्लेट संगठित कंपनियों में शामिल हैं और देश की सबसे बड़ी टिनप्लेट उत्पादक हैं।
