पिछले साल इंट्राडे ट्रेडिंग में सख्ती ज्यादा | सचिन मामबटा / मुंबई February 25, 2021 | | | | |
नियामकीय अधिकारियों ने पिछले वित्त वर्ष में अटकलों और हेरफेर की आशंका से निपटने के लिए ज्यादा बार शेयरों के इंट्राडे कारोबार को प्रतिबंधित किया।
भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) द्वारा हाल में जारी वित्त वर्ष 2020 के लिए सालाना रिपोर्ट के आंकड़ों से पता चलता है कि पिछले वर्ष के दौरान सभी एक्सचेंजों पर ट्रेड-फॉर-ट्रेड सेगमेंट के लिए स्थानांतरित किए जाने वाले शेयरों के मामलों में 12-25 प्रतिशत का इजाफा हुआ। 'ट्रेड-फॉर-ट्रेड सेगमेंट' में शेयरों को खरीदने और उसी दिन बेचने की अनुमति नहीं होती है।
इस संबंधित मामलों की संख्या एनएसई पर 257 से बढ़कर 289, बीएसई पर 435 से बढ़कर 539 और मेट्रोपॉलिटन स्टॉक एक्सचेंज ऑफ इंडिया (एमएसआई) पर 246 से बढ़कर 292 हो गई।
सालाना रिपोर्ट में कहा गया है, 'स्टॉक एक्सचेंजों ने शेयरों में कारोबार के विश्लेषण और अलर्ट के आधार पर समय समय पर कीमत दायरा, 'ट्रेड-फॉर-ट्रेड सेगमेंट' (टीएफटी) के लिए स्थानांतरण, कीमत दायरे को सख्त बनाने आदि जैसे निगरानी उपाय शुरू किए। स्टॉक एक्सचेंजों ने सख्त कदम भी उठाए, जिनमें कई शेयरों में कारोबार रोकने, संदिग्ध इकाइयों को दूर रखना आदि शामिल है।'
अन्य निगरानी कदमों में, कीमत दायरा तय करना भी शामिल है, जिसमें एनएसई पर खास अवधि में शेयर की गतिविधि प्रतिबंधित होती है। ऐसा अन्य दो एक्सचेंजों पर भी हुआ। आरंभिक जांच एनएसई पर बढ़ाई गई, जबकि बीएसई और एमएसईआई पर इसमें कमी आई। सभी तीनों एक्सचेंजों पर अफवाहों की जांच में कमी आई। एनएसई पर इससे संबंधित मामले 222 से घटकर 153, बीएसई पर 235 से घटकर 160 और एमएसईआई पर 1 से घटकर शून्य रह गए।
कीमत और कारोबार में अंतर के संबंध में कंपनियों को भेजे गए पत्रों की संख्या एनएसई पर 121 से बढ़कर 216 हो गई। कीमत और कारोबार में अचानक बदलाव कुछ कंपनी घोषणाओं में अग्रिम तौर पर देखे गए। ऐसी गतिविधि से अक्सर लोगों द्वारा कंपनी के घटनाक्रम के बारे में अग्रिम तौर पर जानकारी हासिल करने का आरोप लगता है। स्टॉक एक्सचेंजों ने उन कंपनियों को नोटिस भेजे जिनके शेयरों में इस तरह की तेजी देखने को मिली जिससे कि सभी निवेशकों को यह समझने का अवसर मिले कि इस तरह के उतार-चढ़ाव को कैसे बढ़ावा मिलता है। हालांकि ऐसे पत्रों की संख्या वित्त वर्ष 2019 और वित्त वर्ष 2020 के बीच बीएसई पर 366 से घटकर 164 रह गई। वहीं एमएसईआई पर समान अवधि में यह शून्य पर अपरिवर्तित बनी रही। सालाना रिपोर्ट में कहा गया है, 'सभी बाजार सेगमेंटों और एक्सचेंजों की गतिविधियों की निगरानी के लिए सेबी के पास मजबूत घरेलू प्रणालियां मौजूद हैं।'
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