केंद्र को बड़ी बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के नियोजन चरण पर अपने संसाधन लगाने चाहिए। इन परियोजनाओं का कार्यान्वयन निजी क्षेत्र की कंपनियों के लिए दायित्व हो सकता है। लुई बर्जर के वरिष्ठ उपाध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक (एशिया) क्षितिज नाडगौड़ा ने बिजनेस स्टैंडर्ड से बातचीत में कहा, 'सरकार को डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर (और इसी तरह की अन्य परियोजनाओं) के लिए योजना तैयार करने में शामिल होना चाहिए। ऐसा इसलिए है क्योंकि रणनीतिक योजना केंद्र सरकार और नियोजन एजेंसियों द्वारा तैयार की जाती है और इसे किसी निजी कंपनी को नहीं सौंपा जा सकता।' लुई बर्जर एक वैश्विक बुनियादी ढांचा सलाहकार फर्म है। नादगौड़ा ने कहा, 'सरकार को एक राष्ट्रीय स्थानिक रणनीति बनानी होगी जो पहले एक आर्थिक ब्लूप्रिंट होगा और उसके समांतर बुनियादी ढांचा ब्लूप्रिंट तैयार किया जाना चाहिए। इसे केवल सरकारी एजेंसियों द्वारा किया जा सकता है। जब आप वास्तविक क्रियान्वयन पर गौर करेंगे तो उसमें निजी क्षेत्र को भी शामिल किया जा सकता है।' यह दृष्टिकोण केंद्र सरकार की परिसंपत्तियों के मुद्रीकरण में भी अपनाया जा सकता है। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट 2021-2022 के अपने भाषण में कहा है, 'नए बुनियादी ढांचे के निर्माण के लिए परिचालन वाली सार्वजनिक बुनियादी ढांचा परिसंपत्तियों का मुद्रीकरण वित्तपोषण का एक महत्त्वपूर्ण विकल्प है।' सीतारमण ने कहा कि रेलवे परिचालन एवं रखरखाव के लिए डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर परिसंपत्तियों को चालू होने के बाद भुना सकती है। इसके बाद परिचालन एवं प्रबंधन रियायत के लिए तमाम हवाई अड्डों का मुद्रीकरण किया जाएगा। उन्होंने राष्ट्रीय मुद्रीकरण कार्यक्रम के तहत राजमार्गों, गैस पाइपलाइनों, रेलवे की बुनियादी ढांचा परिसंपत्तियों को भी सूचीबद्ध किया है। नादगौड़ा ने कहा, 'बुनियादी ढांचा परियोजनाओं में बहुत अधिक पूंजी निवेश करना पड़ता है। इसमें संभावित राजस्व के मुकाबले लागत बहुत अधिक है। उदाहरण के लिए, एक भूमिगत मेट्रो परियोजना को ही लेते हैं जहां सुरंग बनाने की लागत काफी अधिक होती है। लेकिन शहरी क्षेत्रों में यह वस्तुत: एक पसंदीदा समाधान है ताकि जमीन के ऊपर खाली जगह किसी भी तरह से बाधित न हो। कई शहरों में मेट्रो परियोजनाओं का निर्माण एलिवेटेड वायडक्ट्स पर किया जा रहा है जो सुरंगों के मुकाबले 2 से 2.5 गुना अधिक सस्ता है।
