केंद्र भूमि बिक्री के लिए अपनाएगा कनाडा का मॉडल! | निकुंज ओहरी / नई दिल्ली February 23, 2021 | | | | |
सरकार सॉवरिन परिचालित बहुत से वैश्विक भूमि बैंकों का अध्ययन कर रही है और कनाडा जैसे किसी मॉडल को अपना सकती है। यह सरकारी कंपनियों की परिसंपत्तियों की बिक्री के लिए एक स्पेशल पर्पज व्हीकल (एसपीवी) के गठन को अंतिम रूप देने जा रही है।
एक शीर्ष सरकारी अधिकारी ने कहा कि निवेश एवं सार्वजनिक संपत्ति प्रबंधन विभाग (दीपम) कनाडा लैंड्स कंपनी के मॉडल का अध्ययन कर रहा है, जो रियल एस्टेट और पर्यटन स्थलों के प्रबंधन में विशेषज्ञता प्राप्त संघ सरकार की कंपनी है। दीपम भारत में भी इसके मॉडल को अपनाने को अच्छा मानता है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट भाषण में एक एसपीवी बनाने का प्रस्ताव रखा था, जो सरकारी विभागों और सार्वजनिक क्षेत्र की इकाइयों (पीएसयू) की बिक्री करेगा। सीतारमण ने कहा था, 'भूमि की बिक्री सीधे या कंसेशन या ऐसे ही अन्य तरीकों से होगी।' बीते वर्षों के दौरान पीएसयू लंबित कानूनी मामलों और लीज की शर्तों के कारण अपनी भूमि परिसंपत्तियां बेचने में नाकाम रहे हैं। इस एसपीवी में अनुभवी पेशेवर होंगे, जो पीएसयू को मुकदमेबाजी में फंसी अपनी अतिरिक्त भूमि परिसंपत्तियों को बेचने में मदद देंगे।
अधिकारी ने कहा कि कनाडा लैंड्स कंपनी सरकारी विभागों की अतिरिक्त भूमि बेचने में सफल रही है और दीपम इसकी पड़ताल कर रहा है। उन्होंने कहा कि सरकार इस बारे में विचार कर रही है कि क्या कनाडा के मॉडल को अपनाया जा सकता है। लेकिन साथ ही भारतीय संदर्भ में एसपीवी को विशिष्ट रखने की कोशिश करेगी। अधिकारी ने कहा, 'हम ब्रिटेन आदि के अन्य मॉडलों समेत कनाडा के मॉडल का अध्ययन कर रहे हैं।' उन्होंने कहा कि िवश्व बैंक भी सरकार को इस प्रक्रिया में मदद दे रहा है। अधिकारी ने कहा कि जल्द ही संगठन के ढांचे को अंतिम रूप दिया जाएगा। सरकार इस बारे में भी विचार कर रही है कि कैसे इन परिसंपत्तियों को एसपीवी को हस्तांतरित किया जाएगा और उसके बाद खरीदार को बेचा जाएगा। उन्होंने कहा, 'यह संभव है कि यह सीधी बिक्री नहीं हो। यह कंसेशन या सार्वजनिक निजी साझेदारी व्यवस्था भी हो सकती है।'
कनाडा मॉडल
कनाडा लैंड्स कंपनी की स्थापना 1956 में हुई थी और यह एक स्व वित्त पोषित संघीय सरकारी निगम है। कंपनी सरकार से कोई धन नहीं लेती है और अपने लाभ से कनाडाई सरकार को लाभांश का भुगतान करती है। कंपनी ऐसी परियोजनाओं के सृजन के लिए स्थानीय सरकार और समुदायों के साथ मिलकर काम करती है, जो वित्तीय रूप से व्यवहार्य हैं। इसका मकसद मूल्य सृजन है। कंपनी का एक काम सबसे अच्छी कीमत पर चुनिंदा अतिरिक्त परिसंपत्तियों की व्यवस्थित बिक्री करना है। जब इस संस्था की स्थापना हुई थी, उस समय सरकारी विभागों को अपनी परिसंपत्तियों की बिक्री के लिए प्रोत्साहन दिया जाता था, लेकिन कोई तात्कालिक लाभ नहीं थे। इससे निजी क्षेत्र के लिए इन परिसंपत्तियों के बेहतर उपयोग का रास्ता साफ हुआ।
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