सालाना निजी इक्क्टिी सौदों की वैल्यू हुई दोगुनी | टी ई नरसिम्हन / चेन्नई February 23, 2021 | | | | |
विभिन्न क्षेत्रों और कंपनियों के परिपक्वता चक्रों में निवेश के साथ भारत में निजी इक्विटी निवेश तेजी से बढ़ा है।
भारत में वर्ष 2015 और 2020 के बीच 1,900 निवेश और 500 बिक्री सौदों के अपने विश्लेषण में केपीएमजी ने संकेत दिया है कि कुल सालाना सौदों की वैल्यू दोगुनी हुई है और सालाना सौदों की संख्या 60 प्रतिशत तक बढ़ी है। दूरसंचार और यूटिलिटीज जैसे क्षेत्रों को छोड़कर, पीई निवेश ने 29 प्रतिशत की औसत आईआरआर के साथ पूंजी बाजारों के मुकाबले बेहतर प्रदर्शन किया। यह विश्लेषण 2015 से 2019 के बीच 300 बिकवाली सौदों पर आधारित है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में निवेशकों का भरोसा लगातार मजबूत बना हुआ है। भारतीय अर्थव्यवस्था के वर्ष 2030 तक तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनकर उभरने की संभावना है और निवेशकों ने भारत की सफलता की कहानी में भागीदार बनने के लिए बड़ी पूंजी बचाकर रखी है।
खासकर पिछले पांच साल में, निवेशकों ने वृद्घि से संबंधित लाइफसाइकल और क्षेत्रों में अरबों डॉलर का निवेश किया तथा उपभोक्ता वस्तु, वित्तीय सेवा और ई-कॉमर्स इस संदर्भ में अग्रणी रहे।
केपीएमजी द्वारा 2016 और 2020 के बीच किए गए खास 30 सौदों के विश्लेषण से संकेत मिलता है कि निजी निवेश पर प्रतिफल सभी क्षेत्रों में अच्छा रहा।
जहां सफल निवेश से पोर्टफोलियो की वैल्यू बढ़ाने, पीई और वीसी को स्वयं को दूसरों के मुकाबले अलग रखने में मदद मिली वहीं संस्थापक प्रवर्तकों, प्रबंधन के साथ तालमेल के अभाव से निवेशक की ब्रांड इक्विटी प्रभावित हो सकती है।
मौजूदा महामारी ने पीई और उनके पोर्टफोलियो के बीच संबंधों को परखा है और जिन लोगों ने प्रबंधन टीमों में विश्वास पुन: हासिल किया और बदलाव (लागत नियंत्रण, आपूर्ति अवरोध कम करने, ग्राहकों को डिजिटल सुविधाएं मुहैया कराने आदि) की यात्रा बरकरार रखी, वे बाजार में पसंदीदा निवेशक के तौर पर उभरे हैं।
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