भूमि नीति में देरी से कॉनकॉर की बिक्री हो रही है बाधित | निकुंज ओहरी / नई दिल्ली February 22, 2021 | | | | |
एक शीर्ष स्तरीय अंतर मंत्रालयी समूह ने रेल मंत्रालय की भूमि लाइसेंस नीति में देरी पर चिंता जताई है। इस नीति में देरी होने के कारण भारतीय कंटेनर निगम के निजीकरण की प्रक्रिया बाधित हो रही है। निवेश एवं सार्वजनिक संपत्ति प्रबंधन विभाग (दीपम) सचिव की अध्यक्षता में बनी समिति कॉनकॉर के निजीकरण की प्रक्रिया को देख रही है। कॉनकॉर के निजीकरण की घोषणा नवंबर 2019 में की गई थी।
नई नीति से पट्टा दरों में स्पष्टता आने की उम्मीद है जिसका भुगतान कॉनकॉर के नए खरीदार को करना होगा। एक सूत्र ने कहा कि रेल मंत्रालय ने नीति के लिए एक मंत्रिमंडल नोट जारी किया है।
बिजनेस स्टैंडर्ड के प्रश्न के जवाब में रेल मंत्रालय ने कहा, 'भूमि लाइसेंस नीति को तैयार करने में कोई देरी नहीं हो रही है और इससे स्पष्ट रूप से इनकार किया जाता है।' मंत्रालय ने कहा कि बजट भाषण के मुताबिक कॉनकॉर के विनिवेश की योजना अगले वर्ष की है।
रेलवे बोर्ड के सदस्य की सह अध्यक्षता वाले अंतर मंत्रालयी समूह में व्यय, आर्थिक मामले, कॉर्पोरेट मामले, कानून सहित विभिन्न विभागों का भी प्रतिनिधित्व है।
नवंबर, 2019 में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड (बीपीसीएल) और भारतीय नौवहन निगम (एससीआई) सहित कॉनकॉर के निजीकरण के लिए सैद्घांतिक मंजूरी दी थी। बीपीसीएल और एससीआई जहां विनिवेश के विभिन्न चरणों में हैं वहीं कॉनकॉर के नीजिकरण की प्रक्रिया अब तक शुरू नहीं हो पाई है।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपने बजट भाषण में कहा, 'कोविड-19 के बावजूद हम रणनीतिक विनिवेश के लिए काम कर रहे हैं। बीपीसीएल, एयर इंडिया, एससीआई, कॉनकॉर, आईडीबीआई बैंक, बीईएमएल, पवन हंस, नीलांचल इस्पात निगम लिमिटेड सहित कई सौदे 2021-22 में पूरे होंगे।'
रेल मंत्रालय ने कहा, 'मंत्रालय को अपनी परियोजनाओं को समय पर पूरा करने और मौजूदा परियोजनाओं में तेजी लाने के लिए नए प्रबंधन समाधान लाने और संभवत: मानक समयसीमा से पूर्व परियोजनाओं को पूरा करने पर गर्व है। नए और सक्षम प्रबंधन मंत्र का एक मुख्य स्तंभ कानूनी पेचीदगियों में उलझने या परियोजना के अंतिम चरणों में कार्य के अटक जाने के बजाय आरंभिक चरणों में सम्यक तत्परता है। 2014 से पूर्व मंजूर की गई बहुत सी परियोजनाओं के समय पर पूरा नहीं होने का एक प्रमुख कारण यही व्यापक सम्यक उद्यम का अभाव है।'
आईएमजी ने रेलवे से यह भी कहा है कि कॉनकॉर के संभावित निवेशकों या खरीदारों के लिए पट्टे के संबंध में पर्याप्त स्पष्टता होनी चाहिए। पता चला है कि आईएमजी ने कहा है कि यदि सरकार कम से कम दस वर्ष के लिए कंपनी के कारोबार को लेकर स्पष्टता मुहैया नहीं कराती है तो उसे कोई खरीदार नहीं मिलेगा। इस चर्चा से अवगत एक अन्य सरकारी अधिकारी ने कहा चूंकि प्रस्तावित रणनीतिक विनिवेश पीएसयू की पीएसयू को बिक्री नहीं है लिहाजा समूची प्रक्रिया पारदर्शी होनी चाहिए जिसमें कारोबार के वित्तीय स्थिति पर स्पष्टता होनी चाहिए।
रेल मंत्रालय अप्रैल 2020 में अपने जमीन के औद्योगिक इस्तेमाल के लिए भूमि लाइसेंसिंग शुल्क व्यवस्था लाया था। पहले पीएसयू के कंटेनरों का निर्माण रेलवे से पट्टे पर ली गई जमीन पर किया गया था जो प्रति कंटेनर लाइसेंस शुल्क पर आधारित था। इस नीति के तहत पीएसयू ने जमीन के बाजार मूल्य का 6 फीसदी बतौर लाइसेंस शुल्क चुकाया जिससे कंपनी की लागत बढ़ गई और कॉनकॉर के निजीकरण की सरकार की योजना बाधित हो गई। रेल मंत्रालय ने आईएमजी को कहा कि वह श्रमिक ट्रेनों के परिचालन आदि जैसे कोविड-19 से संबंधित राहत कार्यों में जुटा था जिसके कारण नीति निर्माण में देरी हुई। महामारी के दौरान श्रम शक्ति के अभाव को भी एक मुद्दा बनाया गया है।
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