वृद्धि की गति मजबूत करने की जरूरत | सुब्रत पांडा / मुंबई February 22, 2021 | | | | |
भारतीय रिजर्व बैंक की ओर से जारी मौद्रिक नीति पर इस महीने के पहले सप्ताह में हुई बैठक के ब्योरे से पता चलता है कि सदस्यों का मानना है कि महंगाई नियंत्रण में है। साथ ही समिति का मानना है कि अर्थव्यवस्था में वृद्धि को समर्थन की जरूरत है, जो अभी निचले स्तर से उबर रही है, लेकिन यह शुरुआती अवस्था में है। एमपीसी सदस्यों का विचार है था कि जब तक वृद्धि सतत न हो जाए, नीतिगत नीतिगत समर्थन बनाए रखने की जरूरत है। साथ ही महंगाई बढऩे के जोखिम को लेकर भी समिति के सदस्यों ने चिंता जताई है। समिति का कहना है कि खाद्य की कीमतें निचले स्तर पर हैं और वित्त वर्ष 22 की पहली तिमाही से इसमें तेजी शुरू हो सकती है।
रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा, 'हालांकि वृद्धि अभी असमान है, लेकिन रिकवरी हो रही है और इसे गति मिल रही है। साथ ही देश भर में टीकाकरण अभियान के साथ परिदृश्य में भी सुधार हो रहा है। बहरहाल वृद्धि की गति आगे और मजबूत बनाए रखने की जरूरत है, जिससे अर्थव्यवस्था में टिकाऊ रिकवरी हो सके और आउटपुट कोविड के पहले की स्थिति में पहुंच सके।'
3 से 5 फरवरी के बीच आयोजित मौद्रिक नीति की बैठक में रिजर्व बैंक ने मानक ब्याज दरें बगैर बदलाव के 4 प्रतिशत पर बनाए रखने का फैसला किया था, लेकिन समावेशी स्थिति बनाए रखा था। इससे पता चलता है कि अगर जरूरत पड़ती है तो कोविड-19 से प्रभावित अर्थव्यवस्था को समर्थन करने के लिए भविष्य में दरों में कटौती हो सकती है।
सोमवार को जारी एमपीसी के मिनट्स के मुताबिक दास ने कहा, 'खाद्य महंगाई में तेज सुधार से कम अवधि की प्रमुख महंगाई दर परिदृश्य में सुधार आया है, हालांकि प्रमुख महंगाई का दबाव बरकरार है।'
एमपीसी के सदस्य माइकल पात्र ने कहा, 'महंगाई बढऩे का जोखिम बना हुआ है। पहला, प्रमुख महंगाई दर अडिय़ल बनी हुई है और इस पर नजदीक से निगरानी रखे जाने की जरूरत है क्योंकि इससे हाल में हुए सुधार पर बुरा असर पड़ सकता है।'
एमपीसी में बाहरी सदस्य आशिमा गोयल ने कहा, 'मौजूदा वृहद्आर्थिक स्थिति और इसके संभावित भविष्य से पता चलता है कि अभी एमपीसी के लिए संभावना है कि वह अर्थव्यवस्था में सुधार को समर्थन जारी रखे, क्योंकि महंगाई लक्ष्य की सीमा के अंतर्गत बनी हुई है।'
जून 2020 से ही महंगाई ऊपरी सीमा को तोड़ रही है, लेकिन दिसंबर में यह कम होकर 4.6 प्रतिशत पर पहुंच गई क्योंकि खाद्य कीमतों में गिरावट हुई और आधार का असर पक्ष में था। बहरहाल कच्चे तेल के दाम मेंं बढ़ोतरी और पेट्रोल व डीजल पर ज्यादा अप्रत्यक्ष कर की दरों के कारण प्रमुख महंगाई बढ़ी बनी हुई है और प्रमुख वस्तुओं और सेवाओं के दाम बढ़ रहे हैं, खासकर परिवहन और स्वास्थ्य की श्रेणी में महंगाई बढ़ी है।
गवर्नर के मुताबिक आपूर्ति के मामले में अति सक्रिय कदम, खासकर केंद्र व राज्यों में तालमेल बिठाकर पेट्रोल व डीजल के उच्च अप्रत्यक्ष कर पर विचार अहम है, जिससे अर्थवव्यवस्था पर आगे दबाव न बने। पात्र ने कहा, 'कुल मिलाकर कम अवधि का परिदृश्य कम अवधि की चुनौतियों की तुलना में वृद्धि के लिए कम जोखिम वाला नजर आ रहा है, जिसे नीतिगत समर्थन जारी रखने की जरूरत है।'
वहीं एमपीसी के बाहरी सदस्य शशांक भिडे ने कहा, 'चल रही आर्थिक रिकवरी और उत्पादन व मांग दोनों में विस्तार को बनाए रखने के लिए समावेशी मौद्रिक नीति बनाए रखने की जरूरत है।'
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