बॉन्ड की चिंता में लुढ़का बाजार | सुंदर सेतुरामन / मुंबई February 22, 2021 | | | | |
अमेरिका में बॉन्ड पर प्रतिफल बढऩे और भारत में कोविड-19 के मामलों में तेजी से आज शेयर बाजार थर-थर कांपता नजर आया। कोरोनावायरस महामारी से निपटने के लिए एक बार फिर लॉकडाउन लगने की आशंका के कारण बाजार लगातार पांचवें दिन औंधे मुंह गिरा। सेंसेक्स 1,145 अंक (2.3 प्रतिशत) लुढ़ककर 49,744 पर बंद हुआ। सेंसेक्स 2 फरवरी के बाद पहली बार इतने नीचे बंद हुआ।
आज की गिरावट पिछले दो महीनों में सबसे बड़ी थी। इसके साथ ही सेंसेक्स पिछले पांच सत्रों में 2,410 अंक (4.6 प्रतिशत) फिसल चुका है। नैशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) का निफ्टी भी आज 306 लुढ़क कर 14,676 पर बंद हुआ। बाजार में उतार-चढ़ाव का अंदाजा देने वाला इंडिया विक्स सूचकांक भी 14.5 प्रतिशत बढ़कर 25.47 पर बंद हुआ।
अमेरिका में मानक सरकारी बॉन्ड (ट्रेजरी) पर प्रतिफल 1.37 प्रतिशत हो गया, जो पिछले एक वर्ष का सबसे ऊंचा स्तर है। इससे निवेशकों का हौसला डगमगा गया। बॉन्ड बाजार में बिकवाली और जिंसों की कीमतों में तेजी से महंगाई के सिर उठाने और उदार मौद्रिक नीति सख्त होने का डर बढ़ गया। ऐसे मौके पहले भी आए हैं जब अमेरिकी बाजार में उथलपुथल से विकसित देशों के बाजारों में भारी बिकवाली हुई है।
बाजार में बिकवाली पर डाल्टन कैपिटल इंडिया के निदेशक यूआर भट्ट ने कहा, 'अमेरिका में बॉन्ड पर प्रतिफल बढऩे से कुछ निवेशक उभरते बाजारों में जोखिम लेने के बजाय अमेरिकी बॉन्ड बाजार में निवेश करना पसंद करेंगे। यूं भी शेयर बाजार खासा ऊपर चला गया है और अब निवेशक अधिक इंतजार करने के बजाय मुनाफा कमाना पसंद करेंगे।'
भारत में मुंबई सहित देश के दूसरे कुछ हिस्सों में कोविड-19 के मामलों में तेजी आई है, जिससे निवेशकों को एक बार फिर लॉकडाउन लगने का अंदेशा सता रहा है। सोमवार को महाराष्ट्र ने नई पाबंदियां लगाने की घोषणा की है, जिनमें पूरे राज्य में लोगों के अधिक संख्या में एकत्र होने पर रोक भी शामिल है। पिछले एक सप्ताह के दौरान राज्य में कोविड-19 के मामलों में तेजी देखी गई है।
हालांकि आज दुनिया के ज्यादातर शेयर बाजारों में गिरावट आई, लेकिन सबसे ज्यादा फिसलन भारतीय बाजार में थी। विशेषज्ञों का कहना है कि कच्चे तेल की बढ़ती कीमतें भी निवेशकों के उत्साह पर पानी फेर रही हैं। ब्रेंट कू्रड 1 प्रतिशत उछलकर 62.74 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गया था। भारत में भी पेट्रोल के दाम 100 रुपये प्रति लीटर तक पहुंचने लगे हैं, जिस कारण आवश्यक वस्तुओं की कीमतें ऊपर भागने की आशंका बढ़ती जा रही है। विश्लेषकों ने कहा कि बजट के बाद जगी उम्मीद अब छूमंतर हो रही है क्योंकि सरकार को राजकोषीय घाटा कम रखने और तेल की आसमान छूती कीमतों पर अंकुश लगाने का काम एक साथ करना होगा, जो आसान नहीं होगा।
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